छोटी कोशिश का बड़ा असर: सामुदायिक बदलाव की कहानी"
एक छोटे से गाँव में, जहां ज्यादातर लोग पढ़ाई-लिखाई से दूर थे, वहां एक युवा लड़की ने ठान लिया कि वो लोगों की जिंदगी में बदलाव लाएगी। उसका नाम रानी था। रानी गाँव के बच्चों और अभिभावकों के साथ काम करती थी, उन्हें नई चीजें सिखाती और उनके जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करती है।
एक दिन, रानी ने सोचा कि गाँव के लोगों से मुलाकात की जाए और उनसे बातचीत की जाए। उसने सबसे पहले दो अभिभावकों से मिलने का फैसला किया। ये वही अभिभावक थे, जिन्हें रानी ने कुछ समय पहले सिग्नेचर करना सिखाया था।
रानी ने मुस्कुराते हुए पूछा, "तो बताइए, सिग्नेचर करना याद है या भूल गए?" अभिभावकों ने गर्व से जवाब दिया, "हाँ, बिलकुल याद है! देखिए!" उन्होंने कागज पर सिग्नेचर करके दिखाया।
रानी का दिल खुशी से भर गया। उन्होंने आगे बताया, "आपके सिखाने की वजह से हम बैंक गए थे और वहां अपने दस्तख़त से पैसे निकाले। वो दिन हमारे लिए बहुत खास था।"
रानी ने उनकी आँखों में आत्मविश्वास की चमक देखी और महसूस किया कि उसका छोटा-सा प्रयास उनकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव ला चुका है।
इसके बाद, रानी एक महिला के घर गई। उसने पूछा, "आप अभिभावक मीटिंग में क्यों नहीं आतीं?"
महिला ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, "बहुत काम रहता है, इसलिए समय नही मिल पाता है।
रानी ने समझाते हुए कहा, "मीटिंग में आप सबके लिए नई बातें सिखाई जाती हैं। बच्चों की परवरिश के बारे में चर्चा होती है, और साथ में खेल-कूद भी होता है। आपको मै अभी हस्ताक्षर करने के लिए सिखा रही हूँ।"
महिला ने आश्वासन दिया, "अगली बार जब मीटिंग होगी, तो मुझे जरूर बताइएगा। मैं आऊंगी। रानी ने खुश हो कर बोली जरुर आइएगा।"
फिर रानी ने रास्ते में एक लड़की को देखा। उसका नाम मुस्कान था। मुस्कान ट्यूशन जा रही थी। रानी ने मुस्कुराते
हुए कहा, "जाओ, अच्छे से पढ़ाई करना।" मुस्कान ने सिर हिलाकर जवाब दिया और आगे बढ़ गई।
उस दिन रानी को महसूस हुआ कि उसके प्रयास धीरे-धीरे लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं। चाहे वो सिग्नेचर सिखाना हो, मीटिंग में शामिल होने की प्रेरणा देना, या बच्चों को प्रोत्साहित करना—हर छोटी-सी कोशिश का बड़ा असर हो रहा था।
रानी ने मन ही मन सोचा, "शायद इसी को असली खुशी कहते हैं—दूसरों की जिंदगी में रोशनी भरना।"
रानी कुमारी
बैच-10, एडू-लीडर
गया
आप i-सक्षम में जुड़ने से पहले जेनरल की पढाई कर रहे थे और KYC किये हुए हैं। आपको i-सक्षम के बारे में अपनी माँ से जानकारी मिली, और 2023 में संस्था के साथ जुड़े हैं। i-सक्षम में एडू-लीडर के नाम से आपको समाज और संस्था में नयी पहचान मिली हैं। आप अपने जीवन में बिहार कर्मचारी बनाना चाहते है।)
No comments:
Post a Comment