Wednesday, June 28, 2023

क्या सीमा का निर्णय सही था? अगर आप उनकी जगह होते, तो आपका निर्णय क्या होता?


नामांकन कराती सीमा


हर दिन की तरह आज भी आमस प्रखंड के नीमा गांव की रहने वाली सीमा सुबह-सुबह बच्चियों के नामांकन हेतु गांवों के निरीक्षण के लिए निकल पड़ी। आज सीमा अकेली नहीं थीं बल्कि उनके साथ उनकी एक सहयोगी भी मौजूद थी इसलिए गंतव्य पर पहुंचने के दौरान दोनों ने आपस में विचार विमर्श किया कि क्यों न समय को ध्यान में रखते हुए दो साथी दो अलग-अलग स्कूलों में चले जाएं। इस बात पर सहमति बनने के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए मगर मंजिल एक रही अनामांकित बच्चियों का नामांकन। 


सीमा ने शेरघाटी ब्लॉक के बार गांव का सर्वे पहले किया था इसलिए उन्हें जानकारी थी कि वहां पर दो स्कूल हैं। पहला, एक प्राथमिक विद्यालय बार स्कूल और दूसरा मध्य विद्यालय बार हुसैनगंज स्कूल है। सर्वे के दौरान उन्हें पता चला था कि बार के पोषक क्षेत्र वाले बच्चे बार के ही स्कूल में नामांकन करवाते हैं और वार हुसैनगंज वाले पोषक क्षेत्र वाले बच्चे वार हुसैनगंज में ही नामांकन करवाते हैं इसलिए सीमा प्राथमिक विद्यालय बार में बच्चों के नामांकन के लिए चली गई। साथ ही अपने साथ आईं सहयोगी अंजना ने मध्य विद्यालय वार हुसैनगंज में बच्चों के नामांकन की कमान संभाली। 


जब सीमा बच्चों और उनके अभिभावकों को लेकर बार स्कूल में पहुंची तो वहां उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। प्राथमिक विद्यालय बार स्कूल के हेडमास्टर ने कहा, “आज हम नामांकन नहीं लेंगे।” हालांकि ये स्थिति पहली दफा नहीं थी बल्कि कई बार सीमा ने ऐसी चुनौतियों का सामना किया था इसलिए वे स्पष्ट थी कि इन चुनौतियों के बाद नामांकन हो ही जाएगा इसलिए उन्होंने हेडमास्टर को समझाने का प्रयास किया और कहा, “सर, नामांकन ले लीजिए।” सीमा के इतना कहते ही हेडमास्टर ने कहा, “ऐसे कैसे लेंगे नामांकन? क्योंकि अब तो नामांकन ऑनलाइन होता है और जब तक बच्चे का सारा डॉक्यूमेंट हमारे पास उपस्थित नहीं होगा, तब तक नामांकन नहीं लेंगे।” 


इतना सुनने के बाद सीमा ने कहा, सर, मुझे भी एस आर नंबर लेना रहता है। इस पर हेडमास्टर ने तल्ख मिजाज में कहा, कोई बात नहीं। आप किसी दूसरे दिन आकर ले लीजिएगा। इस पर सीमा ने कहा, नहीं सर। आज ही नामांकन करवाएंगे और एस आर नंबर किसी दूसरे दिन लेने आएंगे। मुझे आज ही एस आर नंबर नहीं लेना है बल्कि नामांकन कराना है। इसपर हेडमास्टर ने कहा, ठीक है। आधार कार्ड का फोटो कॉपी करवा कर लाइए। सीमा तुरंत आधार कार्ड की कॉपी करवाकर ले आईं लेकिन तब भी उन्हें 15 मिनट तक इंतजार कराया गया मगर तब भी नामांकन के लिए नहीं बुलाया गया। इस पर सीमा ने हेडमास्टर से मिल कर उन्हें कहा, सर, मैं 20 मिनट तक इंतजार कर लूंगी लेकिन मुझे अब नामांकन और एस आर नंबर आज ही चाहिए। अंततः हेडमास्टर को बच्ची का नामांकन करना पड़ा और सीमा के इतने प्रयास के बाद बच्ची का एस आर नंबर भी मिला। इस प्रकार सीमा ने प्राथमिक विद्यालय बार में दो लड़कियों का नामांकन करवाया। 


