Wednesday, November 24, 2021

प्रियांशु के सीखने-समझने की कहानी : आँचल

ये कहानी है एक ऐसे बालक की जो समूह में सीखने से घबराता है और अलग से ध्यान देने पर आगे बढ़ता जाता हैI

उद्देश्य :

किसी एक खास बच्चे को अवलोकन कर उसकी सकारात्मक और नकारात्मक बातों को समझना व उसकी स्थिति को समझ कर योजना बनानाI


भूमिका :

हम सभी सीखते हैं पर हम सभी के सीखने का, व्यवहार करने का अभिव्यक्त करने का तरीका बिल्कुल अलग होता है । आनंद तब मिलता है जब आप इस सीखने के क्रम को देख पायें और अपनी समझ बना पायें। मैंने भी अपने सीखने के लिए एक बच्चे का चयन किया जो कक्षा में मुझे थोड़ा अलग लगा। मैंने आपके एडू-लीडर के सेण्टर पर एक बच्चे को देखा और मुझे लगा कि मुझे इस बच्चे के बारे में और समझ बनाने की जरुरत है। मैं उस बच्चे के सीखने और सिखाने के मौहाल का अवलोकन किया, बातचीत की और उसके सीखने के क्रम में उन्नति की आशा के साथ मैंने सफ़र शुरू किया।

मेरी जिज्ञासा :

मैं लगभग 2 महीनों से कोमल(एडू लीडर) के सेंटर पर जा रही थी और मैंने देखा था कि एक बच्चा (प्रियांशु) है जो कि समूह में कार्य को नहीं करता है। वह समूह में रहकर भी अकेला ही रहता है।  पर उसे अकेले कुछ दिया जाता तो वह उसे आसानी से करता है। एडू-लीडर के बोलने पर भी वह कोई प्रतिक्रिया न देता।

मैंने इस विषय में कोमल (एडू लीडर) से बात की। उन्होंने बताया किये ऐसा ही है। अकेले काम कर लेगा पर किसी के साथ काम करने में उसको बहुत दिक्कत होती है।मेरे मन में उत्साह आया कि आखिर कोई बच्चा समूह में काम क्यों नहीं करना चाहता होगा? उसके मन में क्या चलता होगा? उसकी क्या भावनाएं रहती होंगी? हमलोग बोलते तो हैं कि बच्चों को समूह में काम करने बोले पर और ये हमें आसान भी लगता है पर इससे किसी बच्चे को दिक्कत भी हो सकती है यह शायद ही हमलोग सोचते होंगे। इस विषय में मैंने कार्य और अवलोकन करना शुरू किया।

परिचय:

इस कहानी का नायक प्रियांशु है। एक बालक जो समूह में कार्य करना पसंद नहीं करता।जब भी मैं कोमल के सेण्टर पर जाती तो मुझे प्रियांशु सब से अलग-थलग ही मिलता था। और यही बात मुझे उसके बारे में और जानने के लिए खींचती चली गयी।

प्रियांशु का घर कोमल (एडु लीडर) के घर के चार घर बाद है। कोमल, प्रियांशु के माता पिता से विद्यालय जाने-आने के दरम्यान मिलती रहती है और प्रियांशु की पढाई-लिखाई के बारे में चर्चा करती है। प्रियांशु के पिता समाज में सज्जनों के साथ बैठकर बातचीत करते हैं और पढाई-लिखाई के मामले में भी हमेशा प्रियांशु के पीछे खड़े रहते हैं। इसी वजह से प्रियांशु के पिता को लोग शिक्षा के मामले में अग्रसर देखते हैं।

प्रियांशु के घर में कुल 6 सदस्य हैं- प्रियांशु के दादा-दादी, मम्मी-पापा और छोटा भाई और प्रियांशु। प्रियांशु की पिता दिल्ली-मुम्बई में निजी कंपनी में कार्य करते है और खेती के समय अपने गावं में आकर खेती करते है।प्रियांशु अपने छोटे भाई को लाड-प्यार से रखता और अपने भाई से हर कामों में उससे मुकाबला करता है।भाई के साथ उसकी खूब बनती है।

अवलोकन :

मैने इसके लिए सबसे पहले कोमल के कक्षा में महीने में दो बार बच्चों का अवलोकन किया, कक्षा के गतिविधि के अनुसार कोमल से लगातार बातचीत की और हो रहे कार्यों के साथ-साथ परिवर्तन पर भी चर्चा की।

और बेहतर से समझ बनाने के लिए मैंने प्रियांशु के दोस्तों से बात, उसके घरवालों से भी बातचीत की और जब भी मौका मिले प्रियांशु से भी उनकी राय जानने की कोशिश की।

