Monday, April 27, 2020

i-Saksham edu-leaders के अनोखे प्रयास: बच्चे न रहें शिक्षा से वंचित!

पूरे विश्व भर में जहाँ एक और कोरोना जैसी महामारी से जन-जीवन अस्त व्यस्त है, वहीँ दूसरी ओर बच्चों की पढाई भी बहुत प्रभावित हुई है| ख़ास तौर पर ग्रामीण व् पिछड़े वर्ग के बच्चों की शिक्षा तो मानो रुक सी गयी है| परन्तु कहा जाता है ना- संकट के समय ही हम अपनी क्षमताओं को जान पाते हैं! कुछ ऐसी ही क्षमताओं का उदाहरण i-सक्षम के edu-leaders ने पिछले 3 हफ़्तों में दिया है|
लॉकडाउन होने के बाद से ही बच्चों की पढाई को लेकर edu-leaders ने अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाएं हैं| जहाँ एक और edu-leader प्रवीण ने बच्चों को online गणित पढाना शुरू किया वहीँ दूसरी और edu-लीडर अंशु अपने किराने की दूकान से बच्चों को अभ्यास सामग्री देती नज़र आई| इन सभी युवाओं ने अपने द्वारा लिए गये इन कदमों के बारे में साझा किया है| आईये उन्ही की लेखनी के माध्यम से उनके अद्भुत कार्यों की समझ बनाते हैं-


प्रवीण -

नमस्कार!!  मेरा नाम प्रवीण है, और मैं i-Saksham फैलोशिप के द्वातिया बैच का एक फैलो हूं । मैं आप सभी को लॉक डाउन के दौरान हमारे द्वारा चलाए जा रहे ऑनलाइन क्लास के बारे में बताना चाहता हूं कि कैसे हम मोबाइल और अभिभावकों की सहायता से बच्चों तक शिक्षा पहुंचने में सफल रहे ।
इसके लिए हम सबसे पहले सभी अभिभावकों से बात कर उनका व्हाट्सएप नंबर लिया फिर क्लास के अनुसार ग्रुप बनाएं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे पहले एनसीईआरटी बुक का चैप्टर वाइज पीडीएफ  व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर कर देते हैं और  कॉन्फ्रेंस कॉल के द्वारा सभी से जुड़ जाते हैं। अब हम अपने लेशन प्लान के अनुसार पढ़ना , सुनकर लिखना इत्यादि एक्टिविटी के साथ पढ़ाने का काम करते हैं। इन सब के अतिरिक्त लेशन से जुड़े कुछ वीडियो शेयर करते हैं । यदि किसी बच्चे को कुछ ज्यादा परेशानी होती है तो उससे जुड़े वीडियो बनाकर भेज देते हैं ताकि उन्हें समझने में आसानी हो। साथ में उन्हें कुछ एप्स जैसे बोलो इत्यादि पर भी कुछ समय पढ़ने और अभ्यास करने की सलाह देते हैं। फिर आखिर में उनसे बात कर के हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे कितना और क्या पढ़ पाए? और उसे पढ़कर कितना समझ  आया ?
इस दौरान हम बच्चे के अभिभावक से  आग्रह करते हैं की वे बच्चे के पास ही रहे ताकि सेशन लेने में हमें आसानी रहे और अगर बच्चे को कोई भी समस्या हो तो वे हमें बता पाएं।

