मैं और परमजीत भैया सुभाष नगर गए थे। वहाँ छोटी (बैच-5) के सेंटर को विजिट किया। इस लेख में मैं वहाँ के कुछ अनुभव साझा करने जा रही हूँ। पिछले सप्ताह जब मैं छोटी से बड़ी टॉक कर रही थी तो छोटी ने अपने सेंटर को लेकर एक चैलेंज बताया था वह चैलेंज यह था कि वह जिस गांव में बच्चों को पढ़ाने जाती है। उस गांव में विद्यालय नहीं है।
वहाँ एक समुदाय भवन है, उस भवन को ही इस गाँव का प्राथमिक विद्यालय माना जाता है, और वहाँ सरकारी शिक्षक एक से पाँच तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। इस बात को बताकर छोटी पूछती है कि इस समस्या में दीदी मैं बच्चों को कैसे पढ़ाऊं? जबकि सुभाष नगर में जो विद्यालय के शिक्षक हैं वह मुझे बच्चो को पढ़ाने में सहयोग करते हैं, लेकिन वहाँ जगह ही नहीं है। एक ही कमरा है जहाँ हेड-मास्टर भी एक कोने में अपना ऑफिस समेटे हुए है और एक से पांच तक के बच्चे भी पढ़ते हैं। कुछ दिन पहले शिवदानी भैया हमारे गांव में आए थे, तो बातचीत के दौरान पास के एक घर के बाहर की कोठरी वहाँ के मालिक, बच्चो को पढ़ाने के लिए दे दिए थे।
लेकिन लड़ाई झगड़ा के दौरान वह कोठरी भी आपसी मामले में तोड़ दिया गया। ऐसी परिस्तिथियों में मैं बच्चों को कैसे पढ़ाऊं और कहाँ पढ़ाऊं?
कुछ समझ नहीं आता है, मैं अगर शिक्षक के साथ पढ़ा भी लेती हूं तो हमारे बच्चे जो हमारे डैशबोर्ड में है वह बच्चे के प्रोग्रेस को मैं एड्रेस नहीं कर पाऊंगी और हमारे बच्चे किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं यह भी हमें पता नहीं चलेगा।
आज मैं जब वहाँ गयी तो वहाँ के आसपास के नजरिए को देखकर लगा कि वाकई में वहाँ पर हरिजन कम्युनिटी रहती है जहाँ के लोगों के पास ना तो पक्का मकान है और ना ही अच्छा घर है जहाँ छोटी, बच्चों को पढ़ा सके।
जब मैं, परमजीत भैया और छोटी सुभाष नगर पहुँचे तो उस विद्यालय में बैठक चल रही थी बैठक के दौरान सभी पेरेंट्स से छोटी की दिक्कतों को और i -सक्षम के कार्यों को सभी के सामने परमजीत भैया ने रखा, जहाँ सभी अभिभावक भी ध्यान से सुन रहे थे।
अभिभावकों को छोटी का कार्य अच्छा लगा और एक अभिभावक अपने दूर के घर पर छोटी को पढ़ाने के लिए कह रहे थे लेकिन उस विद्यालय के जो शिक्षक थे उनका कहना था कि आप विद्यालय के समय में बच्चों को कैसे ले जा सकते हैं? अगर यहाँ पर कोई चेकिंग करने आ गया तो हम क्या बताएंगे? अगर आपको विद्यालय के समय छोड़कर सुबह का समय और शाम का समय पढ़ाना हो तो आप इसी समुदाय भवन की चाबी ले लीजिये और बच्चों को पढ़ा लीजिये। लेकिन दिक्कत यहाँ यह है कि हरिजन कम्युनिटी में अगर छोटी सुबह में पढ़ाती है तो उनके अभिवावकों का कहना था कि कई ऐसे बच्चे हैं जो कहीं और ट्यूशन पढ़ने जाते हैं तो अटेंडेंस बहुत नीचे हो जाएगा। शाम में भी इसीलिए नहीं पढ़ा सकते क्योंकि अगर बच्चा सुबह 9:00 से 4:00 तक विद्यालय में रहेगा उसके बाद उसको दो घंटा अलग से टाइम दिया जाए तो बच्चे पढ़ने नहीं आएंगे क्योंकि बच्चे का खेलने का समय होता है।
परमजीत भैया ने शिक्षा के महत्व, i-सक्षम के कार्यों, और छोटी के प्रयासों के बारे में सभी को बताया। अभिभावकों द्वारा किये गये अनेकों सफल प्रयासों के उदाहरण भी दिए। इस बातचीत के दौरान कई ऐसे अभिभावक थे जो बच्चों के पढ़ाने के लिए सकारात्मक हो गए। उनकी बातें सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे कि आने वाले दिनों में बच्चे खुद ही छोटी के पास पढने आयेंगे।
आँचल, i-सक्षम संस्था में टीम सदस्य हैंI ये जमुई, बिहार की निवासी हैंI
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