Friday, September 21, 2018

A poem by i-Saksham fellow Kanak Kumari

भगवान अगर तुम बच्चे होते !

भगवान अगर तुम बच्चे होते
और हम होते भगवन
इस दुनिया में दिखलाते फिर
हम तुझको अपनी शान।

बहता नदियों में कोका-कोला
खेतो में उगते रसगुल्ले
पतंगे उड़ती डालो पर और
आसमान में डोर के गुल्ले।

आइसक्रीम के होते पहाड़
शक्कर के सब रेगिस्तान
टॉफ़ी बिस्कुट के जंगल होते
और मिठाई के मकान।

चाहे कुछ भी करते लेकिन
ऐसी कभी न करते भूल
इस धरती पर कहीं न
होते पाठशाला और स्कूल।


                          ---- कनक