Tuesday, November 27, 2018

क्या मैं भी?


एक भीड़, दौड़ते-खेलते उत्साह से भरे बच्चे जो हर गतिविधि में भाग लेने के लिए पूरे जोश से भरे है और अपनी बारी के इंतज़ार में लगे हैं |

 स्कूल के हर थोड़ी दूर पर बनी अलग-अलग गतिविधि के काउंटर पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लाइन में खड़े बाल उत्सव का आनंद ले रहे |

उस भीड़ में एक बच्ची सामने आकर बोलती है “भैया, हम भी भाग लेंगे”, मैंने पूछा “किसमें भाग लोगे?” तब तक पास खड़े एक बच्चे ने कहा “सर ई पागल है, आप जाइये” मुझे लगा ये मजाक कर रहा है या इसे चिढ़ा रहा है “मैंने फिर उससे पूछा “बोलो किस्में भाग लोगे?” फिर उस बच्चे ने बोला “सर इसका दिमाग ख़राब है, इसको रहने दीजिये” मुझे थोडा गुस्सा सा आया “मैंने उससे कहा, तुम ठीक हो ना-जाओ अपने काउंटर पर जाओ” | फिर जब मैंने उससे अलग-अलग गतिविधि के बारे में पूछा तो उसने चित्रकारिता में भाग लेने में अपनी रूचि दिखाई, उसे उस रूम में ले गया जिसमें चित्रकारिता हो रही थी | जब मैंने शिक्षिका से उसका नाम लिखने को कहा, वहां भी उपस्थित 4-5 बच्चे एक साथ उसे पागल-पागल कहने लगे और मुझे सलाह देने लगे की “सर ई तो पागल है इसका दिमाग ख़राब है- ये नहीं बना पायेगी इसको नहीं आता है|” मुझे बहुत गुस्सा आया मैंने सब को शांत रहने को और अपना पेंटिंग पर ध्यान देने को कहा | फिर उसे पेंटिंग बनाने के सारे-साधन दिए और मैं वहां से अपने गतिविधि के काउंटर पर चला आया|


मुझे आश्चर्य तो तब हुआ जब प्रदर्शनी के समय सब बच्चे अपना-अपना चित्र दिखा रहे थे मैं भी देख रहा था और जो बच्चे उसे पागल और न जाने क्या-क्या कह रहे थे उन सबसे उस बच्चे की पेंटिंग अच्छी दिख रही थी (तुलना एक सोच मात्र का था) और वहां पर भी उसके पेंटिंग को देख वे बच्चे हंस रहे थे |

इस पूरे दृश्य ने मुझे बहुत सोचने पर मजबूर किया, बच्चे जो आगे चल कर समाज की एक मजबूत कड़ी बनते है उनमें ये कैसी भावना जागृत हो रही है, कैसे समाज में सहभागिता की सोच को विकसित किया जायगा, कैसे हम बच्चों में फर्क न कर सभी के अन्दर की प्रतिभा को सराहा जा सकेगा | इसमें कोई शक नहीं की हर बच्चे के अन्दर अपनी एक अलग प्रतिभा है जिसे बस मौका देने की जरुरत है उसकी भागिता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है |

पंचायत सरारी गाँव में “i -Saksham द्वारा कराये जा रहे  बाल उत्सव के अनुभव पर आधारित


अमन प्रताप सिंह
सदस्य I-Saksham

Friday, September 21, 2018

A poem by i-Saksham fellow Kanak Kumari

भगवान अगर तुम बच्चे होते !

भगवान अगर तुम बच्चे होते
और हम होते भगवन
इस दुनिया में दिखलाते फिर
हम तुझको अपनी शान।

बहता नदियों में कोका-कोला
खेतो में उगते रसगुल्ले
पतंगे उड़ती डालो पर और
आसमान में डोर के गुल्ले।

आइसक्रीम के होते पहाड़
शक्कर के सब रेगिस्तान
टॉफ़ी बिस्कुट के जंगल होते
और मिठाई के मकान।

चाहे कुछ भी करते लेकिन
ऐसी कभी न करते भूल
इस धरती पर कहीं न
होते पाठशाला और स्कूल।


                          ---- कनक 

Tuesday, July 24, 2018

Prince writes about fellowship session 01th July 2018, with 2nd Batch of Fellows


Experience of 10th Fellowship session with 2nd batch of i-Saksham Fellows


इस सप्ताह सत्र -१० की प्रशिक्षण हुई  | इस सत्र में बच्चों के  Baseline  कक्षा १ जांच के प्रश्न पुस्तिका पर चर्चा हुई  कि किन –किन तरह के सवाल बच्चों को हल करनी है एवं शिक्षक अपने बच्चों को किन –किन तरह के प्रश्नों को अभ्यास करवा सकते है | पिछली सत्र में, मैंने साथियों (Fellows) के साथ MG( Multigrade) एवं  ML(Multilevel) कक्षा  पर बातचीत की थी एवं साथ ही साथ इस कक्षा में समूह में कैसे पढ़ाएंगे| इस कक्षा में उन्हें समझनी है कि अलग –अलग स्तर के बच्चों को समूह में किन –किन ट्रक के सवाल का अभ्यास करवाया जा सकता है |

सभी साथी (Fellow ) समय पर प्रशिक्षण केंद्र पर उपस्तिथ हो गए थे | कुछ साथी देरी से पहुचें क्यूंकि उन्हें ट्रेन से आना पड़ता है | हमेशा की तरह , मैंने प्रशिक्षण का आरम्भ गतिविधि से किया | गतिविधि _”कुम्हार और मिटटी” से साथियों को अवगत किया | इस गतिविधि को जोड़े में खेलनी थी, जिसमे से एक साथी को  मूर्ति बननी थी एवं दुसरे को कुम्हार | अब सभी साथी को एक दुसरे के मूर्ति को देखकर अनुमान लगानी  है कि मूर्तिकार ने क्या बनाया है ?



हम सब ने साथ में २ मिनट का ध्यान किया | प्रतिभागियों के कहने पर, मैंने इस सत्र में एक गाना  Play  किया था | गाने के बोल थे- एक तू ही भरोसा है | हर सत्र में गाने के धून को बजाया जाता था| इस बार कुछ विचार आया कि क्यों ना कुछ नया किया जाए एवं साथियों की प्रतिक्रिया समझा जाए | प्रतिभागियों को भी अच्छा लगा | मैंने साथियों से कहा कि अब आने वाले सप्ताह से आप में से ही किसी को करना है |मैंने साथियों से पुछा कि कौन Volunteer करना चाहेंगे | एक साथी(शहर  बानो) ने हामी भरी और कहा कि अगले सप्ताह वो इसे  अपने साथियों के साथ करेंगी|      

मै अब साथियों के साथ सत्र को आगे बढाया – अब समय था कि पिछले सप्ताह के अनुभव पर चर्चा हो| मैंने सभी साथियों का तीन  अलग –अलग समूह बनाया और सभी समूह  के लिए एक प्रश्न दिया| अब सभी साथियों को समूह में सोचना है एवं आपस में चर्चा कर presentation देना है |

इन सभी  सवाल पर चर्चा हो रहे  थे :-
·         अभी तक,जो भी सत्र हुए है , उनका क्रम क्या था ? पहले सत्र से अभी तक क्या –क्या हुआ ?
·         अभी तक के सत्र में कौन –कौन ऐसी ५ विषय है जिसे आप बेहतर रूप से सीखे है एवं कौन ऐसी ५ चीज़ें है जिसे आप समझ नहीं पाए है और उसे फिर से समझना चाहते है ?
·         ट्रेनिंग में सीखी हुई ऐसी कौन सी ऐसी ५ चीज़ें है, जिसे आप बच्चों के साथ  लागू कर दिए है ? कौन-कौन  सी ऐसी चीज़े है जिसे आप अपने केंद्र के बच्चों के साथ करना चाहते है ?

        सभी साथियों ने अपने समूह में चर्चा कर Present किया |
मैंने सभी साथियों को उनके केंद्र के बच्चों का असर टेस्ट का जांच कॉपी दिया |अब उन्हें अपने केंद्र के बच्चों का उनके स्तर के हिसाब से समूह बनाना है एवं सभी के सामने पेश करना है | सभी प्रतिभागी अपने –अपने समूह में चर्चा कर विषयवार समूह बनाए और उसे सभी लोगो के सामने पेश किया |


 अब सत्र का आधा से समय बीत गए थे | मैंने महसूस किया कि साथी अब break लेना चाह  रहे है | मैंने सभी साथियों से पुछा कि अब क्या break लेना चाहिए | अचानक एक साथी ने कहा , कि break होनी चाहिए | सभी  साथी को 15 मिनट का  break मिला| कुछ साथी अपने घर से लेकर आए हुए  Lunch  करने लगे तो कुछ  अपने दोस्तों से बात करते हुए इधर –उधर विचरण कर रहे थे|

Break के बाद सभी साथी पुनः प्रशिक्षण कक्ष में बैठ गए| मैंने फिर से  3 समूह बनाए , सभी समूह में एक mentor भी बैठे हुए थे| अब मैंने सभी साथियों को  Baseline Class-1 Hindi Test Paper  दिया | सभी साथियों को  Test Paper में सवाल देखने थे –उन्हें भाषा के स्तम्भ –सुनना ,बोलना ,लिखना  एवं पढना के सवाल को समझना था | सभी साथी अपने समूह में चर्चा करने लगे | साथियो को बताने थे कि इनमे से कौन –कौन से सवाल पढने वाले,बोलने वाले और कौन –कौन से पढने और लिखने वाले है |





