Wednesday, June 21, 2023

सीमाः ऑटो ना मिलने के कारण पैदल चलना पड़ा लेकिन कम नहीं हुआ हौसला

साल 2023 में NGO प्रथम द्वारा 17वीं वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट (ASER), 2022  के अनुसार कोविड-19 के दौरान आर्थिक तंगी के कारण लड़कियां स्कूल जाने से वंचित हो गई और कई लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी गई। साथ ही रिपोर्ट बताती है कि स्कूलों में गैर-नामांकित 11-14 आयु वर्ग की लड़कियों के अनुपात में साल 2018 के 4.1% से 2022 में 2% की कमी एक महत्त्वपूर्ण सुधार और सकारात्मक विकास है। यह इंगित करता है कि शिक्षा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के प्रयास प्रभावी रहे हैं और इससे स्कूलों में लड़कियों के नामांकन को बढ़ाने में मदद मिली है। 


हालांकि ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां शिक्षा के स्तर में अब भी व्यापक बदलाव की आवश्यकता है, जिसे MAITRI प्रोजेक्ट के जरिए सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। i-Saksham के तत्वधान में चलाए जा रहे MAITRI प्रोजेक्ट के जरिए एडूलीडर्स गांवों-कस्बों एवं दुर्लभ परेशानियों का सामना करते हुए अनामांकित बच्चियों का दाखिला सरकारी विद्यालयों में करा रहे हैं। ये एडू-लीडर्स मुंगेर, जमुई एवं गया के ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जो विभिन्न चरणों में अनामांकित बच्चियों की पहचान करके उन्हें शिक्षा से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। 


इस कड़ी में वे सबसे पहले सर्वे करते हैं, जिसमें वे घर-घर जाकर अनामांकित बच्चों को चिह्नित करते हैं एवं अभिभावकों को समझाने का प्रयास करते हैं। एडू-लीडर्स उन्हें शिक्षा की महत्ता बताते हैं, सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हैं एवं जरूरी कागजातों को इक्ट्ठा करते हुए बच्चियों का नामांकन नजदीक के विद्यालय में कराते हैं। 


नामांकन कराती सीमा



और पैदल चल पड़ी सीमा 


सीमा दिनांक 27/5/2023 दिन शनिवार को सुबह 5:30 बजे दिनचर्या एवं घर के कामों को निपटाकर अनामांकित लड़कियों के नामांकन के लिए ढाबचिरैया के लिए चल पड़ी। जब वे शेरघाटी पहुंची, तो उन्होंने ओटो रिजर्व करने का निर्णय लिया क्योंकि गांव की दूरी अधिक होने के कारण रास्ता काफी कठीन था लेकिन दुर्गम रास्ता होने के कारण ओटो भी वाला तैयार नहीं हुआ। 


ऑटो ना मिलने और रास्ता कठीन होने की बात को दरकिनार करते हुए सीमा ने बिना किसी का इंतजार किए पैदल ही चलने का निर्णय लिया। इतने में कुछ ही दूर जाने के बाद उन्हें एक और ओटो वाला दिखा, जिससे उन्होंने बात करने की कोशिश की और कहा, भईया, ज्यादा दूर नहीं जाना है। आप बीच रास्ते में एक स्कूल पड़ता है। आप मुझे बीच रास्ते में ही उतार दिजिएगा। बार-बार कहने के बाद ऑटो वाले ने हामी भरी और सीमा स्कूल पहुंच गईं।


अनामांकित बच्चों का हुआ नामांकन 


स्कूल पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि उस समय तक एक भी टीचर उपस्थित नहीं थे। स्कूल में केवल बच्चे थे। इस दौरान सीमा ने सोचा कि क्यों न गांव में जाकर बच्चों के अभिभावकों से मिलकर बातचीत की जाए। इसके बाद वे ढाबचिरैया गांव में जाकर बच्चों के अभिभावकों से मिलकर बातें करने लगी और उसके बाद वे टोला कुशी में आ गई। 


वहां भी बच्चों के अभिभावकों से मिलकर बातचीत करके दोबारा स्कूल में पहुंची, तब तक प्रिंसिपल सर भी आ चुके थे। उन्होंने प्रिंसिपल से मिल कर नामांकन के लिए बात चीत की और उन्होंने 8 बच्चों का नामांकन कराया, जिसमें 2 लड़कियां और 4 लड़के शामिल थे। 


सीमा के ऑटो ना मिलने की समस्या यहां भी थी लेकिन उन्होंने हार ना मानते हुए ढाबचिरैया स्कूल से काफी दूरी बसे एक गांव के घुजी स्कूल में पहुंच गई। वहां भी उन्होंने बच्चों के माता-पिता से मिलकर नामांकन के लिए प्रोत्साहित किया और 2 अनामांकित लड़कियों का घुजी स्कूल में नामांकन करवाया गया।  


सीमा ने सुबह-सुबह की अपने घर की चौखट को अनामांकित लड़कियों एवं लड़कों के नामांकन के लिए पार किया था और उनका यह प्रयास दिन ढलते-ढलते यर्थाथ में तब्दील हो रहा था।

 

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