Sunday, September 15, 2019

पिंटू जी और गुड्डू जी के यहाँ कुंदर में हुए PTM पर मेरा अनुभव: - संजय

पिंटू जी और गुड्डू जी के यहाँ कुंदर में हुए PTM पर मेरा अनुभव: - संजय 

आज कुंदर में PTM 1 बजे होना था, परन्तु हम सभी team member को यह ज्ञात था की वहां PTM 3 बजे से है| हम सभी इसी कारण अपने अपने काम में उलझे थे| मैं अपने लैपटॉप पे कल के लिए presentation को अंतिम टच दे रहा था| तभी करीब 1:10 में मेरा फ़ोन बजा| ज्योंही मै फ़ोन pick किया, उधर से गुड्डू सर की आवाज़ आई| गुड्डू सर ने मुझसे पुच की सर अवि आप कहाँ तक पहुंचे| मैंने बताया की अभी तो ऑफिस में ही हूँ| तभी उन्होंने बोला की सर आपलोगों को तो अभी PTM में मेरे यहाँ आना था| मैंने उन्हें बोला की 3 बजे आना था ना| तभी पिंटू सर बोल पड़े की क्या सर आपलोगों को तो 1 बजे बोल दिया गया था| मैंने बोला की सर आप PTM शुरू कीजिये, हमलोग आ रहे हैं|

मैं और गोल्डन जी कुंदर के लिए निकल पड़े| वहां हमलोग 2 बजे पहुंचे| तब तक सर अपने पढ़ाने का तरीका सारे parents के साथ शेयर कर दिए थे| हमारे वहां पहुँचते ही पिंटू सर के चेहरे पे मुस्कान छा गयी| इसी बीच 9-10 के कुछ बच्चे भी हमलोगों से मिलने गेट पे ही आ गए| थोड़ी देर बाद हम सभी लोग उस कमरे में गए जहाँ parents हमलोगों के इंतज़ार में गर्मी होने के बावजूद आराम से बैठे हुए थे| सर्वप्रथम गोल्डन जी अंदर प्रवेश किए और इंतज़ार करने के लिए parents का अभिवादन किया और हमलोगों के लेट आने के लिए क्षमा याचना की|

शुरुवात 9 की बच्चियाँ स्वागत गीत गा के की| इसके बाद हमलोगों ने अपना परिचय दिया और उनसे परिचय के लिए ये बातें रखीं गयी की आप अपना नाम, जो बच्चे यहाँ पढ़ते हैं उनका नाम और आप उन्हें क्या बनाना चाहते हैं ये बताएँ| एक माँ ने ये बताया की वो अपने बेटे को पुलिस अफसर बनाना चाहती हैं| इसके बाद गोल्डन जी ने dice उठाया और सबसे पूछा की इससे आपकी क्या समझ बन रही है, इसमें कितने तक के अंक हो सकते हैं| तभी किन्ही ने बोला की 26 तक| tab एक अभिवावक को बुला के देखने को कहा गया| देख के वो बताई की इसमें तो 6 तक दिया हुआ है| फिर सब से ये जानने की कोशिश की गयी की वो कहाँ तक पढ़ें हैं| एक महिला ने बताया की वो 8 तक पढ़ी हैं तो दूसरी ने बताया की वो 5 तक| तभी मैं अपने पास बैठे बच्चियों से पूछा की आपलोगों में से 12 बजे तक कौन पढ़ीं है, ये सुन के हर कोई मुस्कुरा दी| ये सब बाटें चल ही रही थी की एक दादी ने कहाँ की हम तो पढ़े- लिखे नही हैं| इस बात पर पिंटू सर ने कहाँ की मैंने आपलोगों को कहा था ना की मै थोड़ा बहुत आपलोगों को भी पड़ाऊंगा| फिर गणितमाला के बारे में बताया गया| इसके लिए मैंने 3 बचियों को आगे बुलाया| एक बच्ची गोटी गिन गिन के बता रही थी, बाकी दोनों गणितमाला को थामे हुए थी| इसी दौरान गोल्डन जी ने एक महिला से निवेदन किया की वो आगे को आये और dice को घुमाएँ| इस तरह जो भी संख्या आ रही तो वो माला पे गोटी के मदद से गिनी भी जा रही थी| कुछ देर होने के बाद 2 round में हुए गिनती की संख्या को जोड़ने कहा गया| सबसे पीछे एक महिला ने उसका उत्तर दिया पर वो बोलने में संकोच भी कर रही थी| इस तरीके से फिर लाइब्रेरी के किताबें, TLM और Tablet के माध्यम से दी जा रही शिक्षा की जानकारी उन्हें दी गयी और उनसे पूछा गया की ये आपके नज़र में कितना सही तरीका लगता है| ये बाटें निकल के आई की बच्चा 5-6 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरु करता है| उससे पहले इन् तरीकों से वो बहुत कुछ सिख लेगा| अंत में ये पूछा गया की कोई अगर कुछ भी कहना चाहे तो आराम से कह सकते हैं, जिन्हें जाना हो वो अपना हाथ शिक्षा के साथ दर्शाते चलें| हाथ की छाप देते वक़्त अधिकतर महिला उत्त्साहित थी| PTM अच्छी तरह से संपन्न हो पाया|

PTM ख़तम होने के बाद 9 के students ने ये हमें कहा की सर आप लोग जब भी आते हैं, बच्चों को ही सिखाते हैं| कभी हमलोगों से भी मिलने आईये और हमें भी कुछ नए तरीका सिखाईये| कुछ ने तो ये जिद्द भी की कि आप मुझे spoken सिखाईये| मैं इन सब बातों को उस समय क्या जवाब देता, समझ ही नही आ रहा था| परन्तु मैंने बोला की देखता हूँ की आपलोगों से कब मिला जा सकता है| तभी पिंटू सर और गुड्डू सर ने ये आग्रह की कि आने वाले गणतंत्र दिवस पे वो कुछ खेल, गतिविधि करवाएंगे सो हम सभी लोग उनके यहाँ सम्मलित हों|

9th के students के साथ हमने थोड़ी बहुत बातचीत की| आज उन लोगों का Tense & Voice पे टेस्ट था| मैंने उनका tension दूर करना के लिए tense क्या है पे थोड़ी बातचीत उनसे की| 9th के students तो हमे जाने ही नही दे रहे थे| हमने जैसे-तैसे उनसे विदा ली| फिर भी जब तक हमलोग bike स्टार्ट नही किए, tab तक वो गेट पे आके हममे bye-bye बोल रहे थे| रास्ते भर मै यही सोचता रहा की हमलोगों को कभी कभी सीनियर बच्चों से भी मिलना चाहिए| उन बच्चों की बार बार आग्रह पे सोचने को मै विवश हो गया| अब देखना यह है की कब हमलोग इस दिशा में भी कुछ सोच सकते हैं|

धन्यवाद|

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