Monday, September 2, 2024

संघर्ष से सफलता की ओर- संजू

जब मैं 12-13 साल की थी तभी मेरे पापा का देहांत हो गया। उस समय मुझे ऐसा लगा कि अब मेरी पढ़ाई रुक जाएगी और मन में कई तरह के सवाल उठने लगे। मैंने छठी से आठवीं कक्षा तक कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ाई की और साथ ही अलग-अलग प्रखंडों में जाकर जूडो-कराटे का प्रशिक्षण भी दिया। हालांकि, इस दौरान मेरी पढ़ाई कई बार बाधित हुई। कभी-कभी प्रतियोगिता होती थी तो कभी जिला और प्रखंड स्तरीय फाइट्स में भाग लेना पड़ता था। इन सबके बीच मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

घर में किसी की तबीयत खराब होने पर उनकी देखभाल भी करनी पड़ती थी। जब मैंने आठवीं की पढ़ाई पूरी की, तब आसपास के लोग मेरी माँ को मेरी शादी करने के लिए उकसाने लगे। वो कहते थे कि "ये लड़की होकर कराटे करती है और साइकिल चलाती है, इसे शादी करके घर में क्यों नहीं बिठाने का प्रबंध करते हो।" माँ ने मुझे कसम दे दी और बहुत कुछ कहा, जिससे मैंने जूडो-कराटे जाना छोड़ दिया और घर आ गई।


इसके बाद मेरे बड़े पापा ने मेरा नौवीं कक्षा में कन्या उच्च विद्यालय, शेरघाटी में नामांकन करा दिया। स्कूल पाँच किलोमीटर दूर था और मुझे रोज़ पैदल ही स्कूल जाना पड़ता था। स्कूल से आने के बाद मैं गाँव (अहुरी) की भाभी के पास सिलाई सीखने जाती थी और काज-बटन का काम करती थी। जो भी पैसा मिलता, उससे कॉपी-पेन खरीदती थी। किसी तरह मैंने इंटर पास किया और फिर मेरी शादी हो गई।


शादी के बाद, मेरा जीवन बहुत आसान नहीं था। मेरे पति मेरे समस्याओं में मेरा साथ नहीं देते थे। फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी और बालबाड़ी में काम करना शुरू किया। इसके बाद मैं जीविका से जुड़ी और कोविड के समय i-सक्षम संस्था के साथ काम किया। 

इस संगठन ने मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका दिया, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था। मैंने मैत्री प्रोजेक्ट में डोर-टु-डोर सर्वे (door-to-door survey) किया और अनामांकित या ड्रॉपआउट बच्चों का नामांकन स्कूल में करवाया। नामांकन के दौरान अनेकों तरह की चुनौतियाँ आईं, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। यह यात्रा मेरे लिए संघर्षों से भरी रही। लेकिन इसने मुझे एक मजबूत और आत्मनिर्भर महिला बना दिया। i-सक्षम के साथ जुड़कर मुझे अपने सपनों को पंख देने का मौका मिला। 


मेरा यह अनुभव सिखाता है कि कैसे मैंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी पढ़ाई ज़ारी रखी और करियर को आगे बढ़ाया। 


समस्याएँ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होती हैं, या यूँ कहा जाए कि समस्याओं का नाम ही जीवन है! लेकिन आप उनसे कैसे उभरेंगे, कैसे खुद को संभालने के साथ-साथ समाज के अन्य लोगो के लिए भी प्रेरणा के स्त्रोत बनेंगे यह हम सभी को सीखना होगा।


संजू

बड़ी, गया 


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