i-Saksham follows the practice of one trainer being observed by another while imparting training. This is followed by a fact based feedback, which helps to improve training and mutual learning. The writeup below is from Ekta.
प्रशिक्षण अवलोकन का तीसरा दिन
Ekta
प्रशिक्षण अवलोकन का तीसरा दिन! नया गाँव, नए लोग कुछ अलग माहौल | जमुई शहरी क्षेत्रों से कुछ दूरी पर बसा गाँव सरारी का मुख्य द्वार मनो उसकी दुनिया में हमारा स्वागत कर रहा हो | लक्खीसराय की ओर जाने वाली मुख्य सड़क से फूटे हुए इस पक्के सड़क की दिशा में लगभग 1 किलोमीटर चलने के बाद मैं और हमारे प्रशिक्षक सरारी पहुँच ही गए | यह सड़क हमें हमारे पराव (केंद्र) तक पहुँचाकर आगे निकल गयी |
सड़क किनारे स्थापित प्रशिक्षण क्रेंद्र में पांच लोग हमारा इंतजार कर रहे थे | हम 15 मिनट विलंब से पहुंचे |हमारे पहुंचते ही एक लोग और आयें | प्रशिक्षक जाते के साथ लोगो को बताया की 2 लोगों ने मुझे फोन किया है की आज के कक्षा में वो उपस्थित नहीं हो पाएंगे | इस बीच सभी ने कुछ नियम के बारे में बातचीत की जिसे उन्होंने अपनी कक्षा के लिए बना रखा था | नियम कुछ इस प्रकार से है- “जो लोग बिना बताये प्रशिक्षण में अनुपस्थित होंगे उनको 10 रुपया उनके समूह के पास दंड स्वरूप जमा करना होगा |”
प्रशिक्षक ने कक्षा यह कहते हुए प्रारंभ किया कि समय ज्यादा हो गया है, इस लिए हमें हमारी कक्षा आरंभ करनी चाहिए |
कक्षा का सिटींग प्लान |
कक्षा आरंभ की गयी | प्रशिक्षक ने सभी से पिछली कक्षा से जुड़े सवाल पूछना प्रारंभ किया | पिछली कक्षा से जुड़े कुछ मुख्य बातों पर चर्चा शुरू की गयी | जैसे- phonics, चित्र पठन और कविता | प्रशिक्षक ने इसके लिए बोर्ड का इस्तेमाल किया | प्रशिक्षक ने सवाल पूछते समय किसी को नाम लेकर संबोधित नहीं किया | वो सभी को “आप बताइए” शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे | इसी बीच एक और प्रशिक्षु ने कक्षा में प्रवेश किया | इस अभ्यास में 7 मिनट का समय लगा |
अगले अभ्यास में प्रशिक्षक ने सभी के हाथ में NCRT का एक पन्ना दिया | इसे पढ़ने के लिए प्रशिक्षक ने सभी को 5 मिनट का समय दिया और अगले अभ्यास की तैयारी में जुड़ गए | 5 मिनट से पहले ही सभी ने इसे पढ़ लिया | प्रशिक्षक ने सब से पूछा ” तो आपको ये पन्ना को पढ़ने पर क्या-क्या समझ में आया?” कुछ खास उत्तर न मिलने पर प्रशिक्षक ने इसे पढ़ना प्रारंभ किया | खास बात यह यही की प्रशिक्षक ने इस अभ्यास को पिछली कक्षा से जोड़ने का भरपूर प्रयास किया | जब प्रशिक्षक बोल रहे थे तो दो लड़कियां (3 और 4) लगातार नीचे देख रहीं थीं | इस अभ्यास में कुल मिलाकर 10 मिनट का समय लगा |
पढ़ना क्यूँ जरुरी है?
