कक्षा से नये शब्दों की शुरुआत
by Ekta
हम सभी अपने आसपास की चीजों को निरंतर देखते रहते हैं, बहुत कुछ सीखते हैं | जैसे:- कोई प्रकृति प्रेमी कभी अकेला नहीं होता, वो प्रकृति से ही प्रभावित होता है और उसी से प्रोत्साहित भी | बस देखने का नजरिया है कि कौन कहाँ से, कैसे सीख रहा है |
अगर हम अपने पाठ्य पुस्तक पर गौर करें तो उसका निर्माण भी कुछ इसी तरह है | हमारी पुस्तकें भी हमारे आसपास के ज्ञान का सार है |
मैंने भी मेरी कक्षा का अगला चरण इसी को ध्यान में रखते हुए शुरू किया | मैंने कक्षा में मौजूद 11 वस्तुओं का अंग्रेजी नाम बच्चियों से बात करते-करते कागज के टुकड़ों में लिखना शुरू कर दिया | हमारे बातचीत के केंद्र बिंदु भी यही वस्तुएं थें | इस दौरान मैंने बच्चों से कुछ सवाल किये| जैसे- अच्छा बताओ इस कक्षा में क्या-क्या दिखाई दे रहा है? जवाब आया कुर्सी, बोर्ड, मार्कर, पेन, कॉपी, बुक, फेन, शांति का कपड़ा, खिड़की आदि | फिर मैंने पूछा क्या किसी को इस रूम में दरवाजा दिख रहा है क्या? सभी ने बोला हाँ दीदी! दरवाजा भी है | फिर मैंने पूछा अच्छा बताओ दरवाजे को अंग्रेजी में क्या बोलते है? जिसको पता हो बस वो अपना हाथ उठाए | मैंने देखा 35 लड़कियों में मात्र 2 ने अपना हाथ खड़ा किया | जब मैंने एक से बोलने को कहा तो बोली दीदी ठीक से याद तो नहीं है D से शब्द शुरू होता है शायद | दूसरे ने “दूर-दूर” कहा | फिर मैंने कहा आज हमलोग इन्ही सब का अंग्रेजी नाम सीखेंगे |
मैंने कक्षा आरंभ की और पुर्जे में मौजूद सबसे छोटा शब्द pen निकला और बच्चों को दिखाया | केवल 5 बच्चिओं को छोड़कर बाकि सब ने इसको देखते ही इस शब्द से परिचित होने के समर्थन में हाथ उठाया| फिर मैंने सीमा से पूछा बताओ ये क्या लिखा है? सीमा ने इसका उच्चारण सही-सही किया | फिर मैंने इससे मिलता-जुलता शब्द fan उठाया और सभी को दिखाया | फिर उन 5 बच्चियों ने अपना हाथ नहीं उठाया | इस बार मैंने बरती से इसका उच्चारण करने बोला | उसने इसका उच्चारण ठीक-ठीक किया मगर इस शब्द के पहले फ अक्षर पर विशेष जोड़ दिया इससे इस शब्द की सुन्दरता थोड़ी फीकी पर गयी | फिर मैंने रानी से इसका उच्चारण करने को बोला और उसने सही-सही उच्चारण किया | फिर बरती ने रानी के साथ इसका उच्चारण करने का अभ्यास किया | इस बीच सभी बच्चियां रानी के साथ धीमे स्वर में इसके उच्चारण का अभ्यास कर रहीं थीं | फिर धीरे-धीरे हमारा अभ्यास बढ़ता चला गया, शब्द से परिचित होने के सन्दर्भ में उठने वाले हाथों की संख्या घटती चली गयी | उन 5 बच्चियों ने आखरी तक अपना हाथ नहीं ही उठाया | इसका मुख्य कारण ये था कि इन्हें अक्षर जोड़कर शब्द बनाने अभी कठिनाई महसूस होती है | फिर एक शब्द ऐसा आया जिसमे किसी ने हाथ नहीं उठाया | वो शब्द था chalk | फिर जब मैंने बताया ये चाक लिखा हुआ है तो उनमे से किसी ने कोई सवाल नहीं किया और मान लिया की ये चाक लिखा हुआ है | फिर मैंने ही पूछा लेकिन ये चाक कैसे हो सकता है इसमें तो L लिखा हुआ है इसको हमलोग पढ़ ही नहीं रहे है| सभी ने फिर आश्चर्य से मेरी ओर देखा | मैंने कोई जवाब नहीं दिया और बोर्ड पर walk लिख दिया जिसे काजल और