Monday, November 1, 2021

मेरी आवाज़ : पंडित मोना कुमारी

मेरी आवाज़ 

 न तीर है, न तलवार है, न नर है, न नरसंहार है। 
मानवता की पहचान है, प्रेम प्यार की रसधार है।। 
भेद-भाव को मिटाने को "मेरी आवाज" का सत्र तैयार है।
प्रेम हमारा हथियार है, वाणी हमारी ढाल है।
इस सत्र के रास्ते, सफल होने को हम तैयार हैं।।


मैं इस लेख में “मेरी आवाज” सत्र अनुभव साझा करना चाहती हूँ। रविवार के सत्र के सफर को मैं बहुत ही महत्वपूर्ण विषय के रूप में समझ पाई। एक के बाद एक सत्र कुछ न कुछ नई सीख और रोमांच से भरा रहा। इस सत्र में बच्चों का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण रहा। 


बच्चों की भूमिका को देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे हम सब कुछ न कुछ अच्छा करने की कोशिश में लगे हैं। इस सत्र के दौरान मुझे बहुत कुछ देखने, सुनने और समझने का मौका मिला। इस सत्र का हर ऑडिओ किसी न किसी रूप में हमारे जीवनशैली से मिलता था। हमारे समाज का नजरिया, सोच और सोचने के तरीकों में निखार आना बहुत जरूरी है। हालाँकि पहले की बहुत सी चीजें अब बदल चुकीं हैं परन्तु फिर भी बहुत कुछ बदलने को है। 


हमारी इन्ही छोटी-छोटी कोशिशो से सोच बदलनी शुरू होती है और जीवन में हमारे लिए कुछ नया और महत्वपूर्ण बदलाव होता है। इस सत्र को करके बच्चों में एक अलग आत्मविश्वास देखने को मिला। इस आत्मविश्वास को देख ऐसा लगता है कि आने वाले समय में लड़कियों की साक्षरता के प्रति जागरूकता की लहर फैली होगी। इस सत्र के महत्व को समझना इतना मुश्किल नहीं है, पर इतना आसान भी नहीं है। समझ से समझ का विकास, खुल कर सपनें देखना और उन सपनों पर अपना अधिकार समझ कर पूरा कर पाना, पूरा करने में अपनी सोच का साथ, परिवार का साथ, माँ-बाबा, भैया का साथ और सहयोग से कहीं अधिक अपनी महत्वाकांक्षाओ को समझ पाना और आत्मविश्वास पर अडिग रहना महत्वपूर्ण होता है। 


न कहने की हिम्मत, मंजिल तक पहुंच पाने की ललक, एक सोया हुआ जुनून जगाने की हिम्मत, कमलारी से कमला बनाने की हिम्मत, बेटे के जन्म के साथ बेटियों के जन्म पर भी खुशियाँ मनाने की हिम्मत, बेटियों को पढ़ाने की हिम्मत, झुग्गी में रह कर भी विद्यालय जाने की हिम्मत और फ़ीस नही रहने पर भी क्लास में उपस्थिती बनाने की हिम्मत, पत्थर तोड़ कर सोना खोजने को छोड़ कर पुस्तक पकड़ने की हिम्मत, माँ बाबा के पढ़ाने की चाहत, भैया के पास समाज से लड़ने की हिम्मत, भैया को बहन को पढ़ाने की चाहत, माँ का और भाई का समाज को "ना" कहने की हिम्मत, और भी अनेकानेक हिम्मत और ज्ञान से भरा रहा, हमारा सारा का सारा सत्र। 

पंडित मोना कुमारी, i-सक्षम फ़ेलोशिप में बैच-5 की एडु-लीडर हैं। ये मुंगेर, बिहार में रहती हैं

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