Friday, January 14, 2022

स्त्री (कविता) : प्रिया कुमारी

स्त्री 

स्त्री माँ है, स्त्री बेटी है। 
स्त्री ही बहन है, स्त्री देवी है। 

 स्त्री धन है, स्त्री मन है,,
 स्त्री ही लक्ष्मी है, स्त्री कर्म है।

 स्त्री में ही पूरा संसार है, 
 स्त्री से विना कोई कहानी नहीं है। 

 स्त्री धर्म है ,स्त्री ही कर्म है, 
 स्त्री केे सम्मान भी पुण्य है। 

 स्त्री राग है वो ही बिराग है, 
स्त्री सुलझी हुई एक किताब है। 

 स्त्री प्रेम है वो ही कोर्ध भी है। 
स्त्री से ही जीवन भी हैं। 

 स्त्री ही सुख है ,स्त्री ही दुख है,
स्त्री ही सहनशीलता का मुरत भी। 

 स्त्री की सम्मान ही सबकी सम्मान हैं,
स्त्री का अपमान ही जग का अपमान है।
प्रिया 
टीम सदस्य 
i-सक्षम, जमुई बिहार 

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