प्रियांशु:

प्रियांशु 8 साल का एक चंचल बच्चा है, एकदम मस्त मौला। अगर आप मुझसे ये सवाल पूछे कि प्रियांशु पढाई में कैसा है तो मैं आपको बताना चाहूंगी कि पढाई में प्रियांशु उतना ही अच्छा जितना की शरारतों में

भावनात्मक गुण:

प्रियांशु के अंदर सभी भावनात्मक गुण विद्यमान हैं वह सभी के साथ प्रेम व मैत्रीपूर्ण व्यवहार करता है।वह सभी दोस्तों का भी सिखाने के प्रति उत्सुक रखता है कि अगर मैं जनता हूँ तो मैं अपने सहपाठी को भी बताउं पर जहाँ बात आई कि उसे रूककर कुछ करना है या अपने दोस्तों से सीखना है तो वह धैर्य खो देता है। वह हर सामाजिक त्योहारों के प्रति उमंग के साथ उसे करता है और अपने भाव के साथ-साथ अपने परिवार के लोगों को भावनात्मकओं का भी ख्याल रखता है।

उसकी माँ का कहना है, “मेरा बेटा अपने काम में ही मगन रहता है। खेलना और शरारत करने में बहुत माहिर है। पर इन सब के साथ हमारी बात भी मानता है।

व्यक्तिगत आदतें:

प्रियांशु सभी से काफी हंस बोल के रहता है और अपने से बड़े का कहना मानता हैI वह अपने दादा-दादी के बातों को सुनता है क्योंकि उन्हें  वह रात में कहानियां सुनाती है।वह सभी के साथ संयुक्त होकर रहता है और सिखाता है।

बालक के प्रति माता-पिता के विचार:

प्रियांश की माँ कहती हैं कि

प्रियांशु हमेशा सीखने के प्रति आगे रहता है और वह कभी स्कूल नहीं जाने का कारण नहीं ढूंढता है। वह हमेशा स्कूल जाता है और जहां मैं उन्हें ट्यूशन देती हूं वहां भी वह हमेशा जाता है, वहां के कार्यों को वह सदैव करता है। एक तरह से कहूं तो प्रियांशु अपने कार्य के प्रति बहुत ही लगनशील और मेहनती है । पर जहाँ बात आई की उसको स्थिर होकर कुछ करना है तो वह काम उससे नहीं होगा।

 

पड़ोसियों व आसपास के लोगों का विचार:

आसपास के लोगों का कहना है कि प्रियांशु के पापा जिस तरह से मेहनती और शिक्षा के प्रति अपने कदम को बढ़ाये हुए रखते हैं उसी तरह उनके बेटे भी आगे बढ़कर शिक्षा को एक अच्छा नाम देगा।

सुमित्रा चाची ने प्रियांशु के प्रति एक अलग भाव को देखती है उनका कहना है किये बांकि लोगों से अलग है और सभी के साथ समाज में रहकर भी एक साथ नहीं खेलता है। पर बच्चा बुरा नहीं है। उसका यही स्वाभाव है।                                  

शिक्षिका के साथ मिलकर बनाई योजना:

जुलाई महीने में मैं दो बार प्रियांशु से मिली और बातचीत की। बातचीत के दौरान मैंने कक्षा से जुड़ी एक साधारण सवाल की प्रियांशु अपनी बातों को मेरे साथ साझा करने में झिझक रहा था।जब मैंने बात ही बात में कुछ नहीं बताने का कारण पूछी तो वह अपनी कारणों को नहीं बता रहा था।मैंने जब कक्षा के डिब्रिफ में कोमल से बात की तो मैंने उनके बारे में कुछ बातों को पूछा कोमल ने कहा कि हां उसे लोगों से सीखना पसंद नहीं है लेकिन वह लोगों को सिखाता है। हर काम को आगे आकर करता है। अंत में हम लोगों ने मिलकर प्रियांशु के लिए एक योजना बनाई जिसमें प्रियांशु प्रारंभिक स्तर के बच्चों के साथ बैठकर समूह में बांकि बच्चों को सिखाए और बताए। 

मैंने जब सितंबर में कक्षा का अवलोकन करने के लिए गई थी तो मैं प्रियांशु को देखी कि वह समूह में कार्य कर रहा था समूह में काम करने से मेरा अर्थ है कि वह अपने से कम स्तर के बच्चों को समूह में काम करने में मदद कर रहा था। मैंने पाया कि वह बच्चों को समय देता था ताकि छोटे बच्चे गतिविधि कर पायें। इस दौरान मुझे वह एक जिम्मेदार विद्यार्थी के साथ-साथ शिक्षिका के सहयोगी के रूप में भी दिखाई दे रहा था।