अंशु -

नमस्ते! मेरा नाम अंशु है और मैं जीविका आई-सक्षम फैलोशिप की फैलो हूँ|  जैसे ही हमे लॉक डाउन के बारे में मालूम हुआ तो सबसे बड़ी चिंता यही हो रही थी कि अब बच्चों की पढाई कैसे होगी|  हमारी एक राशन की दूकान है जो सुबह 10 से शाम 4 बजे तक खुल रही है| मेरे अधिकतर छात्रों के अभिभावक हमारी ही दुकान से सामन लेते हैं| एक दिन एक बच्चा ही सामान लेने आया तो मैंने उससे पूछा कि वो आजकल क्या पढ़ रहा है, तो उसने बताया की स्कूल बंद हैं इसीलिए वे आजकल कुछ नही पढ़ रहा है। मुझे पहले थोड़ा बुरा लगा कि बच्चों की पढ़ाई रुक गई है, पर फिर कुछ समय बाद इस समस्या के हल ढूंढे का सोचा, तब मुझे एक विचार सूझा। मुझे लगा जब ये बच्चे या अभिभावक मेरी दुकान से सामान लेने आते हैं तो क्यूं न तब मैं उन्हें कुछ प्रैक्टिस शीट व् टी एल एम दे दूं, जिससे बच्चे घर पर ही अभ्यास कर सकें और उनकी पढ़ाई पे असर ना पड़े | अभी लगभग मेरे 15-20 बच्चे अपने घर पर पढ़ रहे हैं और इससे मैं बहुत ही खुश हूं।

बाल्मीकि -

मेरा नाम बाल्मीकि है। मैं i-saksham फैलोशिप में एक Edu-leader हूं। वर्तमान में चल रही समस्या के बारे में हम सभी जानते हैं। इस समस्या के चलते बच्चों की शिक्षा में बाधा आ गई है, कुछ तो अपने शिक्षण पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं ।
मेरे मन में विचार आया कि क्यूं ना इस संकट की घड़ी में सभी साथ मिलकर सूझ - बूझ से काम लें। कुछ समय सोचने के बाद मझे कुछ सुझाव सुझे जिससे बच्चे घर बैठे आराम से पढ़ पाएं और सीखते रहें उनकी पढ़ाई में कोई बाधा ना आए, जिससे उनकी वृद्धि का स्तर ना गिरे। तो मेरे पास कुछ पहले से कुछ एल एम रखे हुए थे मैंने उन्ही के आधार पर कुछ और बनाए और अपने पास में रहने वाले सभी बच्चो को बुला कर उनको दे दिया। इन्हीं टी एल एम के माध्यम से बच्चो को उनके घर पर करने के लिए कार्य भी दे दिया और कहा कि वो दो दिन बाद आकर चेक करा लें। जब मुझे पता लगा की बच्चे अब अपने अपने घरों में बैठ कर पढ़ाई कर रहें हैं और उनके अभिभवक भी उनकी सहायता कर रहे हैं। जब दो दिन बाद बच्चे होमवर्क दिखाने आते हैं तो मैं उनको दिए गए टी एल एम को आपस में बदल देता हूं और मैं खुद से भी कुछ नए टी एल एम बना कर तैयार रखता हूं जिससे उनकी अच्छे से प्रैक्टिस हो पाए। मेरे इस प्रयास से बच्चे, उनके अभिभावक और मैं, हम सभी बेहद खुद हैं ।

तनिया -

मेरा नाम तानिया है, और मैं i-Saksham टीम की सदस्य हूँ। आज मैं आप लोगों के साथ हमारे Edu-leader साक्षी , गुलमेहर , शहनाज और किरण के एक नए प्रयास के बारे में बताना चाहती हूं। कैसे उन्होंने बच्चों को उनके  अभिभावक के सहयोग से पढ़ाने का एक नया रास्ता निकाला है जो कि काबिले तारीफ है और  उसके कुछ मुख्य अनुभव को मैं आप सभी के साथ साझा करना चाहूंगी । जैसा कि लॉक डाउन के चलते संस्था के सभी सदस्य और Edu-leader भी इस चिंता में थे कि बच्चों की पढ़ाई कैसे जारी रखी जाए। जब हम लोगों ने इस पर बातचीत की तो बहुत सोचने के बाद कई तरीके निकल के आए जिससे हम बच्चों को पढ़ा सकते थे, वो भी सरकार द्वारा नियमित सभी नियमों का पालन करते हुए । जैसे सभी ने ये बताया कि हम बच्चों को उनके अभिभवकों के सहयोग से घर बैठे ही मोबाइल के द्वारा पढ़ा सकते हैं , और इस तरह के  कई विचार सामने निकल के आए। पहले  तो हमें लगा कि ये कैसे हो पाएगा हम अभिभावकों से कैसे बात करेंगे क्या वो हमारी बात समझेंगे ? वैसे ही हमारे edu - leaders के मन में भी कई बातें आ रही थी ।  कैसे होगा दी ? कैसे बात करेंगे ? लेकिन हमारे edu - leader  ने अभिभावकों से बात की और हम जिन अभिभावकों से बात कर रहे थे ज्यादातर अभिभावक तैयार हो गए और बोला कि आप  हमारे बच्चों को किसी भी माध्यम से पढ़ा सकते  हैं और हम  सभी आपका सहयोग करेंगे ।

