Monday, September 2, 2024

अकेले सफ़र करने में डर लगता था, अब सक्षम हूँ!- स्वाति सुमन

नमस्ते साथियों, 

मैं आप सभी के साथ i-सक्षम संस्था में बडी इंटर्न के अपने पिछले एक वर्ष का अनुभव साझा कर रही हूँ। मैंने संस्था को 5 जुलाई, 2023 को जॉइन (join) किया था। जब मैंने जॉइन किया था तब मुझे पता नहीं था कि i-सक्षम किस प्रकार की संस्था हैं? क्या काम करती है? 



मेरे मन में बहुत सारे प्रश्न चल रहे थे। चयन की प्रक्रिया इतनी जल्दी हो रही थी कि कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर मैंने उस व्यक्ति से बात की, जिन्होंने मुझे i-सक्षम के बारे में बताया था। उनकी सहायता से ही मैंने फॉर्म (form) भरा था। उनसे बात करने पर मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर मिला और मुझे आत्मबल भी मिला।


जब मुझे मेरे सिलेक्शन (selection) की खबर दी गई, तो यह भी बताया गया कि मुझे अगले दिन इंडक्शन प्रोसेस (induction process) के लिए ‘जमुई’ जाना है। मुझे सिलेक्शन की ख़ुशी बाद में महसूस हुई, पहले डर लगने लगा। मैं सोच कर ही डर गयी कि कैसे जाउंगी? क्योंकि मैंने कभी अकेले कोई सफ़र तय नहीं किया था। घर से मेरी मम्मी भी इजाज़त नहीं दे रही थी। उस समय मेरी दीदी ने मेरी मम्मी को भी कन्विंस (convince) किया और उन्होंने भी मेरा साथ साथ दिया। इस तरह मैं घर से निकल पायी। 


फिर भी मुझे डर तो लग ही रहा था। मुज्ज़फ्फरपुर से भी पांच साथी और आ रहे थे, उन लोगो को देखकर मुझे लगा ही नहीं कि उनके अन्दर कोई डर वाली भावना भी है। परन्तु मुझे तो बहुत डर लग रहा था। जमुई ऑफिस पहुँचने के बाद मुझ पता चला कि वहाँ पर बहुत सारे साथी मेरे जैसे ही थे। जो पहली बार और अकेले अपने-अपने जिले से आये हुए थे। उनके बारे में जानकर मेरा थोड़ा कॉन्फिडेंस बढ़ा। यह मेरे पहले इंडक्शन का मनोभाव रहा।


इसके बाद दोबारा जब इंडक्शन बेगूसराय के तेघरा प्रखंड में हुआ तब वहाँ भी मैंने अकेले ही सफर किया। और मैंने पाया कि इस बार मेरे मन में सफ़र को लेकर कोई डर नहीं था। 


अकेले सफ़र करने के अलावा मैंने इन बातों को भी अपनी एक वर्ष की जर्नी (journey) में सीखा।

  • अपने बातचीत के तरीको में बदलाव किया।

  • मैंने लैपटॉप, डेस्कटॉप, और मोबाइल फ़ोन का सही उपयोग करना सीखा।

  • मैंने कुछ एप्लीकेशन का उपयोग करना भी सीखा। जैसे: ज़ूम, मूडल, खान अकैडमी, गूगल मीट, एक्सल, डयुलिंगो, रीड अलोंग इत्यादि।

  • कोचिंग कन्वर्सेशन की बेहतर समझ बन पाई।

  • फीडबैक एक्सेप्ट करना और फीडबैक देना सीखा।


एक वर्ष की जर्नी में मेरी फीलिंग (feeling) बहुत अलग-अलग प्रकार की रही है। जैसे: लर्निंगफुल, रिफ्लेक्टिव, एंजॉयफुल, हैप्पी, सैड आदि।


स्वाति सुमन 

मुजफ्फरपुर, बडी इंटर्न 


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