Friday, September 22, 2023

हाथों से छूटा बेलन और हुई Voice & Choice से मुलाकात

आज मैं आप लोगों के साथ एक समर कैंप के अनुभव को साझा करने के लिए आई हूं। यह कैंप शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के उद्देश्य से जून माह- 2023 में  हसनपुर गांव में आयोजित किया गया था। हसनपुर NH-2 से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां जाने के लिए गाड़ी की भी सुविधा नहीं है क्योंकि यहां 80% SC समुदाय के लोग रहते हैं, जो गया जिले में भुइंया समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं।

हमारे संगठन के एडू-लीडर्स द्वारा इस समर कैंप का आयोजन किया था, जिसका “मुख्य उद्देश्य गांव की कक्षा 6-8 के बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा करना था।”

हाथों में किताबों की जगह बेलन

इस गांव की एक साधारण समस्या थी कि बहुत सी लड़कियां कक्षा के अनुसार पढ़ाई नहीं कर पा रही थीं। इसका मुख्य कारण था कि इन लड़कियों को घर के कामों (खाना बनाना, झाड़ू पोंछा आदि) में लगना पड़ता था। यही कारण है कि उन्हें विद्यालय जाने का अवसर नहीं मिल पाता था, जिस कारण उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि नहीं जागृत हो रही थी। 

इस समस्या को समझने के लिए i-Saksham और Pratham ने मिलकर गांव में समर कैंप का आयोजन किया और इसमें एडूलीडर्स की मदद ली गई।

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पता चला शिक्षा का महत्व

सोनाली नामक एक लड़की की माँ एडू-लीडर प्रियांजलि से मिलने आई। सोनाली की माँ ने बताया कि सोनाली को पढ़ने का शौक है, लेकिन सोनाली घर के कामों में इतना व्यस्त रहती है कि उसे पढ़ाई के लिए समय ही नहीं मिलता है। प्रियांजलि ने सोनाली की माँ को समझाते हुए कहा, “एक बेहतर शिक्षा सोनाली के जीवन को समृद्ध बना सकती है, और वो अपने घर के कामों के साथ-साथ अपनी पढ़ाई के लिए भी समय निकाल सकती है।"

इस चर्चा के बाद सोनाली की माँ ने अपने मन में एक नई सोच विकसित की और उन्होंने सोनाली को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया। उसे प्रियांजलि के घर, रोजाना पढ़ने के लिए भेजने का फैसला किया। हालांकि पहले दिन सोनाली एडू-लीडर के सामने काफी झिझक महसूस कर रही थी।

और सोनाली ने सीखा वाक्य निमार्ण

सोनाली को पहले कुछ दिनों तक सिर्फ अक्षर पहचानने में काफी मुश्किल होती थी लेकिन उसकी ईमानदारी और मेहनत से उसका स्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा और वह अक्षर से वाक्य बनाने लगी। धीरे-धीरे वह शब्दों की पहचान करने लगी और वाक्य बनाने में सफल हुई। उसके बाद वह पढ़ने का अभ्यास करने लगी।

इसके बाद प्रियांजलि ने सोनाली की अंग्रेजी विषय में भी मदद की। उसे अल्फाबेट की पहचान करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का उपयोग करके अल्फाबेट सीखाया। उसकी प्रगति देखकर प्रियांजलि ने उसे छोटे और बड़े शब्दों की पढ़ाई करवाई, जिससे उसका अधिक विकास हुआ और इसे देख कर सोनाली की मम्मी काफी गर्व महसूस कर रही थी एवं एडू-लीडर के प्रति कृतज्ञ महसूस कर रही थी।

अन्य लड़कियां हुई जागरुक

गणित में भी सोनाली की मदद की गई। उसे गतिविधियों के माध्यम से उसे गिनती, जोड़ और गुणा सीखाया। आज सोनाली गांव की विद्या के प्रति अपने आवश्यक उत्साह और प्रतिबद्धता से स्कूल जाती है। उसका यह प्रयास न केवल उसके जीवन को बेहतर बनाने का माध्यम बना बल्कि उसने दूसरी गांव की लड़कियों को भी शिक्षा के मार्ग में प्रेरित किया।

इस तरह के प्रतिदिन के अभ्यास से सोनाली की पढ़ाई में सुधार आने लगा और अब वह प्रतिदिन स्कूल जाने लगी है। उसके प्रयासों और समर्पण के बावजूद उसके रास्ते में कुछ बाधाएं थीं लेकिन वह हर मुश्किलों को मात देती रही।

Choice से हुई मुलाकात

एडू-लीडर ने सोनाली को समझाया कि शिक्षा ही उसका भविष्य निर्माण कर सकता है। प्रियांजलि ने उसे समर्थन और प्रेरणा देने में अपना योगदान दिखाया। यह सबकुछ एडू-लीडर के निरंतर संघर्ष के फलस्वरूप हुआ, जो शिक्षा के प्रति एक सकारात्मक रूप से शिक्षिका बनने की भावना से चल रही थी।

इस अनुभव से हमें यह सीखने को मिलता है कि सफलता के लिए उत्साह, समर्पण और मेहनत की आवश्यकता होती है। हम उन प्रत्येक प्रयास को सलाम करते हैं, जो आपको आपकी मंजिल के करीब ले जाते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपकी यह सक्रियता और प्रेरणा लड़कियों को शिक्षा की ओर बढ़ाने में मदद करेगी।