इसकी शुरुआत हमारी एक Edu - leader किरण ने किया। जब बच्चों को मोबाइल के माध्यम से  पढ़ाना शुरू किया तो पहले दिन सिर्फ दो ही बच्चे शामिल हो पाए और वो पालतू जानवरों के नाम सीख पाए थे । इसके ही दुसरे दिन 10 : 30 बजे  किरण के एक विद्यार्थी ने उन्हें बिल्कुल ठीक समय पर  वीडियो कॉल की तो उन्हें काफी खुशी हुई और उस दिन 12 बच्चों ने मोबाइल और उनके अभिभावक के माध्यम से पढ़ाई की। कल शहनाज़ ने इसकी शुरुआत की फिर गुलमेहर ने और आज साक्षी ने भी इसकी शुरुआत की । जब साक्षी ने अपने छात्रों को कॉल लगाई  तो एक बच्चे की मां ने कॉल उठाया और जो भी बच्चे को कार्य दिया जा रहा था और पढ़ने में दिक्कत हो रही थी, उनकी मां पूरी तरह से उनकी मदद कर रहीं थी और अंतिम में बच्चे से बात हो जाने के बाद उनकी मां से पूछा भी की आपने क्या कार्य दिया है। उन्होंने बताया और कहा की हम उसे  करवा कर थोड़ी देर में फ़ोटो भेज देंगे और उनकी माँ ने भेजा भी । जिन बच्चों के पास एंड्रॉयड  मोबाइल नहीं हैं वो कॉल में या अपने अभिभावक को अपना किए गए कार्य को सुनाते हैं । बच्चे को इस माध्यम से पढ़ना काफी अच्छा लग रहा है , वो समय पर अच्छे - अच्छे  चित्र , कहानी अपने स्तर के कार्य कर के भेज रहे हैं  । आज  जब बच्चों का कार्य  पूरा हो गया था तो एक छात्रा बोल रही थी कि दीदी मुझे और टास्क चाहिए, बताइये न और क्या - क्या करना है । मुझे ये सब देखकर काफी खुशी हो रही थी । 

गुलमेहर , शहनाज़ , किरण और साक्षी और हमारे सभी edu - leaders ने जो कार्य शुरू किया है और इतनी लगन  और मेहनत से कर रहे हैं, यह सच में काबिले तारीफ है । आप का इस समाज में कहीं न कहीं बहुत बड़ा  योगदान है  की आप इस विकट स्थिति में एक समस्या का समाधान निकाल पाए ।



“दोस्तों अगर कुछ करने की ठान लो तो आपको कोई नहीं रोक सकता
क्योंकि प्रयास और कठिन परिश्रम पर ही हमारी जीत कायम होती है ।
परेशानी कुछ भी आए अगर हम उसके आगे घुटने नहीं टेकें
और दृढ़ निश्चय कर पूरे निष्ठा भाव के साथ आगे बढ़े तो क्या नहीं हो सकता ।“

Friday, April 24, 2020

Sonam- A Story of Determination and Discipline

"Age is just a number, in order to achieve your goals, you need to be disciplined and work harder." - Sonam

Sonam Bharti


Sonam, a 20-year-old lives in Daniyalpur village, Dharhara, Munger with her mother, three siblings, and a dream: a dream to educate others. Her father works in Bangalore to earn for the family. She is punctual, zestful, sincere but besides all of that she is disciplined. Her primary education was in a Middle School, Govindpuram Jharkhand, till 8th std. She had to shift to another school named, AadarshBalika Secondary School, Dharahara for her secondary education. As there was no school nearby for Higher secondary education, so she shifted to her maternal grandmother's home and got admission in a school there only. Today, Sonam is pursuing a Diploma in Education (D Ed.) from Sri Krishna ManoramaShikshakPrashikshanMahavidyalaya, Banka, Bihar.

