Thursday, April 10, 2025

गाँव की ओर लौटती राह – शीतल

यह कहानी शीतल की है, जो शहर में पली-बढ़ी थी, लेकिन उसके मन में हमेशा गांव की सादगी और अपनापन बसा हुआ था। उसके लिए गांव एक खुली किताब की तरह था, जिसमें वह अपने सपनों की नई कहानी लिखना चाहती थी।

जब वह अपने गांव (कुमरडीह) लौटी, तब वह बहुत छोटी थी और दुनिया की कठिनाइयों से अनजान थी। उसके मन में एक ही सपना था—अपने घर का बड़ा सहारा बनना। पढ़ाई में होशियार होने के बावजूद आर्थिक तंगी उसके रास्ते में सबसे बड़ी बाधा थी। उसके पापा की तबीयत अक्सर खराब रहने लगी, जिससे घर की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो गई।
कुछ दिन के बाद
हालांकि, मुश्किलों ने उसे तोड़ने के बजाय मजबूत बनाया। एक दिन उसे याद आया कि एक आंटी अपनी बेटी के लिए ट्यूशन की तलाश कर रही थीं। उसने यह अवसर हाथ से नहीं जाने दिया और ट्यूशन पढ़ाने का निर्णय लिया। यह उसकी पहली कमाई थी, जो उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए काफी थी।
शुरुआत में उसकी मम्मी को चिंता थी कि कहीं पढ़ाने की वजह से उसकी पढ़ाई पर असर न पड़े। लेकिन उसने मेहनत और अनुशासन से दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। सुबह अपनी पढ़ाई करती और शाम को बच्चों को पढ़ाती। जब 12वीं के परीक्षा परिणाम आए, तो उसने न केवल अच्छे अंक प्राप्त किए बल्कि अपने पापा का भरोसा भी जीत लिया।
आज की स्थिति:

अब वही शीतल I-Saksham  में काम कर रही है और साथ ही 25 बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही है। वह B.A (सेमेस्टर 3) की विद्यार्थी भी है। उसकी मेहनत और लगन ने न केवल उसके परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर किया बल्कि उसे आत्मनिर्भर भी बनाया।

"उम्मीद की किरण"यह कहानी दिखाती है कि अगर इंसान में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो कोई भी चुनौती उसे रोक नहीं सकती

शीतल 

बैच 10 

जमुई





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