मेरी कक्षा में एक बच्चों का कोना है जिसमें बच्चे अपनी मनपसंद और मर्जी के चित्र स्वयं बनाकर लगा सकते हैं। आज मैं जब बच्चों को पढ़ा रही थी तो बीच में मैंने बच्चों से रंगों के बारे में पूछा लेकिन उन्हें रंगों के नाम के सबरे में ज्यादा नहीं पता था।
फिर मैंने बच्चों से पूछा कि आप लोग क्या सारे रंग पहचानते हैं? तो बच्चों ने बताया कि नहीं दीदी हमें रंग का नाम नहीं पता है तो मैंने सोचा क्यों ना बच्चों के साथ एक छोटी सी गतिविधि करवाई जाये जिसमें कि बच्चे थोड़े से रंगों के बारे में जाने और और उनका मनोरंजक भी हो जाये।
तब मेरे मन में ख्याल आया, “क्यों ना हम रंगों का बाजार बनाए”!
जहाँ पर सभी रंग दिखते हों- लाल, पीला, हरा, नीला, गुलाबी, सफेद और काला। तो मैंने बारी-बारी से बच्चों को कहा बच्चों अपने पास उपस्थित सारे रंग निकाल लीजिए।
आज हम रंगों का बाजार सब मिलकर बनाएंगे तो मैंने बच्चों को अपनी मनपसंद एक एक रंग चुनने को कहा और उनको मैंने कहा कि वह एक पन्ने पर उस रंग को पूरे में भरे और साथ में उसका नाम भी बताएं।
मुझे कुछ बच्चों का नाम नहीं पता था तो मैंने उन्हें बताया कि इसी तरह एक-एक बच्चे ने अपना रंगों का बाजार बनाया और हमारे बाजार में सभी प्रकार के रंग थे। इस गतिविधि से मैं यह समझ पाई कि जब हम बच्चों को कुछ करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो बच्चे उससे सीखते हैं और उसे याद रखते हैं और इसलिए आज का अनुभव मेरे लिए बहुत खास रहा।
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