अगले अभ्यास की ओर बढ़ते हुए सभी से सवाल किया “अच्छा मुझे बताइए पढ़ना क्यों जरुरी है? आखिर हम क्यों पढ़ते है?” यहाँ पर प्रशिक्षक के बोलने का ढंग अलग था | उन्होंने अपने स्वर को कहीं धीमा और फिर तेज किया जो सुनने में भी रोचक लग रहा था | प्रशिक्षक ने सभी को कम से कम 2 points देने को कहा | सभी ने अपना-अपना जवाब देना प्रारंभ किया | प्रशिक्षक ने सभी के जवाब को उनके नाम के साथ बोर्ड पर लिखना प्रारंभ किया | दो लड़को (6 और 7) ने बोलना प्रारंभ किया और 2 से ज्यादा points दे दिए | इसके बाद प्रशिक्षक ने उन्हें यह बोलते हुए रोका “ अभी और भी लोग हैं, उनसे भी सुन लेते हैं, फिर आपके पास वापस आयेंगे |” प्रशिक्षक ने इस बार सब को नाम लेकर बोलने के लिए आमंत्रित किया | सभी ने जवाब दिया पर लड़कियों से बहुत कम सुनने को मिल रहा था | 2 लडकियां (4 और 5 ) लगातार शांत बैठी थी | इन दोनों ने बस एक point दिया | points नहीं मिलने पर उन्होंने सवाल किया “अच्छा बताइए पढ़े-लिखे लोगों में और अनपढ़ लोगो में क्या अंतर होता है?” उन्होंने समझाने के लिए बोला हमारी माँ नहीं पढ़ी होती है तो उनको क्या-क्या दिक्कत होता है जिसपर एक लड़की (4) बोल उठी मेरी माँ पढ़ी-लिखी है | लगभग 3 मिनट तक पढ़े-लिखे लोगों में और अनपढ़ लोगो में क्या अंतर होता है इसी पर वार्तालाप होता रहा | प्रशिक्षक ने महसूस किया की उनका बातचीत मुद्दे से हट रहा है तो उन्होंने उनलोगों को फिर से बोलने का मौका दिया जो बोलना चाह रहे थे | इस अभ्यास में लगभग 20 मिनट का समय लगा |
इस की खास बात यह रही की प्रशिक्षक ने समझाने के लिए आसपास के उदाहरण का अधिक प्रयोग किया | बातचीत के दौरान समय पर भी ध्यान दिया | दिए जा रहे points को वो पूरा-पूरा बोर्ड पर लिख रहे थे जिससे उनका लिखने में अधिक समय जा रहा था | बातचीत का मोर कुछ समय के लिए पढ़े-लिखे और अनपढ़ लोगो के बीच के अन्तर पर रुक गया |
आप कहानी कैसे पढ़ाते हैं?
अगले अभ्यास के लिए सभी को एक पेज दिया गया, जिसमे प्रशिक्षुओं को हाँ और न में 19 सवाल और 1 सवाल लिख कर हल करना था, जिसका सवाल आप अपनी कक्षा में कैसे पढ़ते हैं से जुड़ा हुआ था | इसे करने के लिए प्रशिक्षक ने सभी को 5 मिनट का समय दिया | इस अभ्यास के लिए उन्होंने भाषा की डालियों का इस्तेमाल नहीं किया |
समय कम होने पर प्रशिक्षक सभी को बता रहे थे “1 मिनट और शेष रह गया है |” इसी बीच एक प्रशिक्षु ने अपना कार्य समाप्त कर लिया | इसके बाद प्रशिक्षक ने सभी से कहा “शिवदानी जी का हो गया है जिनका हो जाये वो हाथ खड़ा कर दें | समय समाप्त होने पर भी 3 लोग लिख रहे थे इसलिए प्रशिक्षक ने 2 मिनट का अतिरिक्त समय और दिया | जिनका हो गया था वो शांति से बैठे हुए थे | आखरी सवाल को दो लड़कियों (3 और 4) ने नहीं लिखा | पूछे जाने पर एक (3) ने बताया समय का आभाव रहा और दुसरे (4) ने बोला मेरे समझ में नहीं आया |
इस अभ्यास पर बातचीत शुरू की गयी | प्रशिक्षक ने सभी प्रश्नों पर क्रमबद्ध चर्चा करनी शुरू की | चर्चा के लिए प्रशिक्षक ने सभी को हाँ न के अधर पर बाँटना शुरू किया | जितने लोग “हाँ” बोलते थे तो पूछा जाता था “आपने हाँ क्यों लिखा? इसके लिए आप क्या करते है?” जितने लोगों ने “न” लिखा उनसे पूछा जा रहा था “अपने क्यों न लिखा? आप इसे क्यों नहीं करवातें हैं?”
इस अभ्यास की सबसे अच्छी बात रही कि प्रशिक्षक ने उनसे आपस में ही चर्चा करवाने की कोशिश की | अगर किसी ने हाँ बोला तो वो लोगो को बताते थे की मैं ये करता हूँ | अगर न बोलने वाले को उनकी बात सही नहीं लगती थी तो उनसे सवाल पूछते थे | एक-दो सवाल ऐसे हुए जिसपर उन्होंने प्रशिक्षक से सवाल किया | एक लड़की (2) ने दो प्रश्नों का उत्तर हाँ में दिया जबकि वो नहीं करवाती थी | चर्चा होने पर उसने ईमानदारी पूर्वक जवाब दिया और अपने जवाब को बदला | चर्चा के दौरान दो लड़कियां (4 और 5) लगातार शांत बैठी हुई थी | प्रशिक्षक के पूछे जाने पर हाँ या न में जवाब दे रही थी | एक लड़के (7) को एक प्रश्न ठीक से समझ नही आया तो उसने प्रशिक्षक से फिर से इसपर चर्चा करने का अनुरोध किया पर प्रशिक्षक ने इसका जवाब खुद न देकर उसके सहयोगी को देने को कहा और अंत में बोले | इस अभ्यास में भी प्रशिक्षक ने बोर्ड का भरपूर इस्तेमाल किया | इस अभ्यास में लगभग 12 मिनट का समय लगा |
