मुजफ्फरपुर बैच 9 की लवली ने अपने कक्षा अवलोकन का अनुभव साझा किया है। वे 17 अगस्त 2023 को बड़ी कोठिया, पंचायत मुशहरी, प्रखंड मुशहरी, जिला मुजफ्फरपुर स्थित ‘उत्क्रमिक मध्य विद्यालय कोठिया दाखिला’ में अपने बैच-9 की एडू-लीडर चुनचुन के स्कूल गई थी। वहां उन्होंने देखा कि एडू-लीडर चुनचुन बच्चों को एक्टिविटी के माध्यम से पढ़ा रही थी। कुछ बच्चे स्वयं आगे आकर अपने साथियों के साथ बोर्ड पर लिखकर चुनचुन द्वारा सिखाए गए गणित विषय में कोणों को बता रहे थे।
जब वे कक्षा अवलोकन कर रही थीं, तो उनकी नज़र लगभग 8 साल की एक बच्ची पर पड़ी। उन्होंने देखा कि चुनचुन उस बच्ची को ऊंगली के इशारों से गिनती सीखा रही थी। वहीं बच्ची अपना सिर हिलाकर "हां" और "ना" में जवाब दे रही थी। लवली उस बच्ची के पास गई और चुनचुन से पहले उस बच्ची का नाम पूछा। चुनचुन ने उन्हें बताया कि उस बच्ची का नाम प्रीती है।
इशारों के पीछे का रहस्य
लवली ने फिर चुनचुन से पूछा, “आप इसे इशारों में क्यों पढ़ा रही हैं? इस सवाल के जवाब में चुनचुन ने बताया कि प्रीती बोल नहीं सकती है। इतना सुनने के बाद लवली अचंभित हो गई क्योंकि चुनचुन द्वारा किये जा रहे इशारों को प्रीती बहुत अच्छे से समझ रही थी। साथ ही सलीके से और बिल्कुल सही-सही लिख भी रही थी। लवली भी उस बच्ची के पास जाकर बैठी गईं और प्रीती को 1 से 10 तक की गिनती इशारों में बताया। इसके बाद प्रीती ने लवली द्वारा सीखाये गये गणित की गिनती को कॉपी में लिखकर भी दिखाया।
प्रीती और लवली एक साथ काफी घुल-मिल गये थे। चुनचुन ने लवली को बताया कि प्रीती प्रतिदिन स्कूल आती है और उसे पढ़ने की बहुत इच्छा है। बातों-बातों में चुनचुन थोड़ी भावुक भी हो गई। उनका कहना था कि कोठिया गांव के सभी बच्चे स्कूल आते हैं मगर यहां बच्चों को घर पर पढ़ने की सुविधा नहीं हैं, क्योंकि इस गांव में अधिकतर बच्चों में किसी ना किसी की मम्मी नहीं हैं, तो किसी के पापा नहीं। साथ ही बच्चों के साथ समय बिताते-बिताते उनके साथ जुड़ाव हो जाना लाजिमी है।
आवाज़ उठाने के लिए कलम
लवली ने महसूस किया कि चुनचुन के अंदर नेतृत्व करने और हर परिस्थिति का हल निकालने की दक्षता आ गई है। चुनचुन चाहती हैं कि वे हर बच्चे को ना केवल शिक्षित कर सकें बल्कि स्मार्ट गोल कैसे बनाते हैं, अपनी आवाज़ कैसे रखते हैं, ये सारे गुर सीखा सकें। लवली के अनुसार चुनचुन ने प्रीती के अंदर लेखन का बीज बोया है, जिसकी मदद से प्रीती इतना तो जान गई है कि जो लोग बोल नहीं पाते हैं, वे भी अपनी आवाज़ उठा सकते हैं। इसके लिए कलम ही उनका हथियार है, जिसे चुनचुन को प्रीती को बखूबी समझाया है।
हम उम्मीद करते हैं कि voice & choice का ये सिलसिला अनवरत चलता रहे। कहीं बोल कर तो कहीं लिख कर लेकिन कारवां रुकना नहीं चाहिए। इक कड़ी में दुष्यंत कुमार की पंक्तियां याद आती हैं, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment