By- Amar Kumar
आज मैं बहुत उत्साहित था क्योंकि caMAL टेस्ट के जरिये बच्चों के शैक्षिणिक स्तर को जानने के बाद आज मैं अपने दो दोस्तों एकता और अमन के साथ कस्तूरबा गांधी विद्यालय में बच्चो को एक नए प्रयोग के साथ गणित पढ़ाने के लिए जाने वाला था I मैं और एकता, 3 बजे दोपहर विद्यालय पहुँच गयें | अमन भी हमारे पहुँचने के 5 मिनट बाद विद्यालय पहुँच गए | दोपहर का समय था, सभी बच्चियां अपने कमरे में आराम कर रहीं थी I हमारे पहुँचने के 10 मिनट के अन्दर सभी बच्चियां कक्षा में आ गयीं और सभी ने एक साथ “Good Afternoon” कहते हुए हमारा अभिनंदन किया I
सबसे पहले मैंने बच्चियों को पहले से बनी हुई गिनती माला दिखाया | सभी बच्चियां इसे देखकर बहुत खुश हुई और बोला “भैया ये तो माला है |” फिर मैं बोला “बिल्कुल ठीक कहा, ये मोतियों की माला ही है | इसे हम गिनती माला भी कहते हैं और आज हमलोग इसी गिनती माला की मदद से गणित में कुछ मजेदार सीखेंगे I और सबसे अच्छी बात यह है की आप सभी अपने लिए अपनी गिनती माला स्वयं बनायेंगे |"
तभी सभी बच्चियों ने आश्चर्य के साथ देखते हुए कहा “हम कैसे गिनती माला बनायेगे? हमें तो नहीं आता” I फिर हमने बच्चियों से 5 मिनट मांगते हुए सब बताने और दिखाने की बात कही | सभी बच्चियां खुश थीं, क्योंकि उन्हें लग रहा था की आज वे सब कुछ नया करने वालीं हैं |
अपनी कक्षा को आगे बढ़ाते हुए मैंने सभी बच्चियों को 6 की संख्या में बाँटा और उनका एक ग्रुप बना दिया | इस तरह हमारे पास 12 ग्रुप बनकर तैयार हो गया | सभी ग्रुप को हमने 1 नायलोन की रस्सी का टुकड़ा और दो रंगों की 100 से अधिक मोतियाँ दी |
फिर मैंने सभी को पहले से बना हुआ गिनती माला दिखाया और बताया की आप सभी को भी इसी प्रकार का गिनती माला बनाना है | माला की ओर दिखाते हुए हमने माला की एक जैसे रंग की मोतोयों को गिना और उन्हें समझाया की कैसे एक जैसे रंग की मोतियों को 10-10 की संख्या में सजाया गया है | आप सभी को समूह में ठीक इसी तरह से 10 मोतियाँ जो एक रंग की हो उन्हें गिनते हुए माला में पिरोना और अपने लिए एक गिनती माला बनानी है | सभी सभी बच्चियां उत्साहित होकर समूह में इस कार्य पर लग गयीं |
गिनती माला पर अभ्यास करती बच्चियां |
एक दूसरे को अभ्यास करते देख सीखती बच्चियां |
माला बनते वक्त हमने देखा की हर ग्रुप में 2-3 बच्चियां सक्रिय रूप से भाग ले रही थी और बांकी की बच्चियां माला बनाने में उनकी सहायता कर रहीं थीं | जैसे हर ग्रुप में 2 बच्चियां रस्सी के दोनों छोर को पकड़ी हुए थी और उनसे अपने साथियों के द्वारा गिने हुए मोतियों को पिरोने का काम कर रहीं थी, और बांकी की बच्चियां एक रंग की मोतियों को इकठ्ठा करने में, उन्हें 5 या 10 के समूह में अलग करने में अपने साथियों की मदद कर रहीं थी | 2-3 ग्रुप में एक-दो ऐसी भी बच्चियां थी जिन्होंने अपने साथियों की मदद नहीं की | इसका कारण ये भी हो सकता है कि यह क्रियाकलाप करने में इतने लोगो की आवश्यकता नहीं पड़ी या उन्हें समझ में नहीं आ रहा हो की वे अपने ग्रुप की मदद कैसे करें या इनमे से कुछ बच्चियां ऐसी थी जिन्हें गिनती नहीं आती थी | कारण जो भी हो, इसमें अच्छी बात यह दिखी की जिन बच्चियों को ठीक से गिनना नहीं आ रहा था वे भी मोतियों को 5-5 के समूह में गिनकर अपने साथियों की मदद कर रहीं थीं |
10 से 15 मिनट के अन्दर सभी ग्रुप के पास 100 मोतियों वाली एक माला बनकर तैयार हो गयी | अपने द्वारा बनाये गए माले को देख कर उनकी ख़ुशी का ठिकाना न था | कभी वे माला अपने गले में डालती तो कभी अपने दोस्तों के गले में | उनकी माला उनके घुटनों तक लटक रही थी | फिर उन्होंने एकता को बुलाया और उनके गले में माला पहनते हुए अपनी ख़ुशी जाहिर की | यह नजारा देख कर मुझे भी बहुत ख़ुशी का अनुभव हो रहा था I
अपने समूह की मदद से तैयार माला दिखाती हुई बच्चियां
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माला के बन जाने के बाद मैंने अनुभव किया की बच्चियां अभी उर्जावान हैं क्यों न पिछली कक्षा में दिए गए गृहकार्य की जाँच कर लिया जाये | मैंने बच्चियों से पूछा की जिन्होंने अपना गृहकार्य पूरा कर लिया है वे अपना हाथ उठाए | 18 बच्चियों को छोड़कर सभी ने हाथ उठाया | जब मैंने बच्चियों से गृहकार्य न करने का कारण पूछा तो उनमे से 12 बच्चियों ने बताया था कि वे बच्चियां पिछली वर्ग में शामिल नहीं थी | इनमे से कुछ बच्चियां घर चली गयीं थी तो कुछ का नया नामकरण हुआ था | शेष 6 बच्चियों में से 2 ने बताया की उनका कॉपी नहीं मिला और 4 बच्चियों ने बताया कि पिछली कक्षा में जो पढ़ाया गया था उन्हें समझ में नहीं आया था I मैंने कहा, “मै आपलोगों को फिर से बताऊंगा घबराने की कोई बात नहीं है I” गृहकार्य की जाँच करने के लिए मैंने सभी ग्रुप से कहा की हर ग्रुप से कोई एक बच्ची उठे और अपने ग्रुप की सभी बच्चियों का कॉपी जमा कर ले I सभी ग्रुप की बच्चियों ने ऐसा ही किया | कॉपी जमा हो जाने के बाद मैंने उनसे कहा कि वे सभी कॉपी को अपने बगल के ग्रुप के साथ बदल लें | फिर मैंने सभी गृह कार्य(छोटी और बड़ी संख्या की पहचान) के प्रश्नों का हल को बोर्ड पर बनाकर दिखाया बच्चियों से कहा की वे उत्तर देखकर सही गलत कर दें | इसी बीच एक सवाल जिसमे मैंने गलती से गलत चिन्ह का प्रयोग किया था उसपर एक बच्ची जिसका नाम प्रिया है खड़ी होकर बोली “भैया ये सवाल आप ने तो गलत बना दिया है I” यह देख मुझे काफी ख़ुशी हुई I मैंने यह महसूस किया की बच्चियों का धीरे-धीरे अब गणित में समझ बन रहा है, क्योंकि जब मैंने बच्चियों का पहला गणित का टेस्ट लिया था तो मैंने यह पाया की गणित में इनकी समझ थोड़ी कम थी I आज प्रिया को आत्मविश्वास के साथ बोलते हुए मुझे लग रहा था की सफलता मिलनी ही है |
फिर मैंने बच्चियों से बात की कि कितनों ने कितना प्रश्न सही किया है तो मैंने पाया कि लगभग सभी बच्चियों ने अपना गृहकार्य सही बनाया था I गृह कार्य समाप्त करने के बाद मैंने बच्चियों से कहा की भैया या दीदी आप को कोई अंक या संख्या बोलेगे/बोलेगी I आपको गिनती माला में उतनी मोतियों को गिन कर दिखाना है और साथ ही साथ उस संख्या को कार्ड की सहायता से दर्शाना है जिसमे अंक अंकित हैं I हमलोग ये भी देखेगे की कौन-सा ग्रुप पहले करता है और कौन अंत में I सारे बच्चो में इस नई प्रतिस्पर्धा के लिये ख़ुशी की लहर दौड़ गई | सभी बच्चियां अच्छा ठीक है कहते हुए तैयार हो गयीं I