इसके बाद सीमा के अंदर आत्मविश्वास जाग उठा और अब वे बार हुसैनगंज स्कूल में नामांकन के लिए चल पड़ी। सीमा जैसे ही स्कूल के पास पहुंची तब अंजना का फोन आया। फोन के दूसरी ओर से आवाज आई, दीदी, आज सर नामांकन नहीं लेंगे। इस पर सीमा ने अंजना से कहा, कोई बात नहीं। मैं अभी स्कूल ही पहुंचने वाली हूं। 


सीमा ने जैसे ही स्कूल में कदम रखा, उन्हें उनकी पहली चुनौती मिल गई। हेडमास्टर गेट के पास ही खड़े थे। सीमा ने उनका अभिवादन किया लेकिन हेडमास्टर ने बिना अभिवादन का जवाब दिए ही प्रश्नों की बौछार कर दी और पूछा, “आप भी आई सक्षम से ही आए हैं?” इस पर सीमा ने हामी भरी। इस पर हेडमास्टर ने कहा, ठीक है। आप अंदर जाकर बैठिए।” इसके बाद सीमा अंदर जाकर बैठ गईं, तभी हेडमास्टर ने कमरे में कदम रखते हुए ही पूछा, आपको भी नामांकन करवाना है? सीमा ने हामी भरी और कहा, जी हां सर। आज ही नामांकन करवाना है। उन्होंने दोबारा सुनिश्चित करने के लिए पूछा कि सच में आज ही नामांकन कराना है, तो सीमा ने ढता से जवाब दिया कि जी हां, आज ही नामांकन कराना है। 


इस पर हेडमास्टर ने कहा, ठीक है। अभी मेरे पास एक भी एडमिशन का फॉर्म नहीं है, तो इसे आप फोटो कॉपी करवा कर लाइए और इसे भरिए तभी एडमिशन आज के डेट में लेंगे। अन्यथा जब तक हमारे पास 5 बच्चे एक साथ उपस्थित होंगे तब तक एडमिशन नहीं लेंगे। इतना सुनने के बाद सीमा ने स्वयं जाकर फॉर्म का फोटो कॉपी करवाया और लाकर उसे भरकर दे दिया। 


सीमा द्वारा इतना कार्य करने के बाद हेडमास्टर ने दोबारा कहा, आप तो एडमिशन करवा कर चले जाइएगा लेकिन बच्चे नहीं आएंगे इसलिए बच्चे के विद्यालय नहीं आने पर जिम्मेदारी आपकी होगी क्योंकि पहली कक्षा में भी आपने कई बच्चों का एडमिशन करवा लेकिन एक भी बच्चे उपस्थित नहीं होते हैं इसलिए आप आवेदन लिखिए और इसमें अपना हस्ताक्षर करिए। इसके साथ ही अपने संस्था का नाम लिखिए और बच्चों के अभिभावक से भी रोज आने के लिए हस्ताक्षर करवाइए, तभी हम आज एडमिशन करेंगे अन्यथा नहीं करेंगे। 


इस पर भी सीमा राजी हो गई और कहा, ठीक है सर। अंततः सीमा ने लिखित आवेदन दे दिया मगर सीमा के मन में उधेड़बुन थी कि ये आजतक की सबसे बड़ी चुनौती थी लेकिन वे खुश थी कि उन्होंने मध्य विद्यालय  हुसैनगंज में 4 बच्चियों का नामांकन करवाया। 


