-रोहित कुमार
कभी- कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी आ जाती हैं जिसमे हमे सावधानी बरतने की जरुरत होती है| और यही बात अगर बच्चों से जुड़ी हो तो वो और भी जरुरी और जिम्मेदारी पूर्ण हो जाती है| कुछ ऐसी ही एक समस्या का हल हमारी एक एडू-लीडर ने अपनी सूझबूझ से निकाला|
यह कहानी साक्षी की है | साक्षी जीविका आई-सक्षम फ़ेलोशिप कार्यक्रम के प्रथम बैच की एडू-लीडर हैं| साक्षी का घर मुंगेर जिला के फरदा गांव में स्थित है जो की गंगा नदी किनारे बसा हुआ है| यहां जब भी बारिश होती है तो पूरे आसपास के इलाके जलमग्न हो जाते हैं| इसके कारण लोगों को कहीं आने- जाने में बहुत दिक्कत होती है | साक्षी भी उन्हीं लोगों में से एक है |
साक्षी अपने ही गाँव के प्राथमिक विद्यालय में रोज़ ढाई घंटा बच्चों को पढाती हैं| कोरोना में स्कूल बंद हो जाने के चलते वे social distancing व् अन्य बचाव का पालन कर बच्चों को घर पर ही पढ़ा रही थीं| कुछ सप्ताह पहले साक्षी के गाँव में कुछ दिनों तक लगातार वर्षा हुई जिससे इनका पूरा क्षेत्र जल - थल हो गया और बच्चों को पढने आने में दिक्कत होने लगी | साक्षी इस तरह की स्थिति को देख बहुत चिंतित हुई | उन्हें इस बात का अच्छे से ज्ञात था की बच्चे अगर इतने पानी में आएंगे तो डूब भी सकते हैं और कोरोना का भी भय बना रहेगा |
यह सब देखते हुए साक्षी ने सावधानी बरती और बच्चों को कुछ दिनों केे लिए पढने के लिए आने से मना कर दिया | उन्होंने बच्चों को यह सूचित कर दिया कि जब तक बारिश थम ना जाए तब तक कक्षा नहीं होगी | बच्चों केे अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित थे | वे साक्षी के शिक्षण से बहुत प्रभावित भी थे | बच्चों की पढ़ाई रुक ना जाए इसके लिए उन्होंने साक्षी को फोनने कर उनसे बच्चों को अपने घर आकर पढ़ाने के लिए कहा | साक्षी भी बच्चों को पढ़ाना चाहती थी लेकिन रास्ते में पानी जम जाने के कारण साक्षी उनके घर जाने में असमर्थ थी| साथ ही साथ कोरोना का डर भी मंडरा रहा था|
जहाँ साक्षी एक और बच्चों की पढाई को लेकर चिंतित थी वहीँ दूसरी और उन्हें इस बात की ख़ुशी थी कि किस तरह बच्चों के अभिभावक ऐसी स्तिथि में भी बच्चों की शिक्षा के प्रति चिंतित हैं और उन्हें पढ़ते देखना चाहते हैं| साक्षी ने अभिभावकों को अच्छे से समझाया की बारिश से हुई जलजमाव के कारण वे अभी बचों को अपने पास बुलाकर पढाने में असमर्थ हैं परन्तु अगर अभिभावकों का सहयोग हो तो वे बच्चों को फ़ोन के माध्यम से पढ़ाएंगी| अभिभावकों को साक्षी की इस बात से बहुत ख़ुशी हुई और वे सहयोग करने के लिए राज़ी हो गये|
अभिभावकों के सहयोग से साक्षी फ़ोन के माध्यम से बच्चों को एक मुश्किल भरे वक़्त में भी शिक्षा पहुँचा पायी और बच्चे पढाई से जुड़े रहे| अब साक्षी केे यहाँ जलभराव की स्तिथि खत्म हो चुकी है परन्तु विद्यालय कोरोना के चलते अभी भी बंद है| साक्षी बच्चों को अब घर पर पढ़ा रही हैं| वे कोरोना सम्बंधित सभी बचाव के नियमों का पालन कर रही हैं और जो बच्चे उन तक पढने नही आ रहे हैं उनसे व् उनके अभिभावकों से फ़ोन के माध्यम से जुड़ रही हैं| वे हर हाल में अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ें रखना चाहती है| उनके इस जज़्बे से बच्चों के अभिभावक भी बहुत प्रभावित हैं और उनका विशवास भी साक्षी के ऊपर बढ़ा है|
साक्षी जैसे edu-लीडर हमारे समाज में शिक्षा की एक नई उम्मीद जगा रहें है और साथ ही साथ इस बात का प्रमाण हैं कि देश के युवा देश को प्रगति की और ले जाने में सक्षम हैं|