Tuesday, August 31, 2021

बस इतना ही तो करना है! : परमजीत

इस बार मैं अभिभावकों के साथ हुई बातचीत के अनुभव को साझा करने जा रहा हूँ। जब हम क्लासरूम ऑब्जरवेशन के लिए सिंगारीटांड (गाँव) गए तो सोचे क्यों ना आँगनवाड़ी के बच्चों से भी जाकर मिल लें?

पर समय लगभग 12:30 हो गया था, लग रहा था छुटी हो गयी होगी

पर फिर भी हम सोचे, चल कर देख लेते है। जब हम वहाँ पहुँचे तो बच्चों की छुट्टी हो चुकी थी। परन्तु वहाँ कुछ महिलायें बैठ कर बीड़ी बना रही थी। मन में सोचा कि अच्छा मौका है इन लोगो से ही बातचीत कर लेते है।

हमनें उन लोगो से पूछा, क्या आज प्रतिमा दी पढ़ाने नहीं आयी हैं?

तो बोली अभी गयी है, 10-15 मिनट पहले ही छुट्टी हुई है। उन लोगो में कुछ महिलायें हमें पहचानती थी। हम वहीँ आराम से एक तरह बैठ कर उन से बातचीत करने लगे।

हम ने उन लोगो से पूछा, "प्रतिमा दी को आपलोग पढ़ाते हुए देखे है क्या? कैसे पढ़ाती है, वो"?

एक-एक कर सभी महिलायें बताने लगी:

हाँ सर, बच्चा को गोटी (कंकड़) से पढ़ाती है। प्लास्टिक वाले कार्ड से पढ़ाती है।

एक दिन गेंद से खिला रही थी।

कल बतख वाला गीत करवा रही थी? (कविता)

हम सभी के बातों को ध्यान से सुन रहे थे।

फिर हम ने दूसरा सवाल पूछा कि, अच्छा बताइये कि जब से प्रतिमा दी यहाँ पढ़ाने लगी हैं तो आपके बच्चे मे क्या-क्या बदलाव आया है ?

तो बोले

"अभी तो कुछ नाय जानो हों सर लिखेलें, क याद करो हों " (अभी कुछ लिखने नहीं जानता है सिर्फ क याद कर रहा है।)

फिर हम ने उन लोगो को समझाया कि बदलाब का मतलब ये नहीं कि बच्चा लिखना सीख जाये। वो कुछ भी हो सकता है। जैसे हम बचपन में अपने से खाना नहीं खा पाते थे, अब अपने से खाने लगे। ये भी एक बदलाव है।

क्या इसी प्रकार का कोई बदलाव आया है आपके बच्चों मे?

तो वो बोली,

हाँ सर, पहले पढ़वो नाय करोहले, अब पढ़ो है जब मन होबो हैय। (पहले नहीं पढता था, अब जब मन होता है पढता है।)

रोज 10 बजे सलेट के ले आ जाय हों। (रोज समय पर (10 बजे) पढ़ने आने लगे है।)

फिर हमने उन लोगो से जाना कि आप सभी में से किसके किसके बच्चे विद्यालय जाते है?

क्या आप कभी अपने बच्चों से पूछते है कि-

  1. आपके सर ने आज क्या पढ़ाया?
  2. आज क्या सीखा?

लगभग सभी ने "नहीं" ही बोला। हम कुछ नहीं जानते है, हम पढ़े-लिखें नहीं है।

हमने उन्हें समझाया और बताया कि नहीं पढ़े-लिखें है तो कोई बात नहीं। आप सभी अपने बच्चों से सिर्फ ये दो सवाल पूछियेगा। देखिये, बच्चे क्या बताते है जो भी बताते है उसे आप ध्यान से सुनिए। अगर बच्चा बोलता है कि कोई कहानी पढ़े है तो उसे कहानी के बारे मे कुछ सुनने को बोलिये।

बस इतना ही तो करना है!


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