मैंने C.L.F बैठक खैरा में जीविका दीदियों के साथ करीब 2 घंटे बिताये। मैं जैसे ही C.L.F ऑफिस पहुँचा तो बाहर से ही अंदर झाँक कर देखा तो करीब 30 दीदी बैठी हुई दिखी। थोडा सा मेरे मन में लगा अन्दर में तो केवल महिला लोग ही बेठी है मैं अन्दर जाऊ या ना जाऊ?
मैं बाहर बैठ कर सोचने लगा। फिर लगा
क्यों न एक बार राजेश सर को कॉल कर लिया जाए।
तभी अचानक से बारिश होने लगी। फिर तो
बाहर रुकने का विकल्प ही नहीं बचा था। मैं दीदियों को नमस्ते बोलते हुए अंदर गया
और बैठ गया। सभी दीदी हमें पहले से ही जानती थी, तभी एक दीदी बोली कि आप अंदर क्यों नहीं आ रहे थे? फिर मैं क्या बोलता?
मैंने उन्हें जवाब दिया कि दीदी एक कॉल आ
गयी थी तो बात कर रहा था। फिर मैंने C.L.F दीदी से कहा दीदी क्या हमें एक घंटा का समय आप सभी के साथ मिल सकता है?
हमें आपसे कुछ बात करनी है। दीदी ने हमें
अनुमति दे दी। तभी मैंने अपना परिचय देते हुए बताया कि हम कौन हैं? कहाँ से आये हैं?
फिर लैपटॉप ऑन करके एक प्रेजेंटेशन
दिखाया जिसमे हमलोग covid के दौरान भी बच्चों की शिक्षा पर किस
तरीके से काम कर रहे थे, यह दिखाया गया था। प्रेजेंटेशन में लगी
तस्वीरों को देख कर सभी दीदी काफी खुश दिखी और बोली सर कोई विडियो है तो वो भी
हमलोगों को दिखाइये। बार–बार हमें जीविका दीदियों की तरफ से सर बोला जा रहा था तभी
मैंने कहा, दीदी मैं कोई सर नहीं हूँ। आप हमें मेरा
नाम बबलू या भैया कह कर बुलाया कीजिये। फिर मैंने पूजा दी जो कि अपने क्लास रूम
में पढ़ा रही थी उनका एक विडियो दिखाया। सभी बिना इधर उधर नज़र को किये हुए लगातार
विडियो देखते रहे। विडिओ समाप्त होने के बाद मैंने पूछा कि आपने विडियो में क्या
देखा?
एक दीदी तुरंत बोली बच्चे को खेल–खेल में
पढ़ाया जा रहा था और ये मेरे गाँव के ही बच्चे थे, जिसमें मेरा भी बेटा था। फिर मैंने दीदियों के साथ एक कविता करवायी।
“आओ रे आओ सब मिलके आओ” सभी ने अच्छे से की और सभी दीदी साथ-साथ में अच्छे से एक्शन भी कर रही थी। फिर मैंने दीदियों से पूछा कि, क्या अभी जो आप लोग कर रहे थे अगर बच्चे करेंगे तो कुछ सीखेंगे या नही?
सभी का ज़बाब था, बहुत कुछ सीखेंगे भैया। एक दीदी ने बोली
हाथी क्या करता है? शेर कैसे आवाज निकलता है? इससे सब सीखेंगें ही। मैंने कहा कि हमारी
यही कोशिश है कि बच्चे कैसे खेल–खेल में कुछ सीख सके। बस आप लोग बच्चों को लगातार
विद्यालय भेजिये।
कुछ दीदी बोली हमारे गाँव में ऐसा कुछ
नहीं है। भैया, हमारे गाँव में कब से शुरू कीजियेगा? मैंने दीदी से कहा कि हमारी पूरी कोशिश
है कि हम लोग हर गाँव पहुँचे, पर थोडा समय लगेगा। मैंने बताया अब से
मैं हर V.O. बैठक में शामिल होने की कोशिश करूँगा, आपलोग के साथ कुछ नया करने की कोशिश
करूँगा। सभी काफी खुश हो गई और अपनी-अपनी V.O. बैठक की तिथि बताने लगी और बोली भैया मेरे गाँव में भी ज़रूर आइयेगा और सभी
ने मेरा कांटेक्ट नंबर भी लिया। उनमें से एक दीदी ने उसी शाम को हमें कॉल किया और
बोली भैया मैं कल अपनी V.O. बैठक कर रही हूँ, आप ज़रूर आइयेगा ।
बैठक के बाद जब मैं आने लगा तो एक दीदी बोली भैया एक ग्रुप फोटो क्लिक कर लेते हैं, वो सभी गोलाकार में बैठी थी। मैं भी बैठ गया, फिर सब बोली कि आप बीच में आइये। फिर एक फोटो क्लिक किये और वापस आ गए। आज जीविका दीदियों के साथ जो चर्चा हुई वो मेरे लिए एक यादगार अनुभव रहेगा।
बबलू , i-सक्षम संस्था में टीम सदस्य हैं। ये जमुई, बिहार के रहने वाले हैं।
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