Friday, September 6, 2024

फ़ेलोशिप करने के उपरांत मैं अधिक संवेदनशील, आत्मविश्वासी और एक ज़िम्मेदार नागरिक बनी हूँ- भाग्यश्री

नमस्तें साथियों, 

आज मैं आपलोगों के साथ स्वयं के बारे में कुछ बातें साझा कर रही हूँ। मैं i-सक्षम संस्था में बैच दस की एडु-लीडर हूँ। मैं बेगूसराय के तेघरा ब्लॉक में रहती हूँ। i-सक्षम में जुड़ने के बाद मैंने कई सारे बदलाव महसूस किये हैं, जो इस प्रकार हैं। 


  • शुरू-शुरू में मुझे नए लोगो से बात करने में बहुत संकोच और असहजता होती थी। मैं बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया करती थी। ऐसा कह सकते हैं कि मैं सही से बात नहीं कर पाती थी। मैंने फ़ेलोशिप के सेशंस (sessions) अटेंड (attend) करते समय पाया कि अब मैं अपनी बात दूसरों के सामने रखने लगी हूँ। मेरे बात करने के तरीके में भी बदलाव आया है। 

  • लोगो के साथ सहजता से बात करने के लिए मैंने विभिन्न तरीकों को अपनाया और अपने विचारों को स्पष्ट और संक्षिप्त तरीके से प्रस्तुत करना सीखा।

  • पहले मैं अकेले कहीं जाने से कतराती थी। अधिकतर समय मेरे घरवाले (भाई या पापा) ही मेरे साथ जाते थे। अब मेरे लिए अकेले बाहर जाना भी आनंदमय अनुभव होता है। मुझे अपने बारे में यह भी पता चला कि मुझे नयी जगहों की खोज करना स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का एहसास कराती है।

  • पहले मुझे प्रत्येक छोटी बात पर गुस्सा आता था। बढ़ते कदम में छोटे-छोटे गोल्स (goals) बनाकर, क्लस्टर मीटिंग में प्रस्तुत करने से मुझे लाभ हुआ। मेरे फेलो (fellow) साथियों के द्वारा दिए गए परामर्श, फीडबैक (feedback), योग, ध्यान और स्व-विश्लेषण की मदद से मैंने अपने गुस्से को नियंत्रित करना सीखा। इससे मुझे ना सिर्फ मानसिक शांति मिली बल्कि मैंने खुद के व्यव्हार में भी सुधार किया। 


दूसरों को समझने का प्रयास करना और उनकी भावनाओं को समझना मेरे लिए अब बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। सहानुभूति और समझ वाला सेशन (session), मेरे व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों को मजबूत करने में सहायक रहा। खुद भी अब लोगो को समझने का प्रयास करती हूँ, और सामने वालों की बातों को ध्यान से सुनती भी हूँ। 

कहते भी हैं ना कि, “किसी की बात को ध्यान से सुनना, उनके लिए सबसे से बड़ा तोहफा होता है”। 


मेरे भीतर आये सभी बदलावों और मेरी खूबियों को पहचानने में मेरी मदद करने का श्रेय मैं i-सक्षम की टीम को देना चाहती हूँ। मेरी फ़ेलोशिप यात्रा ने मुझे पहले से अधिक संवेदनशील, आत्मविश्वासी और एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में उभारा है। 

मैंने अपनी खुद की पहचान भी बनायी। मैं बच्चों, विद्यालय और समाज से भी जुड़ पायी। यह कार्य करने में मुझे मेरे फेलो साथियों और टीम मेम्बेर्स ने कभी मित्र बनकर, तो कभी भाई-बहन बनकर मेरा सहयोग किया। इसके लिए मैं आप सभी का आभार व्यक्त करती हूँ। 


भाग्य श्री,

बैच-10, बेगूसराय 


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