Friday, September 6, 2024

अब पापा ने शादी के लिए दबाव बनाना छोड़ दिया है- रूचि

नमस्ते साथियों, 

आज मैं आप सभी के साथ मुंगेर के फरदा गाँव की रहने वाली ‘रूचि’ के बारे में कुछ साझा करना चाहती हूँ। रूचि, बहुत ही शर्मीली और खुशनुमा लड़की हैं जो वर्तमान में i-सक्षम संस्था में बैच-दस की एडु-लीडर हैं। उनकी पढ़ाई में विशेष रूचि है। 


रूचि के घर में रूचि के अलावा उनके पापा, दो भाई और एक बड़ी बहन है। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और पापा शहर में काम करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं।


जब रूचि बारहवीं कक्षा (2022) में थी, तब उनकी माँ का देहावसान हो गया। उनकी माँ का गुज़र जाना उनके लिए असहनीय और भयावह था। अपने अंधेरे भविष्य की कल्पना मात्र से रुचि के रोंगटे खड़े हो जाते और आत्मा थर्रा उठती थी। ऐसी विकट परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति के लिए खुद को संभाल पाना मुश्किल ही होता है। रूचि ने किसी तरह अपना साहस कायम रखा और पढाई को जीवन जीने का हथियार बनाते हुए, बारहवीं की परीक्षा दी। वो प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण भी हुई। 


रुचि की माँ के गुजर जाने के बाद पूरे घर की जिम्मेवारी रुचि पर आ गई। उन्होंने अपने छोटे भाइयों और घर की देखभाल के साथ अपनी पढ़ाई भी ज़ारी रखी। रूचि वर्तमान में (2024) बी. ए. पार्ट-II की पढ़ाई कर रही हैं। 


घर में बिन माँ की अकेली लड़की होने के कारण समाज, परिवार और सगे-सम्बन्धियों का रूचि की शादी को लेकर दबाव बनाना शुरू हो गया था। लोग तरह-तरह से यही बात रूचि के और उनके पिता जी के सामने रखते थे। जैसे- घर में बिना माँ के लड़की कैसे रहेगी? कौन देखेगा? कैसे सबकुछ हो पाएगा? कुछ हो गया तो? इन्हीं सब बातों का रूचि के मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा। जिसके कारण रुचि हमेशा परेशान रहने लगी और अन्दर ही अन्दर रोती भी रहती थी। 


एक दिन रुचि ने सोचा कि अब खुद के लिए निर्णय लेना ही पड़ेगा। उसने मन बनाया कि मैं अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए, अपनी आगे की पढ़ाई को लेकर पापा से खुद बात करूंगी। उनके सामने बात रखूंगी कि मुझे अभी शादी नहीं करनी है! क्योंकि मेरा मन पढाई में लगता है, मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है, जिसके लिए मुझे दो साल का समय चाहिए ताकि मैं अपने अपने पैरों पर खड़ी हो सकूँ। 


रुचि को इस बात का डर भी था कि मेरी बात तो घर में सुनी नहीं जाती है। मैं पापा के सामने कैसे बोलूँगी? यह सब मन में लेकर रूचि ने ठाना कि यदि अब मैं खुद के हक़ के लिए नहीं बोली तो शायद मैं हमेशा के लिए अपने अधिकारों से वंचित रह जाऊँगी। मुझे हमेशा ही दबाया जाएगा।


कुछ दिनों बाद जब रूचि के पापा शहर से वापस आये तो उसने अपने मन की बात पापा के सामने रखी। पापा उसकी बातों को सुनने से भी मना कर रहे थे। मानना तो बहुत दूर की बात थी। रूचि ने बार-बार अनेकों तरीकों से अपनी बात पापा को समझाने की कोशिश की। 

वो अपने पापा से बोली कि “मैं शादी तो करुँगी पापा, परन्तु आप मुझे दो वर्ष का समय दीजिये। ताकि मैं खुद सक्षम हो पाऊं। और शादी के बाद यह भी हो सकता है कि मुझे पढ़ने ही ना दिया जाए। मेरे छोटे भाइयों, इस घर को देखने का मौका तक भी ना दिया जाए। यदि ऐसा हुआ तो सबकुछ बिखर भी सकता है”! 

रूचि ने यह भी बोला कि, “पापा यदि आप मुझे अभी समय देकर सक्षम होने देंगे तो मैं भविष्य में अपने भाइयों के लिए भी कुछ अच्छा कर पाऊँगी”।

आखिरकार रूचि की ज़िद रंग लायी। उनके पापा ने उनकी बात समझी और पढ़ाई करने की अनुमति दे दी। 

अब यदि उनके पापा से कोई गाँव-समाज का व्यक्ति इस बात को लेकर कुछ बोलता भी है तो पापा खुद उत्तर देतें हैं कि बड़ी बेटी की शादी कर देने से क्या ही हो गया? वो हमारे घर आकर यहाँ की देख-रेख तो नहीं कर सकती है ना अब! 

हालाँकि रूचि की बड़ी बहन उनसे नाराज़ है और फ़ोन पर बात तक नहीं कर रही हैं। कारण साधारण सा है- वो चाहती हैं कि रूचि चुपचाप अपनी पढ़ाई करने की इच्छा को मारकर शादी के लिए हाँ करदे। रूचि को विश्वास है कि उनकी दीदी भी एक दिन मान जायेंगी और उनका सहयोग करेंगीं। फिलहाल रूचि के घर में शादी को लेकर कोई दबाव नहीं हैं और रूचि मन लगाकर अपनी पढ़ाई कर पा रही है।

साक्षी,

बडी, मुंगेर


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