इसके बाद सीमा ने हेडमास्टर को धन्यवाद बोलते कहा और अपने दूसरे गंतव्य की ओर बढ़ गईं। जैसे-जैसे सीमा के कदम आगे बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे मन में सवालों का बवंडर उठ रहा था लेकिन वे समझ नहीं पा रही थी। अचानक सीमा के मन में मन में विचार आया कि दूसरे गांव में भी नामांकन के लिए चले जाते हैं। इसके बाद सीमा महमदपुर गांव में बच्चों के नामांकन के लिए चल पड़ी। यहां भी उन्हें सर्वे करने का फायदा हुआ क्योंकि उनके पास उन बच्चियों के अभिभावकों का नंबर और अन्य जानकारी थी, जिनका नामांकन नहीं हो सका था इसलिए उन्हें तुरंत अपना फोन निकाला और एक नंबर डायल किया।


उन्होंने एक अभिभावक को कॉल करके अपने बच्चे को लेकर महमदपुर स्कूल में लेकर आने के लिए कहा। अभिभावक भी अपने बच्चे को लेकर महमदपुर स्कूल में पहुंच गए। स्कूल पहुंचते ही एक शिक्षक ने पूछा, क्या आप लोगों का भी कोई प्रोग्राम करना है क्योंकि अभी-अभी प्रथम कक्षा वाले प्रोग्राम कर रहे हैं। इस पर सीमा ने कहा, नहीं सर। मुझे तो बच्चे का नामांकन करवाना है। इस पर उन्होंने कहा, ठीक है। आप जाकर हेडमास्टर से बातचीत कीजिए। 


सीमा ने हेडमास्टर से बातचीत करके और सारे कागजात देकर 3 बच्चियों का नामांकन कराया। सीमा और हेडमास्टर के बीच बातचीत चल ही रही थी कि हेडमास्टर ने थोड़ा रूक कर कहा, आप इतनी मेहनत दूसरों की बच्चियों के लिए कर रही हैं क्योंकि ईट-भट्टे पर काम करने वाले अभिभावक आने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि वो शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं है और आप ईट-भट्टे पर जाकर माता-पिता का हाथ पकड़ कर उनके बच्चों का नामांकन करवा रहे हैं। इतना कोई भी नहीं कर सकता है। आप इतनी मेहनत कर रही हैं। दूसरे के बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए आपके मेहनत का वर्णन नहीं किया जा सकता है। इतना तो हम लोग टीचर हैं फिर भी नहीं कर सकते हैं, जितना आप कर रही हैं। ठीक इसी प्रकार जैसे आप बच्चियों का नामांकन करवा रही हैं, ठीक उसी प्रकार आप अपना पता और फोन नंबर दीजिए।” 



इतना सुनने के बाद सीमा ने सवालिया निगाहों से देखते हुए पूछा, “लेकिन क्यों सर?” इस पर हेडमास्टर ने कहा, “आप जिस बच्चे का नामांकन करवाए हैं, अगर वह बच्चा विद्यालय में अनुपस्थित रहेगा तो आपके पास तुरंत कॉल जाएगा। जिस तरीका से आप अभी इनके ईट-भट्टे पर से लाकर एडमिशन करवा रहे हैं, ठीक उसी प्रकार विद्यालय के समय बच्चे के विद्यालय में उपस्थित नहीं रहने पर आप आकर बच्चे को स्कूल में उपस्थित करवाइएगा।” 


सीमा मौन रही लेकिन बच्चियों का चेहरा देखकर उन्होंने अपना पता और नंबर तो साझा कर दिया और उन्होंने 3 विद्यालयों में 9 बच्चियों का नामांकन कराया लेकिन अपनी निजी जानकारी साझा करने और लिखित में घोषणा-पत्र देने के कारण सीमा चिंतित हैं क्योंकि अगर कोई बच्ची स्कूल नहीं जाएगी, तो उन्हें दोषी ठहराया जाएगा। भले ही सीमा ने नामांकन और जागरूक करने का बीड़ा उठाया हो लेकिन क्या बार-बार सीमा को कॉल करना और बच्चों के अनुपस्थित रहने पर जिम्मेदार ठहराना सही है और क्या सीमा का निजी जानकारी साझा करना सही है जबकि सीमा ने तो समाज में बदलाव के लिए झंडा उठाया है? 

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