गांव की वो गर्म दोपहर थी, जब चारों ओर धूप फैली हुई थी, लेकिन मेरे मन में एक अलग ही रौशनी थी — उम्मीद की, हिम्मत की, और कुछ नया कर दिखाने की। मुझे गहराई से ये एहसास दिलाया कि जब हम खुद आगे बढ़ने की ठान लेते हैं, तो हमारे अंदर एक ऐसी चमक पैदा हो जाती है, जो न सिर्फ़ हमें राह दिखाती है, बल्कि दूसरों के लिए भी रास्ता रोशन कर देती है। खुद पर भरोसा और दूसरों के लिए प्रेरणा बनना — शायद यही असली नेतृत्व है।
बात शुरू हुई जब मुझे एक महीने का लक्ष्य क्लस्टर मीटिंग में काम मिला — 10 लड़कियों को ईमेल आईडी बनाना सिखाना। शुरुआत में सोचा, "क्या मैं कर पाऊंगी?" लेकिन जैसे-जैसे काम में डूबी, हिम्मत भी बढ़ती गई। अब तक 8 लड़कियों को सिखा चुकी हूं, बाकी भी तैयारी है सिखने को ले कर,
इस दौरान एक और रोचक मोड़ आया — एग्जाम चल रहे थे और लड़कियां मुझसे पूछतीं, “दीदी! आप इतना बढ़िया जवाब कहां से लाती हो?” मैं मुस्कराई और बताया — एक App है “Chat GPT” नाम है इसका, जहां से मैं जवाब पाती हूं, और तुम भी सीख सकती हो।” कई लड़कियां हैरान भी हुईं और उत्साहित भी। उन्हें तकनीकी (Techology) से जोड़ने का पहला कदम यही था इसी हफ्ते मंडे मीटिंग में मैंने सीखा — Google Meet से ऑनलाइन मीटिंग कैसे करें, ग्रुप में किसी को टैग कैसे करें।
ये सब चीज़ें पहले जादू जैसी लगती थीं, अब आसान हो गई हैं। लेकिन हर सफर सीधा नहीं होता... कुछ चुनौतियां भी आईं: जब खुद की पढ़ाई करनी होती है और साथ में दूसरे बच्चों का होम विज़िट भी करना हो — तो समय और ऊर्जा दोनों की परीक्षा होती है। इस हफ्ते ने मुझे ये यकीन दिया कि — "अगर इरादा सच्चा हो, तो गांव की बेटी भी तकनीकी (Techology) में किसी से कम नहीं।"
अब आगे की राह साफ़ है – और लड़कियों को डिजिटल टूल्स सिखाना है, अभिभावकों से संवाद बनाए रखना है, और खुद को लगातार बेहतर बनाते रहना है। ये सफर लंबा है... पर मेरा हौसला उससे भी बड़ा है।
नीतू ,एडू लीडर
बैच-11
गया
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