Friday, September 6, 2024

अपने परिवार और भविष्य के लिए मेरी योजना- निशा

नमस्ते साथियों, 

मैं, पिछले एक वर्ष से क्या कर रही हूँ और आने वाले तीन-चार वर्षों में अपने आप को कहाँ देखना चाहूँगी- इन विषयों पर अपनी वर्तमान की योजना और मनोभाव साझा कर रही हूँ।

साथियों, मैं एक मिडिल क्लास (middle class) परिवार से हूँ। घर में मेरे माता-पिता के अलावा मेरे दो छोटे भाई और अंकल हैं, कुल मिलाकर घर में 10 लोग हैं। कमाने वाले सिर्फ मेरे पापा ही हैं। दोनों भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं। पापा, जम्मू-कश्मीर में एक गैर-सरकारी जॉब में कार्यरत हैं। अंकल की तबियत खराब रहने से वो कोई जॉब नहीं करते हैं। मैं करीब एक वर्ष से ज्यादा समय से i-सक्षम के साथ जुड़ी हूँ। 

मुझे i-सक्षम के सहयोग से कुछ आर्थिक मदद भी मिलती है और बहुत सारे ऐसे कौशल भी सीखने को मिलते हैं जो मेरे लिए सीखना बहुत आवश्यक है। यहाँ पर सिखाई जाने वाली चीजें मुझे आगे बढ़ने में मदद कर रही हैं। जैसे- आत्मनिर्भर बनना, बेझिझक किसी से प्रश्न करना, स्वयं के साथ कुछ गलत हो उससे पहले आवाज़ उठाना आदि। मैंने अपने मम्मी-पापा को भी इतना विश्वास दिला दिया है कि अकेले घर से बाहर आने-जाने पर भी उनके मन में मेरे लिए कोई नकारात्मक विचार ना आये और ना ही कोई उन्हें मेरे विरुद्ध भड़का सके।

मुझे विश्वास है कि जैसे ही मेरे अंकल की तबियत ठीक हो जायेगी तो हमारी आर्थिक दशा थोड़ी सुधरेगी। अभी तो बहुत सारा रुपया उनकी दवाइयों में ही लग जाता है। मैं आगे आने वाले तीन-चार वर्षों में खुद को परिवार में एक अहम भूमिका के रूप में देख रही हूँ। अपने कार्यक्षेत्र में भी मुझे अपनी पहचान बनानी है। मैं सरकारी, गैर-सरकारी किसी भी क्षेत्र में अपनी सेवा देने के लिए तैयार हूँ। मैंने घर में ही बहुत स्ट्रगल (struggle) देखा है। मैं अपनी कम्युनिटी की लड़कियों के लिए एक रोल-मॉडल बनना चाहती हूँ, उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहती हूँ। मैं उन सभी लड़कियों को बताना चाहती हूँ कि आपको यदि कुछ आगे बढ़ा सकता है तो वो है सिर्फ और सिर्फ मेहनत और कड़ी मेहनत! बिना मेहनत के कुछ भी संभव नहीं है। आप जितना मेहनत करेंगे उतना ही आगे बढ़ेंगे।


एक चेतना गीत की पंक्तियाँ भी हैं: 

कड़ी मेहनत से ही इन्सान का चेहरा चमकता है, 

कि सोना आग में तप कर ही कुंदन सा दमकता है 

करें वैसे हीं मेहनत....

सवाँरे रूप भारत का...


कि जैसे चाँद आकर चाँदनी के फूल बरसाता,

के जैसे मेघ आ करके घड़ों में नीर भर जाता

करें वैसे हीं हम मेहनत....

सवाँरे रूप भारत का...

निशा कुमारी 

बैच 10, गया 


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