अमन आगे आये और बच्चियों को बारी-बारी से 1 से लेकर 100 तक की अलग-अलग अंक एवं संख्या बोलने लगे और बच्चियां बहुत तेजी से संख्या के बराबर मोतियाँ गिनकर और साथ में कार्ड सही क्रम में सजा कर दिखने लगीं | हमने आपस में एक नियम बनाया की एक ग्रुप में एक बच्ची को एक बार ऐसा करना है ताकि सभी बच्चियों को करने का मौका मिल सके I इस तरह जैसा हमारा अंक या संख्या बदलता वैसे ही समूह की बच्चियां बादल जाती जो मोती या कार्ड की सहायता से उस अंक या संख्या को दर्शाती थीं | इस प्रकार के अभ्यास में मैंने पाया की जीत की होर में बच्चियां अपने ग्रुप की लड़की को धीरे से कार्य करते देख खुद को रोक नहीं पाती थीं और उनके बदले वे ही गिनती करके उनके हाथ में दे कर दिखने बोलती थीं | हमारे मना करते हुए समझने पर की दूसरों को भी मौका दें, उन्होंने बहुत हद तक खुद को रोका पर जल्दबाजी साफ दिख रही थी |
मोती के माध्यम से मैंने इसी तरह बच्चियों को पहाड़ा दर्शाने के लिये कहा I सभी ग्रुप की बच्चियों ने 1-10 तक में आने वाले एक संख्या को चुना और गिनती माला एवं कार्ड की मदद से पहाड़ा दर्शाया I यहाँ मुझे और बच्चियों को थोड़ी परेशानी हुई, क्योंकि हमारे पास धागा और कार्ड को जोड़ने के लिए पिन कम पड़ गये थे इसलिये 2-3 ग्रुप को मिलकर एक ग्रुप बनाना पड़ा जिससे ग्रुप में सदस्य की संख्या अधिक बढ़ गयी I
पहाड़ा दर्शाती हुयीं बच्चियां |
संख्या दर्शाती हुयीं बच्चियां |
गर्मी अधिक होने के कारण कुछ बच्चियाँ पानी पीने का आदेश मांगने लगी और मुझे भी काफी प्यास लग रही थी इसलिये हमने 10 मिनट का ब्रेक लेने का निश्चय किया ताकि पानी पी लिया जाये I
पानी पीने के बाद मैंने बच्चियों को गणित माला की मदद से पूर्व की भांति जोड़ और घटाव करवाया I सभी बच्चियां गिनती माला की मदद से जोड़ और घटाव आसानी से कर पा रही थीं I
जोड़ एवं घटाव पर अभ्यास करती हुयीं बच्चियां
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हमने घड़ी की तरफ देखा 6 बजने वाला था और मै काफी थक गया था लेकिन बच्चो का उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही जिस कारण मै भी अपनी थकान भूल गया और बच्चियों से वापस आने का वादा किया I
क्योंकि अमन कस्तूरबा गाँधी विद्यालय पहली बार गए थे इसलिए बच्चियों ने अमन का परिचय अंग्रेजी में पूछा I उन्होंने मुझसे भी एक दो सवाल अंग्रेजी में किया | यह सब देखकर मुझे काफी ख़ुशी महसूस हो रही थी | हमारे परिचय के बाद अब बच्चियों ने पिछली कक्षा में सीखे हुए हिंदी कविता “लकड़ी की काठी” को action के साथ गाकर सुनाया | सभी के चेहरे पर मुस्कान थी I सभी बच्चियां हमलोगों को Bye Bye शब्द बोलते हुये दरवाजे तक छोड़ने के लिये आई I इस प्रकार आज का दिन कस्तूरबा गाँधी में बहुत ही उम्दा रहा I
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