 गतिविधि जो प्रियांशु लोगों के साथ सीखता है और सिखाता है:-

1.प्रारंभिक स्तर वाले बच्चों के साथ बैठकर वह अक्षर कार्ड्स के माध्यम से बाकी बच्चों को कार्ड दिखाता है और उससे पूछता है और प्रियांशु  कार्ड के माध्यम से शब्द लिखता है।

2. हर सप्ताह कक्षा में हर बड़े बच्चे एक रोचक कविता मोबाइल या दादी-नानी से सुनकर आते हैं और वह कक्षा में सुनाते हैं प्रियांशु इसके माध्यम से लोगों से सीखता है।

पर जहाँ बात करूँ प्रियांशु के उसके स्तर के बच्चों के साथ मिलकर काम करने की तो उसमें अभी भी कुछ खास सुधार नहीं आया। पर हाँ अब प्रियांशु समूह कार्य का मतलब समझता है। अब शिक्षिका के बोलने पर प्रियांशु ने अपने समूह में थोड़ा-बहुत काम करना शुरू किया है।

मेरी समझ से समूह शिक्षा / ग्रहण ना कर पाने का कारण:

प्रियांशु समूह शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाता है इसके मुख्य तीन कारण हो सकते हैं- 

1.   प्रियांशु द्वारा एक समय में एक से अधिक कामों को करना, जिस वजह से वह किसी ऐसे कार्य के प्रति एक समय में खुद एकाग्र नहीं कर पाता है I

2.   बालक को वह माहौल कम मिला जहाँ वह समूह में मिलकर कोई कार्य कर सके और एक-दूसरे से सीखे।


निष्कर्ष एवं सुझाव:

प्रियांशु ने समूह के साथ काम करने में अपनी तरफ से कदम बढाया है पर अभी यह शुरुआत है।

अभी तो शिक्षिका ने शुरुआत की है और धीरे-धीरे इसके आगे और समझ विकसित होती रहेगी। इसके लिए बच्चे को एक सुरक्षित माहौल देना आवशयक है जिसमें वह खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें और दूसरों की बात को सहजता से ले सके।

इसके लिए शिक्षिका को यह समझ बनाना आवशयक है कि वह किस तरह की भावनाओं को महसूस करता है जब उसे सामूहिक गतिविधि में भागीदारी लेने के लिए कहा जाता है। इसके साथ-साथ अभिभावकों को भी बहुत सहजता से इसकी सहयोग देनी आवशयक है ताकि वह भी बच्चे मदद कर सकें। 

मेरे (आँचल) अनुभव:

मैं लगातार दो महिना से इस विषय पर अध्यन कर रही हूँ जो मैंने अच्छी चीजें इस अध्यन से आई है वह है:लगातार अविभावक से बात-चित करना।एक खास बच्चे को ध्यान देना और उसपर लगातार काम कर पाना,सोच पाना।एडू-लीडर (शिक्षिका) से बातचीत करके एक खास बच्चे के बारे में समझ बना पाई और यह बातचीत लगातार जारी रखा ताकि मैं उसके क्रियाकलापों और शिक्षिका के प्रयासों से अवगत हो सकूँ।

अलग-अलग स्थिति से लोगों और उनके कामों को समझ पायी।एडू-लीडर के पढ़ाने के समय बच्चों के प्रति मानसिकता को समझ पाना।इसके-साथ साथ एक बड़ी चुनौती यह थी कि इस अवलोकन और चर्चा को एक निर्धारित समयावधि में कर पाना।आशा करती हूँ इस तरह से खास बच्चों के प्रति सोचना और योजना बनाने का कार्य में एडू-लीडर, प्रियांशु के परिवार भी हमारा साथ देते रहेंगेI

साथ ही मैं यह भी सवाल छोड़ना चाहूंगी कि जो बच्चा समूह के साथ कार्य नहीं कर पाता आप उसके लिए किस-किस तरह की गतिविधि करना चाहेंगे ताकि बच्चे को समूह में कार्य कर एक-दूसरे से सीखने का मौका मिले?

 

बच्चे का परिचय: 

नाम: प्रियांशु कुमार            उम्र: 8साल

पिता: विद्यानंद सिंह           माता: सावित्री देवी

पता: पूर्णा खैरा 

यह केस-स्टडी आँचल ने लिखी हैI आँचल i-सक्षम में टीम सदस्य है और जमुई, बिहार में रहती हैंI










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