इन वाकयों को देखकर मुझे गर्व होता है कि एडू-लीडर पूरी तत्परता के साथ अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। इस समर कैंप के माध्यम से समाज के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता करने का अवसर मिला। हम आशा करते हैं कि इस तरह के और समर्थक कार्यों के माध्यम से हम शिक्षा में सुधार और समाजिक उन्नति को गति देने में योगदान करते रहेंगे।

इस अनुभव को अदिबा ने कलमबद्ध किया है। वे अपने बारे में लिखती हैं- 

मेरा नाम अदिबा है। मैंने इतिहास विषय से साल 2020 में स्नातक पूरा किया है। वर्तमान में मैं आई-सक्षम में बड्डी रोल में काम करती हूं और साथ ही विमेंस डेवलपमेंट में डिप्लोमा भी कर रही हूं। मुझे कार चलाना, मेकअप करना, स्टोरी पढ़ना और चाईनीज़ डिशेज़ बनाना पसंद है। मैं एक IPS ऑफिसर बनना चाहती हूं।


Monday, September 11, 2023

voice & choice के लिए कलम भी बन सकता है एक जरिया

मुजफ्फरपुर बैच 9 की लवली ने अपने कक्षा अवलोकन का अनुभव साझा किया है। वे 17 अगस्त 2023 को बड़ी कोठिया, पंचायत मुशहरी, प्रखंड मुशहरी, जिला मुजफ्फरपुर स्थित ‘उत्क्रमिक मध्य विद्यालय कोठिया दाखिला’ में अपने बैच-9 की एडू-लीडर चुनचुन के स्कूल गई थी। वहां उन्होंने देखा कि एडू-लीडर चुनचुन बच्चों को एक्टिविटी के माध्यम से पढ़ा रही थी। कुछ बच्चे स्वयं आगे आकर अपने साथियों के साथ बोर्ड पर लिखकर चुनचुन द्वारा सिखाए गए गणित विषय में कोणों को बता रहे थे।


जब वे कक्षा अवलोकन कर रही थीं, तो उनकी नज़र लगभग 8 साल की एक बच्ची पर पड़ी। उन्होंने देखा कि चुनचुन उस बच्ची को ऊंगली के इशारों से गिनती सीखा रही थी। वहीं बच्ची अपना सिर हिलाकर "हां" और "ना" में जवाब दे रही थी। लवली उस बच्ची के पास गई और चुनचुन से पहले उस बच्ची का नाम पूछा। चुनचुन ने उन्हें बताया कि उस बच्ची का नाम प्रीती है। 


इशारों के पीछे का रहस्य 


लवली ने फिर चुनचुन से पूछा, “आप इसे इशारों में क्यों पढ़ा रही हैं? इस सवाल के जवाब में चुनचुन ने बताया कि प्रीती बोल नहीं सकती है। इतना सुनने के बाद लवली अचंभित हो गई क्योंकि चुनचुन द्वारा किये जा रहे इशारों को प्रीती बहुत अच्छे से समझ रही थी। साथ ही सलीके से और बिल्कुल सही-सही लिख भी रही थी। लवली भी उस बच्ची के पास जाकर बैठी गईं और प्रीती को 1 से 10 तक की गिनती इशारों में बताया। इसके बाद प्रीती ने लवली द्वारा सीखाये गये गणित की गिनती को कॉपी में लिखकर भी दिखाया। 


प्रीती और लवली एक साथ काफी घुल-मिल गये थे। चुनचुन ने लवली को बताया कि प्रीती प्रतिदिन स्कूल आती है और उसे पढ़ने की बहुत इच्छा है। बातों-बातों में चुनचुन थोड़ी भावुक भी हो गई। उनका कहना था कि कोठिया गांव के सभी बच्चे स्कूल आते हैं मगर यहां बच्चों को घर पर पढ़ने की सुविधा नहीं हैं, क्योंकि इस गांव में अधिकतर बच्चों में किसी ना किसी की मम्मी नहीं हैं, तो किसी के पापा नहीं। साथ ही बच्चों के साथ समय बिताते-बिताते उनके साथ जुड़ाव हो जाना लाजिमी है। 


लवली और प्रीती



आवाज़ उठाने के लिए कलम


लवली ने महसूस किया कि चुनचुन के अंदर नेतृत्व करने और हर परिस्थिति का हल निकालने की दक्षता आ गई है। चुनचुन चाहती हैं कि वे हर बच्चे को ना केवल शिक्षित कर सकें बल्कि स्मार्ट गोल कैसे बनाते हैं, अपनी आवाज़ कैसे रखते हैं, ये सारे गुर सीखा सकें। लवली के अनुसार चुनचुन ने प्रीती के अंदर लेखन का बीज बोया है, जिसकी मदद से प्रीती इतना तो जान गई है कि जो लोग बोल नहीं पाते हैं, वे भी अपनी आवाज़ उठा सकते हैं। इसके लिए कलम ही उनका हथियार है, जिसे चुनचुन को प्रीती को बखूबी समझाया है। 


हम उम्मीद करते हैं कि voice & choice का ये सिलसिला अनवरत चलता रहे। कहीं बोल कर तो कहीं लिख कर लेकिन कारवां रुकना नहीं चाहिए। इक कड़ी में दुष्यंत कुमार की पंक्तियां याद आती हैं, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।