Wednesday, September 4, 2024

विद्यालय परिवार को सक्षम किशोरी कार्यक्रम से अवगत कराया- अनन्या

 

नमस्ते साथियों,

मैंने फ़ेलोशिप ख़त्म होने के कारण अपने विद्यालय- मध्य विद्यालय सोनपे में जाकर सभी शिक्षकों व प्रधानाध्यापक से मिलने का निर्णय लिया। जब मैं विद्यालय पहुंची तो सभी शिक्षक मेरा हाल-चाल पूछ रहे थे। मैं अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री सुधांशु शेखर सिंह जी से और सारे शिक्षकों से मिली।

सभी शिक्षक आस्था (मेरे साथ की फेलो) को भी खोज रहे थे। मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि जैसे ही आस्था को समय मिलेगा तो वो सभी से विद्यालय मिलने आएगी।

मैंने सभी शिक्षकों को “सक्षम किशोरी कार्यक्रम” के बारे में बताया शिक्षकों के कुछ प्रश्न भी आ रहे थे। उनके सारे प्रश्नों का उत्तर मैं दे पायी। सभी ने कार्यक्रम को सराहा और कहा कि इससे समाज की लडकियाँ आगे बढ़ेंगी।

सक्षम किशोरी कार्यक्रम- किशोरियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से संचालित एक पहल है। इस कार्यक्रम के तहत, 11-19 वर्ष की किशोरियों का समूहीकरण करके उनके जीवन कौशल को बेहतर करने के लिए सत्र आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ ही उनके समुदाय में उनके समर्थन के लिए माहौल बनाना भी एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। कार्यक्रम किशोरियों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करता है

मैंने अपने आज के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रधानाध्यापक से नौवीं और दसवीं कक्षा की छात्राओं से मिलने की अनुमति माँगीं। सर ने प्रसन्नतापूर्वक उत्तर देते हुए कहा कि आपको पूछने की क्या आवश्यकता है?

आप जाइये, मिलने। 

इतने में ही मुझे मेरी कक्षा के बच्चों ने देख लिया और दीदी-दीदी बोलते हुए मेरे पास आ गए। मैं कक्षा में गई तो सारे बच्चों के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई। सबके पास मुझे बताने के लिए बहुत सारी बातें थी। 

आपको बहुत मिस करते हैं, दीदी।

जानते हैं दीदी आप नहीं आ रहें थे न तो ऐसा हुआ, वैसे हुआ, इसने ये किया, उसने वो किया इत्यादि। ऐसा लग रहा था कि मानों जैसे उनकी बातें खत्म ही नहीं हो रही हैं। मैंने उनकी ढ़ेर सारी बातें सुनी और कक्षा से निकलने से पहले टीम बिल्डिंग गतिविधि (Team Building Activity) करवायी।

फिर आस्था की कक्षा के बच्चे आस्था के बारे में पूछने लगे। मैंने उनकी कक्षा में जाकर उनको समझाया कि आस्था भी समय निकालकर आप सभी से मिलने आएगी। फिर मैंने उनकी भी बातें सुनी और गतिविधि करवायी। सभी बच्चे बहुत ज्यादा खुश दिखे। 

अब मैं एक-एक करके सतवी, आठवीं, नौवीं और दसवीं कक्षा में गयी। वहाँ पर कुछ बच्चे मुझे जानते थे और कुछ बच्चे नहीं जानते थे। इन कक्षाओं में दूसरे गाँव सोनपे, गरसंडा, बालाडीह, सिकहरिया, बुकार, लठाणे, गारो नवादा के भी बच्चे पढ़ने आते हैं और वहाँ मुझे मोबिलाइजेशन (mobilization) करना बाकी है।

वर्षा के दिन होने कारण प्रत्येक कक्षा में बच्चों की संख्या बहुत कम थी। मैंने अपने परिचय से बात शुरू की। बच्चों का ध्यान अपनी ओर केन्द्रित करने के लिए ? शरीर के अंग और कलम भी करायी। इससे बच्चे बहुत खुश हुए। फिर मैंने सभी बच्चों को अपने प्रोग्राम के बारे में बताया। कुछ बच्चे मुझे कक्षा में ही मिल गए, जिनकी उम्र पंद्रह वर्ष थी।

मैं उनसे पूछा कि आपके घर के आसपास 15 से 19 वर्ष की किशोरियाँ है क्या?

मुझे बच्चे बता रहे थे कि दीदी इस टोले में इतनी किशोरियाँ मिल जायेंगीं। उस टोले में इतनी मिल जायेंगीं।

बच्चों ने मुझे बहुत अच्छा आईडिया (idea) दे दिया। अब जब मैं उस गाँव में मोबिलाइजेशन करने जाऊंगी तो मुझे थोड़ी आसानी होगी।  

मैं आज अपने स्कूल में एक से दस कक्षा के सभी बच्चों से मिल ली और मुझे सबसे मिलकर बहुत ज्यादा खुशी मिली। जब मैं स्कूल से वापस आ रही थी तो सर मुझे बोल रहे थे कि इसी तरह आते रहना, अच्छा लगेगा।

उनकी यह बात सुनकर चेहरे पर मुस्कान आ गयी। यह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने सर को उत्तर दिया कि बिल्कुल सर, आती रहूंगी।

विद्यालय के बाद मैं रजक टोला गयी। यहाँ मुझे ज्यादा किशोरियाँ नहीं मिली। पर जितनी भी मिली मैंने सबको इस कार्यक्रम के बारे में समझाया। सभी इस प्रोग्राम (program) से जुड़ने के लिए भी तैयार हो गई। आज का दिन मेरे लिए बहुत प्यारा और खुशनुमा था।

अनन्या

बडी इंटर्न, जमुई

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