Tuesday, September 17, 2019

शिक्षक बच्चो को शारीरिक दंड क्यों देते है ? - By Rohit Raina

शिक्षक बच्चो को शारीरिक दंड क्यों देते है ?


 और बच्चो पे इसका क्या की प्रभाव पड़ता है ?.. शारीरिक दंड* जैसे :- छड़ी मारना , एक पैर पर खड़ा रखना , मुर्गा बनाना , धुप में खड़ा रखना और भी कई प्रकार केे शारीरिक दंड बच्चो को पढाई केे दौरान गलतियां करने पर दिया जाता है !
शिक्षक बच्चो को शारीरिक दंड देते है  इसका कई कारण हो सकते हैं ! ( सभी शिक्षक ऐसा नही करते हैं )
इसके निम्न कारण हो सकते हैं !
बच्चे  HW नही बना के लाते इससे उसको मार पड़ती है !
क्लास में हल्ला करने के कारण मार पड़ती है , बदमाशी के कारण मार पड़ती है !
क्लास में बिना पूछे कोई काम  करता तब मार पड़ती है !
बच्चे  शिक्षक का  बात नही मानता इसके लिए मार पड़ता है !
दुसरे बच्चे के तुलना करके पीटना !
कोई अलग ही तरह का खेल खेलना जैसे : लट्टू  नचाना  , गुल्ली डंडा खेलना , लड़ाई झगड़ा वाला खेल खेलना इत्यादि !
absent के कारण !
test में कम अंक लाने या फ़ैल हो जाने के कारन ! 
कभी – कभी तो बीच – बीच में बच्चे का पेरेंट्स खुद आके बोलते हैं की  मेरे बच्चे घर में पढाई नही करता और नाही मेरे बात मानता है , इसे पीटिये ! लेकिन आज तक  मैंने  किसी पेरेंट्स के मुह से ये नही सुना की इसे दंड नही  दीजियेगा ! इस कारण से भी शिक्षक  गुस्सा होकर  बच्चो को पिटते हैं ! 
उदहारण के तौर पे  मान लीजिये मैं एक एसा शिक्षक हूँ , जो इस तरह के बातो को सोचकर बच्चो को शारीरिक दंड देता है ! ( बल्कि मै ऐसा नही करता हूँ )
H .W अगर न बनाया तो : - अगर आज मैं इसे नही पिटा तो कल से फिर HW नही बनाएगा मुझे इसे पीटना चाहिए !
बदमाशी करने पर : अगर मैं इसे नही पिटा तो इसी तरह से ये बदमाशी करते रहेगा , इसे देख कोई दूसरा भी ऐसे करेगा !
बिना पूछे कोई काम करना जिससे नुकसान का डर हो  : मुझे इसे  PUNISH  करना चाहिए  , नही तो ये दुबारा एसा करने को सोचेगा !
शिक्षक का बात न मानने पर : मैं इसे बहुत बोलता हु फिर भी मेरा बात नही मानता अगर मैं इसे पिटा तो ये मेरा  हर बात मानेगा !
दुसरे बच्चे के तुलना करके पीटना : अगर मैं इसे दुसरे बच्चो के साथ तुलना करके पिटूँगा तो ये भी उसी के जैसा बनने का कोशिश करेगा !
PARENTS के बात न मानने पर : हमे तो पेरेंट्स के तरफ से FULL आर्डर मिला है , मैं इसे किसी भी तरह से सुधार सकता हूँ ! मैं इसे punish भी  कर सकता हूँ ,  तब ये घर में सब काम सही सही - करेगा और parents का बात भी मानेगा !
शिक्षक को ऐसा लगता है की , बच्चे को इस तरह  पढ़ाने से जल्दी सिख जायेगा , लेकिन ऐसा नही होता है ! जब शिक्षक कभी बहार निकलते है तो बच्चे उनके दर से छुप जाते है , उसको पता है अगर सर हमे देख लिया तो मार खाना निश्चित है ! जब बच्चा शिक्षक से दर जाता है , तो शिक्षक को बहुत ख़ुशी होती है , की बच्चा हमसे डर  रहा है !
मुझे अच्छी तरह से याद है , जब मैं middle स्कूल में पढता था मुझे वो फीलिंग आज भी याद है ! साथ – ही साथ मुझे tution का भी सारी बातें याद है !
जब कोई HW मिलता था , और नही बना पाते थे , तो अगले दिन  मार लगता था , या कोई पनिशमेंट मिलता था ! जिससे साथी लोग हँसते भी थे !       feeling :- गुस्सा भी आता था , और सर्मिंदगी महसूस होती थी !
मन उदास हो जाता था ! कभी – कभी ज्यादा hw मिलता था  तो ! tution  ही नही जाते थे !
absent : - इसका भी नियम था एक दिन नही जाते थे तो 10 छड़ी मार लगती थी !
कभी – कभी सर से इतना दर जाते थे की कुछ दिन सवाल ही नही पूछते थे , हमे लगता था अगर पूछेंगे तो कही फिर न मार पर जाये ! ...............................और भी कई सरे फीलिंग होती थी पनिशमेंट के कारण !
कभी – कभी सर  अगर दुसरो के साथ तुलना करके पिटते थे तो और भी बुरा लगता था ! demotivate  के साथ – साथ कभी –कभी  तनाव ग्रस्त भी महसूस करते थे ! कुछ students तो पढना छोड़ दिया था !
हाँ लेकिन उन कारणों में से कभी – कभी हम सोचते थे  की हमे आखिर punishment क्यों क्या जाता था खुद में  बदलाव लाने के लिए मेहनत  भी करते थे !  लेकिन इस तरह से कुछ students ही खुद में changing लाया ! बाकि कई लोगों पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ता था !
ऊपर दिए गये जो भी punishment की बात कही गई , जरुरी नही की उसमे सभी चीजे एकही शिक्षक अपनाई हो कुछ बहुत अलग होते है , कुछ  शिक्षक punishment को अपने क्लास में बिल्कूल  नही अपनाते है !
* इससे बच्चों पर और भी कई प्रभाव पड़ते है !
1) डर से school / tution नही जाना
2) शिक्षक से सवाल  पूछने से डरना
3) पढाई से नफरत करने लगना
4) dipression में आ जाना
6)सही से सो नही पाना 
7 ) demotivate हो जाना +  और भी कई तरह केे  बुरे प्रभाव बच्चे पर पड़ते हैं ! जो सही नही हैं ! हमे बच्चो केे भावनाओ को समझना चाहिए ! कि वो किस तरह से सोचते हैं , क्या चाहते हैं ? हमे उनके जैसा बनके सोचना चाहिए उसकी  रोजमर्रा की जिंदगी में झांककर देखना चाहिए ! और हमें उसका सहयोग करना चाहिए ! तब यह शायद खत्म हो सकता है !  हमने  पिछले शनिदवार I-Saksham office में एक छोटा सा video देखा वो भी इससे बहुत मिलती जुलती है !  .........यह मेरे नजरिये से था ! आपके नजरिये से क्या  हो सकता है ?
                    . .......धन्यवाद .............By Rohit Raina

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