Wednesday, August 13, 2025

परंपराओं को चुनौती देती एक नई सोच

समाज में बाल विवाह (कम उम्र में शादी) आज भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। 

खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर इलाकों में यह प्रथा सामाजिक दबाव, गरीबी, अशिक्षा और पितृसत्तात्मक सोच के कारण जारी है। लड़कियों की शादी अक्सर 18 वर्ष से पहले कर दी जाती है, जिससे उनका शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता पर गहरा असर पड़ता है।

कम उम्र में शादी से लड़कियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ती है, जिससे उनका मानसिक और बौद्धिक विकास रुक जाता है। हालांकि, सरकार और कई गैर-सरकारी संस्थाएं बाल विवाह रोकने के लिए अभियान चला रही हैं, लेकिन यह सिर्फ कानून से नहीं, सामाजिक सोच बदलने से ही संभव है। जब तक परिवार और समुदाय यह नहीं समझेंगे कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता बच्चों का अधिकार है, तब तक इस कुप्रथा को पूरी तरह समाप्त करना मुश्किल होगा।


ऐसे कुछ बदलाव लाने की कोशिश की रागिनी ने.. जो समाज की परंपराओं के खिलाफ खड़ी होकर अपनी आवाज उठा रही है।  

रागिनी आई - सक्षम बैच १० की फेलो है। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय थी। वो अपनी जरूरत के चीज़े और पढाई का खर्च भी फ़ेलोशिप के मानदेय से ही पूरा करती थी उनके पिताजी उन्हें किसी प्रकार का कोई सहायता नहीं करते थे। उन्होंने अपने फ़ेलोशिप को बेहद ही चुनौतियों का सामना करते हुए पूरा किया जो एक साधारण बात नहीं थी। फ़ेलोशिप के अंत में उनकी कड़ी मेहनत और बेहतर समझ के आधार पर उन्हें आशा फ़ेलोशिप के साथ कार्य करने का मौका मिला । यह उनके लिए न सिर्फ एक नई शुरुआत थी, बल्कि उनके सपनों की उड़ान का मजबूत आधार भी बना, यह मौका उनके संघर्षों का सम्मान था। 

इस अवसर को पाने के लिए रागिनी अपनी पूरी निष्ठां के साथ उसकी तैयारी में लग गई , लेकिन तभी उनके परिवार में उनकी शादी की बातचीत
शुरू
हो गई। परिवार चाहता था कि रागिनी जल्दी विवाह करें और पारंपरिक जिम्मेदारियाँ निभाएं, जबकि रागिनी के सपने इससे कहीं अलग थे। वह अपने जीवन को अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती थीं और आगे कुछ बड़ा करना चाहती थीं।

उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में मदद के लिए आई - सक्षम टीम से सहयोग माँगा। टीम ने उनके परिवार वालों से बातचीत की विशेषकर उनकी माँ से। ताकि, उन्हें यह समझाया जा सके कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता रागिनी के लिए क्यों जरूरी हैं। यह बातचीत सकारात्मक रही, और रागिनी ने भी साहस दिखाते हुए पहली बार अपने जीवन से जुड़े निर्णयों में अपनी आवाज को मुखर किया। उन्होंने खासतौर पर अपनी मां से खुलकर बात की और अपने अधिकार के लिए मजबूती से खड़ी रहीं।

लेकिन , इस परिस्थिति में भी उनके पिता ने इस निर्णय में अपनी सहमति नहीं दी।  बल्कि, उन्होंने रागिनी और उनकी माँ को बहुत ही प्रताड़ित किया। उनके घर से बाहर जाने तक उनके पिता ने कोशिश किया की किसी प्रकार रागिनी की शादी हो जाए।  फिर भी, रागिनी अपना इरादा नहीं बदली और अपने पिता की सहमति के बिना ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया। जो एक बहुत बड़ा निर्णय है। 

अब जब रागिनी वित्तीय रूप से अपने परिवार की जरूरतों की जिम्मेदारियों को उठा रही है तो उनके पिता की मानसिकताओं में भी सुधार आ रहा है।  अब रागिनी को स्वतंत्र है अपने शादी के फैसले खुद लेने के लिए। 

आज रागिनी दलसिंघसराय में आशा फेलोशिप में कार्यरत है। ये देख उनकी माँ बहुत खुश है और अपने बेटी के हक्क में जो फैसला ली उसे गौरान्वित महसूस कर रही है।

रागिनी, बैच १०, मुजफ्फरपुर 

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