एक युवा लड़की की डायरी
एनी फ्रैंक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अत्याचार के शिकार हुए लाखों यहूदियों में से एक है। एनी और उसका परिवार दो वर्षो तक अपने पिता की दुकान में उपरी भाग में छुपें रहें। वहीं उसने अपनी डायरी लिखी। एनी फ्रैंक की मृत्यु एक यातना शिविर में हुई, उस समय उसकी उम्र 15 वर्ष की थी।
एनी फ्रैंक की डायरी दो साल के उसी अज्ञातवास के दौरान लिखी गयी थी। उसे अपने तेरहवें जन्मदिन पर पिता द्वारा १९४२ में सफ़ेद और लाल जिन्द वाली नोटबुक
दी गयी तभी उसने सोच लिया कि वो इसे एक डायरी का रूप देगी और उस डायरी में गिफ्ट
में मिले गुडिया “किट्टी” के नाम को संबोधित कर लिखना शुरू करेगी।
गोपनीय जीवन की शुरुआत तब नहीं हुई थी, लेकिन महीने भर के अन्दर वह नौबत आ पड़ी।
एनी का डायरी लिखना जारी रहा। अपने डायरी का आखरी भाग उसने अगस्त १९४४ को लिखा, जिसके तीन दिन बाद वह दूसरे सात लोगो के
साथ नाज़ी पुलिस के हत्थे आ गयी। संयोग से उसकी डायरी पुलिस को
नहीं मिली और यातनाग्रीह से जीवित निकल आने वाले ऑटो फ्रुंक्स ने जब उसे पढ़ा, तो वे अपनी छोटी सी बच्ची के लेखन की गहराई को पढ़कर उसे प्रकाशित करने का फैसला किया।
हर संभव कोशिश कर १९४७ में डायरी प्रकाशित हुई और धीरे- धीरे यह डायरी दुनिया की सबसे अधिक पढ़ी जाने
वाली किताबों में शामिल हो गयी। एनी फ्रैंक नाम की १३
वर्षीय यहूदी लड़की ने अपने डायरी में नाजियो के कहर का विस्तारण किया है।
उसने लिखा है कि उसे कोई समझने वाला नहीं
है, वह कई बार तो खुद को प्रताड़ित करती थी और
खुद काफी गहरे सागर में उतर जाती, उसे सान्तावना और भरोसा देने वाला कोई
नहीं था। जिससे वो हो रही पीड़ा से खुद को उभार सकें। कोई नहीं था, जो उसके अन्दर की भावना और पीड़ा को समझ
सकें। एक माँ ही थी जो हमेशा उपदेश देती थी और बार-बार देती थी। वह अपनी दर्द एवं
पीड़ा को अपनी प्यारी गुडिया किट्टी से बात करके बाँटा
करती थी और उसे सब सुनाती रहती थी।
उसने लिखा है कि पुरुषो ने शुरू से ही
औरतों पर अपना हक़ जमाना और शासन करना जारी रखा है
क्यूंकि उन्हें लगता है कि वे शारीरिक रूप से ज्यादा मजबूत और सक्षम है, वही कमाता है, घर चलाता है, बच्चों का भरण-पोषण करता है। यही वजह है
जो उसके मन में आता है वही करता है। औरतें शुरू से ही इस तरह की परिस्तिथियों को सहती आ रही है, जो की उनके लिए बेवकूफी है। इस तरह की
प्रथाओ को जल्द से जल्द ख़तम करने की आवश्यकता है। अगर यह जारी रहता है तो ऐसी
कुरीतियाँ,समाज में गहराई से अपनी जड़े जमाती चली
जायेंगीं।
आज के दौर में शिक्षा और काम ने औरतों की
आँखें खोली है। आधुनिक युग की महिलायें पूरी तरह से आजादी चाहती है। औरतें बच्चों
को जन्म देती है, पीड़ा सहती है। मानव जाती की निरंतरता
धरती पर बनाये रखती है। पुरुषों के अलावा समाज के विकास में महिलाओं का भी योगदान
है। पुरुष वर्ग की तरह महिलाओं को भी वह सम्मान मिलना चाहिए।
एन डायरी में अपने निजी जीवन की समस्याओं,दुखों और अपनी इच्छाओं का विस्तारण किया है वह अपने मन की बात सुनाने के लिए अपनी प्यारी गुडिया किट्टी को चुनती है। पीटर को वह अपना दोस्त समझती थी, लेकिन धर्म के प्रति उसकी नफरत, खाने के बारें में बातें और कई तरह की बातों में विरोधाभाष है जिसके कारण अपनी बात रखने के लिए उसे डायरी का सहारा लेना पड़ा। जिससे वह अपनी सुख-दुःख की बातें कर सकें। इसलिए वह अपनी डायरी किट्टी को संबोधित करके लिखती है।
सोचने वाली बातें:
अगर आप एनी फ्रैंकलिन की जगह होतें तो क्या करतें?
क्या आप भी डायरी लिखते है अगर हाँ तो
सामान्यतः किन किन तरह के विचारों को लेखन में समाहित करतें है?
-प्रिंस, i-सक्षम संस्था में गया जिले में मेनेजर के पद पर कार्यरत हैं।
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