अनुभव जब आपको अलग उत्साह दे तो वो हमेशा आपकी यादों के पन्नों में चिन्हित हो जाता है। हम हमेशा ऐसे अनुभवों से सीखते हैं जो हमे और आगे ले जाते हैं और हमारे मन में कुछ नया सीखने की उमंग भर जाते हैं। ऐसा ही कुछ हमारे स्टूडेंट्स के साथ फ़ोन द्वारा हो रही कक्षा में हुआ|
मेरा नाम स्मृति है और मैं i-Saksham में एक edu-leader हूँ। मैं और मेरे साथी edu-leaders मिल कर बच्चों को पढ़ाते हैं और उनकी सहायता करते हैं कि वे कुछ नया सीखें और आगे बढ़ें। मार्च के माह में महामारी के कारण सरकार के निर्देशानुसर पूरे देश भर में लॉक डाउन कर दिया गया। इस लॉक डाउन जैसी परिस्थिति में बच्चों को पढ़ाना नामुमकिन-सा ही लग रहा था परन्तु सभी के विचार करने के बाद एक उपाय सूझा -"फोन द्वारा बच्चों को पढ़ाने का"। जब यह तय हुआ कि बच्चों को फोन से पढ़ाया जाएगा तब हम सभी edu-leaders को इसके लिए तैयार किया गया ताकि हम बच्चों को सही से पढ़ा पाएं। जब बच्चों को फोन से पढ़ाना शुरु किया तब शुरुआती दौर में हमें बहुत-सी दिक्कतें हुई क्यूंकि ये सब हम सभी के लिए नया और कुछ अलग था। लेकिन अब हम सभी बच्चों को ठीक तरह से पढ़ा पा रहे हैं।
मैं अभीकस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की कक्षा 7 की 19 छात्राओं को फोन के माध्यम से पढ़ा रही हूँ।आज का सेशन शुरू करने के लिए जब मैंने सभी बच्चियों को कॉल किया तो मैं सभी से सफलतापूर्वक जुड़ पाई और पढ़ाना शुरू किया। इस तरह घर बैठे पढ़ने में अब बच्चियों को भी बहुत मज़ा आता है।
मुझे याद है जब पहले दिन हमें बच्चियों को फोन से पढ़ाना था तब मैंने अपना लक्ष्य 8 बच्चियों से जुड़ने का रखा था। जब सेशन शुरू किया तब मैं सिर्फ 3 बच्चियों से ही जुड़ पाई थी। जिसमें भी काफी शोर हो रहा था। कुछ ही दिनों में बच्चों की संख्या में भी ब्रद्धी हुई और शोर होना भी बिल्कुल बंद हो गया था। उन्हें पढ़ना और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा। एक - दो बच्चियों के जिनका नंबर हमारे पास नही था तो उन्होंने हमें ख़ुद से कॉल किया और बोलीं कि - "दीदी आप बाकी बच्चों को पढ़ाते हो, हमें क्यूं नहीं पढ़ाती हो।" उनकी बात सुन के मुझे उनका पढ़ाई के प्रति निष्ठाभाव दिखा। तीन बच्चियां ऐसी भी हैं जिनके घर के आस-पास की 4-5 अन्य बच्चियों के पास फोन नहीं है जिस कारण वे मास्क लगना social distancing जैसी बातों को ध्यान में रखते हुए उन बच्चियों के साथ सेशन में जुड़ती हैं। फिर वे सभी के होमवर्क को एक साथ व्हाट्सएप्प ग्रुप पर भी भेजती हैं, क्योंकि उस पूरे ग्रुप में सिर्फ एक ही बच्ची के पास मोबाइल होता है और ये बच्चियां भी पूरी तरह से सहभागिता निभाती हैं ।
हमने जब बच्चियों का एक व्हाट्सएप्प पर ग्रुप बनाया था तब उनका कोई भी रिस्पॉन्स नही आता था और अब वो सभी अपने होमवर्क की फोटो हर दिन ग्रुप में भेजती हैं। हमने बच्चियों की ऐसी भागीदारी को देखते हुए उनकी क्रिएटिविटी को बढ़ावा दिया। उन्होंने घर में रह कर कई अलग- अलग चीज़ों को बनाया था जो उन्होंने हमारे साथ उन्होंने साझा किया। पर्यावरण दिवस पर अपने घरों में और घर के आस- पास पौधे लगाए, किसी ने घर पर मोबाइल से पढ़ने की बात कही, तो किसी ने घर में पढ़ाई के साथ साथ खाना बनाना, सिलाई करना भी सीखा, पुरानी वस्तुओं से नई चीजें बनाई और प्यारी कहानियां भी लिखीं। उनके इन प्रयासों को देखकर बहुत अच्छा लगता है और खुशी होती है जब बच्चियां अपनी द्वारा बनाई गई चीज़ों और नए किये गए कामों को एक उत्साह के साथ बताती हैं। जिस तरह वो हमसे जुड़ पाईं हैं, हमारा यही लगातार प्रयास रहा है कि वो बना रहे। जब कभी किसी ग्रुप में कोई शोर करता है तो बाकी बच्चियां एक दूसरे के सहयोग से उन्हें शोर करने से रोकती हैं। कभी किसी बच्ची को ग्रुप में कुछ समझ नही आता है तो दूसरी बच्चियां उन्हें समझाने की कोशिश करती हैं। हमारे तरफ से सभी बच्चों को पूरी आजादी होती है कि वो एक- दूसरे को समझाएं क्योंकि दोस्तों से बच्चे ज्यादा अच्छे से सीखते और समझते हैं।
जब कभी कोई बच्ची कॉल पर नही आ पाती है तो सभी एक दूसरे के बारे में पूछते हैं और बाद में भी कॉल कर उनसे जान ने की कोशिश करते हैं कि वे सेशन में क्यूं उपस्थित नहीं थे। कुछ बच्चों के पेरेंट्स का सहयोग भी होता है, कभी अगर किसी के पापा कहीं चले जाते है तो मोबाइल घर पर ही छोड़ कर जाते हैं। एक दो बच्चियों के भाई के साथ थोड़ी समस्या होती है वो उन्हें चिढ़ाने के लिए फ़ोन नही देते हैं तो उनसे भी बात करनी पड़ती है।
अभी तक हमने बच्चों के साथ गणित, अंग्रेजी, हिंदी, EVS और क्राफ्ट की कुछ गतिविधियाँ की हैं। हम बच्चों को सिर्फ किताब से ही नहीं पढ़ाते बल्कि हर टॉनिक को कहानियों द्वारा या वास्तविक उदाहरण से समझते हैं ताकि उन्हें अच्छे से समझ आए और हमेशा याद भी रहे।
इन सब में हमारी टीम की अच्छी भागीदारी रही है।प्रिया और मोनिका(फैलो मेम्बर) लगातार हर दिन साथ मिलकर सेशन लेती थीं जिसमे मैं सिर्फ सहयोग के लिए उनके साथ रहती थी। सभी बच्चे उन्हें ध्यान से सुनते और समझते हैं ।अच्छे प्रभावी सेशन प्लान बनाने में हमारे साथियों का बहुत सहयोग रहा| सभी ने अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया और हम इतना कर पाए और आगे भी करने की कोशिश करते रहेंगे। ये ऑनलाइन क्लास का एक बिल्कुल अलग ही अनुभव रहा, जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नही था परन्तु हम सफलतापूर्वक कर पाए।
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