रानी ने सही-सही पढ़ लिया | फिर मैंने talk लिखा | जिसे लगभग सभी ने पढ़ लिया | दो शब्द और भी बाकि थे इस लिए मैंने ज्यादा उदाहरण नहीं दिया और बोला इन शब्दों में हम बोलते समय L का उच्चारण नहीं करते, पर लिखते जरुर हैं | अंग्रेजी भाषा में कुछ शब्दों की संरचना इसी प्रकार की गयी है | अगला शब्द था teacher | इसमें 15 लड़कियों ने हाथ उठाया | मैंने इस बार उनमे से किसी को बोलने के लिए नहीं कहा | इस बार मैंने बुधनी को बोलने को कहा जिसने अपना हाथ नहीं उठाया था | बुधनी ने कहा “दीदी हम अपना हाथ नहीं उठाए थे |” फिर मैंने कहा मुझे मालूम है की तुमने अपना हाथ नहीं उठाया था पर मुझे यकीन है की तुम इसको पढ़ सकती हो | उसने अक्षरों को पढ़ना शुरू किया और मन में जोड़ते-जोड़ते उसने टीचर बोला | इससे उसे भी बड़ी ख़ुशी महसूस हुई | उस समय उसकी ख़ुशी में आत्मविश्वास झलक रहा था जिसे उसने वहीँ और बाकी लोगो ने अगली कक्षा में महसूस किया | अंततः ये शब्द सभी के हाथों तक गये और अभी ने इसको दिखाकर इसका उच्चारण किया |
समूह कार्य: सभी लड्कियों को 5-6 के समूह में बाँटा गया| इस समूह में सभी लड़कियां बारी-बारी से सभी अंग्रेजी के शब्द दोहरा रही थी जिसे उन्होंने आज सीखा था | इन शब्दों से समूह के सभी सदस्यों ने अपने-अपने समूह के लिए 2-2 वाक्य बनायें और पूरी कक्षा में सुनाएँ | इस अभ्यास को करने का मुख्य उद्देश्य यह था कि सभी लड़कियां इन शब्दों को अधिक से अधिक सुन सके और उनको सुनते-सुनते याद हो जाये |
उस दिन मैंने बस इन शब्दों को बार-बार बच्चों को दिखाया, बुलवाया, शब्द के साथ चित्र बनाया और बच्चों से भी बनवाया |
कक्षा के अंत में सभी समूहों से अपने समूह की ही लड्कियों के साथ इस कार्य को दोहराने के लिए कहा गया और बताया गया कि अगले दिन यही लोग आपके समूह के सदस्य होंगे | अतः सभी लोग अपने समूह के सभी लोग पर ध्यान देंगे |
अगले दिन कक्षा के प्रारंभ में ही मैंने सभी लड़कियों को पांच-पांच के समूह में बाँट दिया, जिसमे उन सभी को अपनी यादास्त से पिछली कक्षा में सीखे गए हुए अंग्रेजी शब्द को अपनी-अपनी कॉपी में लिखना था, जिसमे कोई किसी की मदद नहीं कर सकते | यह वही समूह था जो पिछली कक्षा में बनाया गया था | 5 मिनट के बाद सभी समूह से आवाज आने लगा दीदी हमारा हो गया | इस अभ्यास में एक समूह को दुसरे समूह के हर लड़की की कॉपी आपस में बाँट कर जाँच करनी थी और उन्हें नंबर देना था| इस अभ्यास में सभी लड़कियां एक-दुसरे की कॉपी जाँच कर रही थी | जिस लड़की को जाँच करने में समस्या हो रही थी वह अपने समूह के दूसरी लड़की की मदद ले रही थी |
परिणाम: अंत में सभी को उनकी कॉपी वापस की गयी और जिसमे 2 लड़कियों ने बोला “दीदी मैंने सही लिखा था उसने गलत कर दिया |” जब मैंने कॉपी देखा तो पाया एक ने साफ-साफ नहीं लिखा था इसलिए जांचकर्ता ने उसके नंबर काट लिए और दूसरी कॉपी में दो सही शब्दों को वाकई गलत कर दिया गया था | इस जांचकर्ता ने मान लिया की दीदी मैंने कल अभ्यास नहीं किया था | मुझे शब्द लिखना नहीं आता | इसके साथ-साथ ये भी पता चला की कल लगातार हाथ न उठाने वाली 5 बच्चियों में से 2 ने अपना काम पूरा कर लिया है, उन्हें इन 11 शब्दों को लिखने में कोई परेशानी नहीं है | और बांकी के 3 लोगों ने भी अपना पन्ना खाली नहीं छोड़ा बल्कि 1-2 शब्द तो लिख ही दिया था |
