Tuesday, December 24, 2024

रंजन की कहानी: एक गहरी समस्या की झलक

रंजन की कहानी: एक गहरी समस्या की झलक
स्नेहा, जो कि एक कम्यूनिकेशन बडी है, सुबह-सुबह सरारी के स्कूल का में गई। यह स्कूल उस क्षेत्र के बच्चों के लिए एक सीखने का केंद्र था, और एडु-लीडर पिंकी यहां की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। जब स्नेहा स्कूल पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि सारे बच्चे पिंकी के साथ बड़े ध्यान से पढ़ाई कर रहे थे। स्नेहा ने मुस्कुराते हुए सभी बच्चों को "गुड मॉर्निंग" कहा।
पिंकी का दर्द और समर्पण
पिंकी थोड़ी उदास लग रही थीं। स्नेहा को पता चला कि कुछ दिन पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था। यह पिंकी का स्कूल में पहला दिन था, और उन्होंने खुद को संभालते हुए बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया।
पिंकी कक्षा में बच्चों को हिंदी में महीने के नाम लिखना और पढ़ना सिखा रही थीं। उनकी मेहनत और समर्पण स्नेहा के दिल को छू गया। हालांकि, स्नेहा ने महसूस किया कि पिंकी को थोड़ा आराम की जरूरत है।
कक्षा में मेरी गतिविधि :- एक घंटे तक पिंकी को पढ़ाते हुए देखने के बाद, स्नेहा ने पिंकी से कहा, "आप थोड़ा बैठ जाइए, मैं बच्चों के साथ एक एक्टिविटी करूंगी।" बच्चों को उत्साहित करने के लिए स्नेहा ने एक नई गतिविधि शुरू की।
"गुस्सा कब और क्यों आता है?" स्नेहा ने बच्चों से यह सवाल पूछा। उन्होंने बच्चों से कहा, "थोड़ी देर के लिए अपनी आंखें बंद कीजिए और सोचिए कि आपको गुस्सा कब और क्यों आता है। फिर एक-एक करके अपनी बात साझा कीजिए।"


बच्चों की भावनाएँ
बच्चे उत्साह से अपनी भावनाएँ साझा करने लगे। किसी ने कहा, "जब पापा मोबाइल देखने नहीं देते, तो गुस्सा आता है।" किसी ने कहा, "जब मम्मी खेलने नहीं देतीं, तो गुस्सा आता है।" बच्चों के जवाब मासूम थे, और स्नेहा उनके साथ हंस रही थीं।

फिर स्नेहा ने देखा कि कक्षा 3 का एक बच्चा, रंजन, शांत बैठा हुआ था। स्नेहा ने उससे पूछा, "रंजन, तुम्हें गुस्सा कब आता है?"

रंजन ने धीरे-धीरे जवाब दिया, "दीदी, मुझे गुस्सा तब आता है जब पापा शराब पीकर आते हैं। वे मम्मी से झगड़ा करते हैं और उन्हें मारते भी हैं।"

सन्नाटा और सहानुभूति

कक्षा में गहरा सन्नाटा छा गया। सभी बच्चे रंजन की बात सुनकर शांत हो गए। स्नेहा ने देखा कि रंजन की आंखों में दर्द था। उसने महसूस किया कि यह बात केवल रंजन की नहीं, बल्कि कई बच्चों की हो सकती है।

समाधान की ओर

स्नेहा ने बच्चों से पूछा, "अगर आप रंजन की जगह होते, तो क्या करते?" बच्चों ने गंभीरता से जवाब दिए।

  • "हम किसी बड़े से मदद मांगते।"

  • "हम बाहर जाकर हल्ला करते और लोगों को बुलाते।"

  • "हम पापा को नींबू पानी देते ताकि उनका नशा कम हो जाए।"

  • "जब पापा शांत होते, तो उनसे बात करते।"

बच्चों के जवाब ने स्नेहा को भावुक कर दिया। वह खुश थीं कि बच्चे न केवल समस्या को समझ रहे थे, बल्कि समाधान की दिशा में सोच भी रहे थे।

होमवर्क और एक नई शुरुआत

स्नेहा ने बच्चों को होमवर्क दिया। उन्होंने कहा, "घर में दो लोगों से बात करो और उनसे पूछो कि रंजन अपनी मम्मी की मदद कैसे कर सकता है। कल इस पर चर्चा करेंगे।"

बच्चों ने यह जिम्मेदारी बड़े उत्साह से ली। स्नेहा ने देखा कि इस गतिविधि ने बच्चों में सहानुभूति और दूसरों की भावनाओं को समझने का गुण विकसित किया।

पिंकी और स्नेहा का समर्पण

स्नेहा ने पिंकी की ओर देखा, जो यह सब देखकर मुस्कुरा रही थीं। स्नेहा को लगा कि पिंकी की उदासी थोड़ी कम हुई थी। इस स्कूल में स्नेहा और पिंकी ने न केवल पढ़ाई, बल्कि बच्चों के दिल और दिमाग में नई सोच पैदा करने का बीड़ा उठाया था।

स्नेहा, कम्यूनिकेशन बडी
जमुई
 

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