“यह मेरे साथ क्यों हुआ? अब क्या करूँ? मेरे बच्चों का क्या होगा?”
यह सवाल मुंगेर के उदयपुर गाँव की सुजाता दीदी के मन में दिन-रात गूंजता था। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की थी और 20 साल की उम्र में शादी कर ली। लेकिन उनकी ज़िंदगी तब पूरी तरह बदल गई, जब अचानक उनके पति का निधन हो गया। उस समय उनका बेटा दो साल तीन महीने का था, और वह सात महीने की गर्भवती थीं।
न कोई साधन था, न कोई काम। हर ओर अंधेरा और दो मासूम बच्चों की ज़िम्मेदारी थी। रिश्तेदार उन्हें बार-बार दूसरी शादी का सुझाव दे रहे थे, पर सुजाता दीदी ने अपनी सारी हिम्मत जुटाई और साफ शब्दों में जवाब दिया: “मैं अपने बच्चों के लिए ही ज़िंदा हूँ। अगर किसी को मेरा साथ देना है, तो मेरे बच्चों के साथ देना। नहीं तो मैं अकेले ही काफी हूँ।”
इस दृढ़ संकल्प के साथ, वह अपने मायके लौट आईं। साल 2025 में जब वह ‘सक्षम किशोरी’ कार्यक्रम से जुड़ीं, तो उनकी ज़िंदगी ने फिर से एक मोड़ लिया। यह उनके लिए सिर्फ काम नहीं, बल्कि खुद को फिर से पहचानने का मौका था।
शुरुआत आसान नहीं थी। उन्हें सत्रों में अपनी छोटी बच्ची को साथ लेकर जाना पड़ता था। यह एक माँ और एक एडू-लीडर की दोहरी चुनौती थी। पर वह रुकी नहीं और उन्होंने दोनों भूमिकाएँ निभाईं।
उनकी लगन देखकर उनकी माँ ने भी उनका साथ दिया। उन्होंने बच्ची की देखभाल की, जिससे सुजाता दीदी पूरे मन से सत्र में जुड़ने लगीं।
इसी दौरान एक दिन, जब वह किशोरियों से कह रही थीं कि "पढ़ाई कभी रुकनी नहीं चाहिए," तभी उनके मन में एक सवाल गूंजा: “अगर मैं दूसरों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कर सकती हूँ, तो अपनी पढ़ाई क्यों नहीं आगे बढ़ा सकती?”
उन्होंने उसी दिन ठान लिया और बी.आर.एम. कॉलेज, मुंगेर में ग्रेजुएशन में दाखिला लिया। वह पढ़ाई, जो कभी हालातों के कारण छूट गई थी, अब उसी जगह से फिर शुरू हुई। लेकिन इस बार उनके साथ था आत्मविश्वास और अपने फैसलों की आवाज़।
आज सुजाता दीदी अपने दोनों बच्चों के साथ पढ़ाई जारी रख रही हैं। वह अपनी कहानी से दूसरों को प्रेरित करती हैं। उनके चेहरे की मुस्कान और आँखों की चमक यह बताती है कि उन्होंने सिर्फ अपने बच्चों के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए भी जीना सीखा है।
लेखिका के बारे में:
नाम: सुजाता दीदी
परिचय: सुजाता दीदी मुंगेर ज़िले के उदयपुर गाँव की रहने वाली हैं और ‘सक्षम किशोरी’ कार्यक्रम से जुड़ी हैं।
वर्तमान: वह वर्तमान में बी.आर.एम. कॉलेज, मुंगेर से होम साइंस में ग्रेजुएशन कर रही हैं।
लक्ष्य: सुजाता दीदी का लक्ष्य है कि वह आत्मनिर्भर बनकर अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य दे सकें।
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