प्रार्थना गीत की शक्ति
उस दिन मैं अपने ही गाँव (भागीचक) में शक्ति V.O. बैठक के लिए गई थी। सभी महिलाऐं गाँव की ही थी, इसलिए मुझे अपना परिचय ज्यादा नहीं देना पड़ा । पहले तो सभी दीदी मुझे देखकर यह पूछने लगी कि दीदी आप तो बच्चों को पढ़ाती हैं और आज यहाँ आए हुए हैं, आज P.T.M. भी नहीं है तो क्या बात है?
मैं जैसे ही उन्हें बताती कि मेरा आने का
उद्देश्य क्या है इतने में ही इस बैठक में दो दीदियों के आपस में मतभेद हो गए, उसके बाद मैं देख रही थी कि माहौल बहुत
ज्यादा ही अशांत और गंभीर हो गया था। फिर मैंने सोचा कि क्यों ना एक बालगीत कराया
जाए, पर ऐसे माहौल में बालगीत सही से हो
पायेगा या नहीं? यह सवाल भी मन में चल रहा था।
मैंने थोड़ा सोचा कि बालगीत से अच्छा होगा
कि मैं इन्हीं लोगों से जान लूँ कि V.O. बैठक में क्या गीत होते हैं और फिर मैंने जीविका में जो गीत होती है, “इतनी शक्ति हमें देना दाता” यह करवाया।
उसके बाद जब मैंने फीडबैक लेना शुरू किया
तो सभी दीदियों से यह निकल कर आया कि वह बहुत शांत महसूस कर रही थी । कुछ ने बताया
कि मन थोड़ा हल्का हो गया। प्रार्थना करने पर मन को बहुत शांति मिलती है। फिर
मैंने अपनी बातचीत शुरू की ।
उसके बाद मुझे एक और V.O. रौशनी (विजयनगर) से कॉल आया कि ये बैठक 2 बजे से होंगी, आप आज आइयेगा। इसमें जाने के लिए मुझे
प्रियंका दीदी से मदद मिली ,(प्रियंका दीदी भी ललिता दीदी से मिलने
विजयनगर जा रही थी)। जब मैं विजयनगर पहुँची तो मुझे रौशनी V.O. के सीएम दीदी की कॉल आया और उन्होंने
बताया कि रौशनी V.O. की बैठक किसी कारण नहीं होने वाली है ।
तो मैं प्रियंका दीदी के साथ ललिता दीदी के घर उनसे मिलने चली गई। फिर उस गांव में
सीएलएफ कि अध्यक्ष (सुमित्रा) दीदी भी मिली इनका घर भी वही था, जिन्होंने बताया कि रौशनी V.O. की बैठक तो हो रही है। ये सब सुन मुझे
कुछ समझ नहीं आया। मैंने सोचा कि जब बैठक शुरू हो ही गई है तो सिर्फ मिलकर
(बातचीत) कर आ जाती हूँ। मैं वहाँ गई तो कुछ 15 दीदी उपस्थित थीं, तो मुझे लगा पहले मुझे भी अपने मन को
शांत करना होगा तो बातें अच्छे से हो पाएगी । वहाँ भी मैंने सभी दीदी से पूछा कि
आप सभी कौन से गीत से अपने दिन की शुरुआत करते है?
सभी ने “इतनी शक्ति हमें देना दाता” बताया फिर मैंने सभी के साथ प्रार्थना की। उसके बाद मुझे सोचने में काफी आराम मिला और काफी शांत महसूस होने लगा। फिर मैं अपनी आगे की बात बहुत अच्छे से कर पायी, सभी ने मेरी बात अच्छे से सुनी भी।
बबिता , i-सक्षम संस्था में टीम सदस्य हैं। ये मुंगेर, बिहार की रहने वाली हैं। बबिता बैच-4 की फेलो भी रह चुकी हैं।
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