आपके केंद्र पर बच्चे कैसे कहानी पढ़ते हैं? (Decoding का प्रचलन):-
इस अभ्यास पर कक्षा में कोई बातचीत नहीं हुई |
कहानी/कविता से कक्षा की शुरुवात:-
इस अभ्यास पर भी कक्षा में कोई बातचीत नहीं हुई |
पढ़ना कैसे सुलभ हो
इस अभ्यास के लिए हमारे प्रशिक्षक ने सभी को 10 मिनट का समय दिया और वो अपने अगले अभ्यास की तैयारी में जुट गए| उन्होंने अगले अभ्यास के लिए कुछ कागज के छोटे-छोटे टुकड़े करना शुरू किया | 10 मिनट के अन्दर सभी ने लगभग इस चार पन्ने के लेख को पढ़ लिया | इस अभ्यास में प्रशिक्षक ने सभी को बारी-बारी से एक-एक point पढने बोला और क्या समझ में आया पूछा | लगभग सभी points को प्रशिक्षुओं ने ही आपस में पढ़-पढ़ कर समझ लिया | प्रशिक्षक बातचीत के बाद अंत में कुछ समझाने के लिए बोलते थे | fluency के सभी points को प्रशिक्षक ने समझाया | इस बीच प्रशिक्षक ने दो बार अपनी घड़ी की ओर देखा | समय अधिक होने के कारण उन्होंने अंत 4-5 के वाक्यों को बस बोलकर छोड़ना चाहा पर सभी के बोलने पर उसे फिर से समझाया | इस अभ्यास में कुल मिलाकर लगभग 30 मिनट का समय लगा |
कहानी पठन
इस अभ्यास के लिए प्रशिक्षक ने 5 मिनट में सभी को एक नन्ही लड़की की कहानी पढने दिया | 5 मिनट के अन्दर सभी ने कहानी को पढ़ लिया | इसके बाद प्रशिक्षक ने सभी से कहाँ “ अगर आप इस कहानी को अपने बच्चों को पढ़ाएंगे तो इससे जुड़े क्या-क्या सवाल पूछेंगे?” उन सवालों को इन पन्नों के टुकड़े में लिखें | एक टुकड़े में एक ही प्रश्न लिखें |” सभी ने इस अभ्यास में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया | सभी के पास 15 से ऊपर ही सवाल लिखे हुए थे | सभी लोगो ने एक जैसे सवाल को एक जगह रखना शुरू किया | प्रश्नों का वर्गीकरण कौन, कब, किस और कैसे के आधार पर करना शुरू किया |
प्रशिक्षक ने नानी की जगह दादी शब्द का इस्तेमाल किया जो इस कहानी की पात्र थीं, इस पर सभी ने बोला “ सर दादी नहीं नानी थी |” इस अभ्यास में लगभग 15 मिनट का समय लगा |
Bloom’s taxonomy
इस अभ्यास के लिए प्रशिक्षक ने सभी को इससे जुड़ा लेख दिया | इस अभ्यास में पढने के लिए कोई समय नहीं दिया गया | सभी से बोला गया जिनका हो जाये वो चुटकी बजा दें | सभी ने ऐसा ही किया और 10 मिनट के अन्दर सभी ने चुटकी बजा कर पढ़ लेने का संकेत दिया | प्रशिक्षक ने सभी points पर चर्चा करनी शुरू की | उन्होंने इस अभ्यास को पिछले अभ्यास के साथ जोड़ने का प्रयास किया और वही से उदहारण के साथ-साथ बाहरी उदाहरण भी प्रस्तुत किया | apply वाले points पर बहुत कम उदाहरण दिए गए | फिर सभी को अपने प्रश्नों को Bloom’s taxonomy के आधार पर बाँटने को कहा गया | इसके लिए प्रशिक्षक ने सभी 6 points को कागज के टुकड़ों में लिख दिया और उसके नीचे सवाल सजाने को कहा | सभी ने इस अभ्यास में भाग लिया | वो सजाने वक्त आपस में बातचीत कर रहे थे कि कौन सा सवाल कहाँ जाना चाहिए | सजाने के बाद सभी ने प्रशिक्षक के साथ इसपर बातचीत की कि उन्होंने कैसे-कैसे सवाल कहाँ रखें | बातचीत के दौरान पता चला की ज्यादा सवाल यादास्त पर आधारित है | फिर प्रशिक्षक ने सभी से इसे अपनी कक्षा में इस्तेमाल करने का अनुरोध किया | साथ ही साथ उन्होंने उन लोगो को भी पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जो अभी तक नहीं पढ़ा रहे हैं | इस अभयस में कुल मिलकर 20 मिनट का समय लगा |
चलते-चलते प्रशिक्षक ने सभी से आज हमने क्या-क्या जाना पूछा | एक लड़की (5) से पूछे जाने पर कोई जवाव नहीं मिला | हल्की सी बातचीत के बाद 3:30 मिनट में कक्षा समाप्त हो गयी |( 5 मिनट)
विराम चिन्ह लगाएं अभ्यास
इस अभ्यास को इस कक्षा के लिए सूपुर्द कर दिया गया |
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