मैंने बोर्ड पर चार खंड बनाए जहाँ १.सुनना २. बोलना ३.पढना ४. लिखना | सभी प्रतिभागियों से प्रत्येक सवाल के बारे में पूछ रहा था कि ये सवाल भाषा में किस सूचक को प्रदर्शित कर रहा है | सभी साथी अपना मत रख रहे थे | कुछ समूह का कहना था कि सभी सवाल में बहुत सारी  चीज़े समान है जैसे कि अगर कोई सवाल लिखने वाला है | फिर भी पहले बच्चा पढ़ेगा, तभी लिखेगा | लेकिन पढने के साथ –साथ समझेगा फिर ही वो लिख पाएगा | एक साथी के अनुसार सुनना फिर बोलना एक समझना भी है | क्या हम  इसे भी भाषा के सूचक के रूप में देख सकते है | अगर हम कुछ बोलते है तो बच्चा समझता है तभी वो समझ कर अपनी बात रख पाता  है | मै उनसे सहमत था और काफी बेहतर महसोस कर रहा था कि साथी चीजों को गहराइयों में जाकर समझ पा रहे थे |



 अब हम सवाल संख्या ५ की बात करे तो यहाँ साथियों का कहना था कि ये सवाल का केंद्र बिंदु  “बोलने” वाला है , लेकिन  बच्चा यहाँ सुनने का भी काम कर रहा है तो पहले यहाँ सुनना है फिर बोलने की क्रिया हो रही है |
सवाल संख्या १३ में, ये सवाल लिखने वाले है , लेकिन इससे पहले बच्चा या शिक्षक पहले पढेंगे ,समझेंगे तब लिखेंगे | एक साथी के अनुसार , कुछ सवाल को  स्तिथिजन्य तरीकों से भी करवा सकते है क्यूंकि कक्षा -१ के सभी बच्चें को सही तरीकों से पढने में कठिनाई होती है | तो यहाँ शिक्षक को सवाल खुद पढ़ कर समझाना पड़ेगा, फिर बच्चें सवाल को हल कर पायेंगे|
कुछ साथियों के अनुसार (काजल ,रूपा ,मीनाक्षी ,शबनम ,प्रशांत) कि हम बच्चों के स्तर के अनुसार समूह में इस तरीको के सवालों का प्रयास भी करवा सकते है | इस तरीकों का सवाल हम खुद से भी कहानी और कविता पढ़ाने  के समय बना कर अभ्यास करा सकते है |
अब सत्र का समापन का समय हो चूका था | सभी साथियों को अंग्रेजी एवं गणीत का  Baseline Test Paper दिया गया  कि वो अगले सत्र में इसे बच्चों के स्तर के अनुसार समझ के आएंगे कि अलग-अलग स्तर के बच्चों को विषयवार किन –किन तरह के सवालों का अभ्यास करवाया जा सकता है | अगले सप्ताह ,हम सभी  साथी पुनः इसपर चर्चा जारी रखेंगे |

Feedback from mentor:-

·         Wakil Ji – कुछ साथियों को  Confusion हो रहा था ,लेकिन वो गहराइयों में जाकर समझ पा रहे थे | पहले मुझे भी   कुछ  Confusion  था | लेकिन चर्चा के बाद काफी कुछ स्पष्टता के साथ समझ बन पाई | कुछ साथी पिछले सत्र में अनुपस्तिथ थे, उन्हें MG और ML की समझ नहीं थी |

·         Dharmveer – एक प्रतिभागी (सिन्धु) ‘कुम्हार और मिटटी” की गतिविधि को करने में असहजता महसूस कर रही थी | मुझे काफी बेहतर लगा कि पिछले सप्ताह के अनुभव के समय सभी साथियों का अभ्यास हो गया और वे शुरू से लेकर अभी तक के सत्र का अभ्यास कर पाए |Meditation में Volunteer  साथियों द्वारा करने का तरीका काफी बेहतर लगा |सभी साथी Aser  के अनुसार समूह बनाना बेहतर रूप में समझ पाए | एक साथी (रूपा) शुरू में Participate कर रही थी , लेकिन सत्र के अंत में  Involve  नहीं थी |हम इस बैच में भी  Session  Symbol  बनाना बोल सकते है |

·         Kaifee –ये एक  Tough Discussion  है | इसे कोई भी एक बार में नहीं समझ सकता | लेकिन प्रतिभागी अलग-अलग सवालों को गहराइयों में जाकर समझ पा रहे थे| एक प्रतिभागी (प्रशांत) ट्रेनर को अगले सवाल पर चले जाने के बाद, पहले सवाल पर वापस आकर चर्चा कर रहे थे|

Particpants -11
Buddy’s from team-4