Friday, April 4, 2025

"मैं बदल गई हूँ!"

अगर पाँच महीने पहले किसी ने मुझसे कहा होता कि मैं आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखूंगी, गाँव के मुखिया और Jeevika के सीएम से मिलूंगी, और लड़कियों को शिक्षित करने के लिए सेशन लूंगी—तो मैं शायद हँस देती! लेकिन I-Saksham से जुड़ने के बाद, मेरा सफर एक रोमांचक मोड़ पर आ गया। तो आइए, मेरी इस जर्नी को मजेदार अंदाज में जानते हैं!

शुरुआत – एक नई दुनिया में कदम 
पहले, मैं संकोची थी। भीड़ में बोलना तो दूर, किसी से अपनी बात साझा करने में भी हिचकिचाती थी। लेकिन जब मैंने I-Saksham ज्वाइन किया, तो मुझे लगा—"वाह! यहाँ तो खुलकर बोलने और सीखने का पूरा मौका है!"
पहली बार जब गाँव में सर्वे करने गई, तो मेरे हाथ-पैर फूल गए थे। लेकिन हिम्मत जुटाई, लोगों से मिली, उनकी समस्याएँ सुनीं और महसूस किया कि बदलाव लाना कितना ज़रूरी है!

मिशन: स्कूल छोड़ चुकी लड़कियों को जागरूक करना!
मुझे पता चला कि गाँव की कई किशोरियाँ स्कूल छोड़ चुकी हैं और घर पर बैठी हैं। अब मेरे दिमाग में एक ही बात थी—"कुछ करना है!"
मैंने उनसे बातचीत शुरू की और धीरे-धीरे उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करने लगी। जब पहली बार मैंने सेशन लिया, तो लगा कि मैं एक टीचर, काउंसलर और दोस्त—तीनों बन गई हूँ! और मज़े की बात ये कि अब वे खुद कहती हैं—"दीदी, सेशन को डेढ़ घंटे से बढ़ाकर तीन घंटे कर दीजिए!"


आत्मविश्वास बढ़ाने वाला गेम चेंजर!
पहले मुझे हमेशा लगता था कि स्कूल में मेरे टीचर्स मुझे किसी प्रतियोगिता में क्यों नहीं भेजते। लेकिन I-Saksham ने मुझे हर मौके पर आगे बढ़ने का अवसर दिया। अब मैं खुलकर बोलती हूँ, अपनी बात रखती हूँ और अपने लिए स्टैंड भी ले सकती हूँ।

सुपरवुमन मोमेंट – महिलाओं को हस्ताक्षर सिखाना!
गाँव की कुछ महिलाएँ हस्ताक्षर तक नहीं कर पाती थीं। मैंने तय किया कि उन्हें सिखाऊँगी। जब पहली बार किसी ने अपने नाम पर साइन किया, तो उनकी आँखों की चमक देखने लायक थी! ऐसा लगा मानो उन्होंने कोई सुपरपावर हासिल कर ली हो।
पटना ट्रिप – जहाँ सपने सच होते है:- I-Saksham की वजह से मुझे पटना के इवेंट्स में जाने का मौका मिला। वहाँ सब कुछ लड़कियाँ ही कर रही थीं—फोटोग्राफी, डेकोरेशन, एंकरिंग, स्पीच! मैं दंग रह गई और सोचा—"अरे, ये तो कमाल की बात है!"

क्लस्टर मीटिंग और नया साल!
हम हर महीने क्लस्टर मीटिंग करते हैं, जहाँ समाज में बदलाव लाने के नए-नए तरीकों पर चर्चा होती है। और सबसे मज़ेदार बात—नए साल के स्वागत के लिए हम I-Saksham की टीम के साथ पिकनिक पर जा रहे हैं!

आज जब मैं अपने पाँच महीने के सफर को देखती हूँ, तो गर्व महसूस होता है। अब मैं सिर्फ सपने नहीं देखती, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए कदम भी उठाती हूँ!

I-Saksham सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया है!

पायल कुमारी
बैच 11
जमुई


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