आज सुबह मै हमेशा की तरह ऑफिस के लिए निकली थी। टोटो में बैठकर अपने-अपने ख्यालों में थी की तभी मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी, वो साईकिल चला कर स्कूल जा रही थी। पर वो कोई साधारण लड़की नहीं थी। वो थी वर्षा।
आप पूछेंगे - वर्षा कौन हैं ? - तो सुनिए , वर्षा की कहानी है, जिसने हालातो से हार मान ली थी। लेकिन फिर किसी और लड़की की हिम्मत ने उसे दोबारा खड़ा कर दिया।
वर्षा , मुंगेर के एक गॉव रामनगर (भागिचक) की लड़की है। सातवीं कक्षा के बाद उसकी पढाई छुट गई थी। उसी समय वर्षा के पिता का देहांत हो गया था ,घर में बस माँ और दो बहनें थी। माँ एक छोटी सी दुकान चलाकर जैसे-तैसे घर चलाते थे। पढाई फिर से शुरू करने का न तो हौसला था न ही कोई सहारा।
और फिर उसकी जिंदगी में आई-सक्षम की एडू-लीडर ख़ुशी जो बैच-11 की है, यह आई-सक्षम संस्था में काम करती हैं। ख़ुशी बहुत ही मेहनती और जिद्दी लड़की, जिस काम को ले कर ठान लेती है, तो पीछे नहीं हटती हैं।
अक्टूबर-नवंबर का महीना था। हमारे क्लस्टर में तय हुआ कि हम उन किशोरियों को फिर से स्कूल भेजेंगे, जिन्होंने किसी कारण से पढ़ाई छोड़ दी है। उसी अभियान के दौरान खुशी को वर्षा मिली।
जब खुशी ने वर्षा की माँ से बात की तो जवाब साफ थी। अब क्या पढ़ेगी? सात साल हो गए। मुश्किल से घर चलता है, पढ़ाई के लिए समय और पैसे कहाँ हैं?
लेकिन खुशी हार मानने वालों में से नहीं थी। उसने समझाया कि सरकार की तरफ़ से लड़कियों को छात्रवृत्तियाँ मिलती हैं, कई योजनाएं हैं। फिर उसने वर्षा से सीधा पूछा। क्या तुम फिर से पढ़ना चाहती हो?
वर्षा की आँखों में हल्की-सी चमक आई। वो बोली। मन तो है दीदी, पर स्कूल में दाखिला मिलेगा क्या? मेरे पास तो टीसी भी नहीं है। खुशी मुस्कराई और कहा , तुम साथ दो, बाकी मै आपको मदद करूंगी। खुशी ने स्कूल से लेकर DRCC ऑफिस और कोर्ट तक पहुँची । चार दिन DRCC के ऑफिस में, तीन दिन कोर्ट में — वो तब तक नहीं रुकी जब तक वर्षा की टीसी नहीं मिल गई। कुछ दिन बाद मिलने के बाद ख़ुशी ने वर्षा का मई में स्कूल में दाख़िला करवाए , तो जून की गर्मियों में, सात साल बाद, वर्षा फिर से स्कूल गई।
आज जब मैंने उसे साइकिल से स्कूल जाते देखा, तो ऐसा लगा जैसे उम्मीद सचमुच साइकिल चला रही है। खुशी ने सिर्फ़ एक बच्ची की पढ़ाई शुरू नहीं करवाई। उसने उसके भविष्य का रास्ता खोला।
हम एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जहाँ हर लड़की के पास अपनी आवाज़ हो, अपनी पसंद हो, और वह किसी दूसरी लड़की की ताक़त भी बन सके।
स्मृति , बड्डी
मुंगेर ।
मुंगेर ।