She loves to learn new things and teach others about it. At a very early age (i.e., when she was in 4th std.) she started teaching her younger siblings and other children nearby along with her studies. Being diligent since her childhood, she started building efforts to attain what she wants. The only dream she has is to be a teacher - she wants to teach those who can't afford education or where there is a lack of resources & awareness. Sonam wants to provide all the support required for such children to meet their educational needs. But she is also aware of the fact that educating children only is not enough. For a better-educated society the teachers need to be well trained as well. She dreams to work on training teachers in such under-resourced regions for children to become better educated. 

Her hard work and efforts reflect her ardency of becoming a teacher, as she started her 3 months teacher training with i-Saksham when she was in 11th standard. Despite the training venue being 7 km. away from her residence, she never missed any session. She knew that this training is the first step towards reaching her dream of being an educator. She progressed well in the training and when i-Saksham started its fellowship program of 2 years in the year 2017, Sonam made through it. 

As a part of her fellowship. she started teaching at Primary School, Daniyalpur (her own village) for 2 hours/day to practice her learning. Teaching through action, using teaching and learning materials, and all the other innovations in education; she experimented with everything that was being taught to her in her fellowship training. It was year 2017 when her community saw a completely different mode of teaching for the first time and was amazed at the way their children have started showing interest in learning. 


Sonam during her fellowship days


Not just the alphabets and numbers, Sonam wanted children of her village to be the better citizens of tomorrow. She progressively worked towards the holistic development of her students. From spreading awareness about health and hygiene, introducing good day-to-day habits to making children spread awareness in the community about the same, Sonam gave her every possible effort.  Today, we can acknowledge positive behavioral changes in children of her village by the way they are showing interest towards education and keeping their surroundings clean. The place she has made in the heart of people in her community was seen when one of the parent said- "We can't imagine the education of our children without Sonam".

Sonam's students leading a health march on World Health Day

  "Whenever she looks at her students and the changes, she has brought in them, she feels really happy and proud of herself," she said. "This fellowship program helped her to build her confidence and to put her views in front of others without being hesitant. She enjoyed her journey with i-Saksham" she added. 

Sonam is today a part of i-Saksham team and facilitates training of i-Saksham fellows coming from different villages. With herself being a part of the fellowship from 2017 to 2019, Sonam is leading the fellowship training really well. She is aware of the challenges a fellow faces during the fellowship and thus is a go-to person for a lot of fellows at i-Saksham.

Besides teaching and learning, Sonam loves to draw, do crafts, and write poems too. Sonam is today and inspiration and a role model for so many other girls in her community who are skeptical about taking the very first step towards their dreams. As Sonam stood up for her dreams, a few more girls from her community joined i-Saksham fellowship program and are today working hard for their dreams. Sangeeta, a neighbour of Sonam is today a part of i-Saksham fellowship and is teaching in the same school where Sonam taught during her fellowship. Inspired by Sonam and her work, Sangeeta is experimenting with her creativity every single day to create a better learning space for children in her society. 

We need more such youth in the society who can stand up for their dreams and community to make it a better place. Here are some words for all girls like Sonam-

“Just like the stars, I belong to that sky
I have also dreamed of flying high
Odds can suffer me, I won't let my dreams die
Dreams don't come true with a blink of eye
You need to focus, work hard & try
People keep asking me -"I’m doing this why?"
Because I know one day,I'll fly high
I know one day I'll reach that sky...”