दूसरे अभ्यास में मैंने प्रत्येक समूह से ऐसी दो लड़कियों का चुनाव किया जिन्होंने पिछली सभी क्रियाकलाप में बहुत कम हिस्सा लिया | बारी-बारी से प्रत्येक समूह से दो लड़कियां उठ रही थीं और सामने आ रहीं थी | इसमें एक ऐसी लड़की जो लिख सकती थी उसे मैंने बोर्ड पर लिखने के लिए आमंत्रित किया और दूसरी जो गलत ही सही पर शब्दों को देखकर पढ़ सकती थी उन्हें बोर्ड से थोड़ी दूर कार्ड उठाकर बोलने के लिए बुलाया | इस अभ्यास में दूसरी लड़की को बारी-बारी से कार्ड उठाकर शब्द बोलना था और उसके साथी को लिखना था |
परिणाम: इस अभ्यास के दौरान जब पहले समूह से पूछा गया की लिखने के लिए कौन आना चाहता है तो बुधनी ने झट से हाथ खड़ा किया और बोला “ दीदी मैं लिखना चाहती हूँ ”| बुधनी ने पहली बार किसी चीज में इतनी उत्सुकता दिखाई थी जिसे देखकर हम सभी दंग रह गए और मुझे बहुत ख़ुशी महसूस हुई | बुधनी बोर्ड पर लिखने आयी | जैसे उसकी साथी शब्द बोलती वो बिना रुके लिख देती | उसकी साथी को window पढने में दिक्कत हो रही थी पर उसने सुना और समझ बनाया की यह window बोलना चाह रही है |
दूसरे समूह से पढने वाली बच्ची को 1-2 शब्दों को पढने में दिक्कत महसूस हो रही थी पर उसने अपनी साथी का पूर्ण सहयोग किया | लिखने वाली बच्ची अगर लिखने में रुक जाती तो वो उसे अपनी ओर देखने के लिए बोलती |
तीसरे समूह में पढने वाले को भी थोड़ी दिक्कत महसूस हो रही थी और लिखने वाले को भी |शायद वो बोर्ड पर आकर घबरा गयी थी | उसके सहयोगी के द्वारा शब्द दिखाये जाने के बावजूद वो शब्दों को गलत लिख रही थी पर उसके साथी ने उसका खूब साथ दिया और अधिकांश शब्द सही लिखवायें|
चौथे समूह में लिखने और पढने वाली दोनों ही लड़कियों ने अपना काम जल्दी-जल्दी कर लिया | एक शब्द को देखकर बोलती चली गई और दूसरी बिना पीछे देखे लिखते चली गई |
मैंने कक्षा को फिर से समूह अभ्यास में बाँट दिया जिसमे सभी को अपने सामने वाले को उस वस्तु की ओर इशारा करके उसका अंग्रेजी में नाम पूछना था | 2 लड़कियों को छोड़कर सभी ने इस अभ्यास का पूरा आनंद लिया | जैसे मानो वो आपस में खेल रही हों |
मैंने कक्षा को यहीं रोका और अगले दिन के लिए सभी को अपनी-अपनी तैयारी खुद से करने को कहा |
अगले दिन जब मैं गयी तो मैंने बारी-बारी से 6-8 लड्कियों को बुलाया और बोर्ड पर उन्ही शब्दों को लिखने को कहा | जब एक लड़की लिख लेती थी तो 3-4 लड़कियां इसको चेक करने आती थी की इसने सही लिखा है या गलत | इस प्रक्रिया में सभी लड़कियां बारी-बारी से बोर्ड पर आयी |
परिणाम: यह अभ्यास मेरे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ | मैंने कम समय में सभी लड़कियों को जान लिया कि किसे कहाँ दिक्कत हो रही है, कैसी दिक्कत हो रही है, किसने अच्छा प्रयास किया और किसने प्रयास करने में कमी की | उन दो लड़कियां जिन्होंने अपना हाथ शुरू से नहीं उठाया अंततः उन्होंने भी 6-7 शब्द बोलना सीख ही लिया चाहे वे न लिख पायें |