27 सितम्बर, दिन सोमवार को मैं हर रोज के प्रति आज भी अपने काम को समय से निपटाकर अपने विद्यालय में पहुँची, तो वहाँ पर देखा कि सभी बच्चे आपस में मिल-जुल कर खेल रहे थे और दीदी लोग आपस में बातें कर रही थी।
फिर इतनें में प्रार्थना कि घंटी बजी तो सभी बच्चे प्रार्थना के लिए शामिल हो गए, फिर उसके बाद प्रार्थना समाप्त होने पर सभी बच्चे अपने-अपने क्लास- रूम में अपने स्थान पर बैठ गए। मैं दीदी लोग से मिलने ऑफिस में गयी, थोड़ी बात की फिर अपने क्लास-रुम में गई तो सभी बच्चे अपने स्थान से ही खड़े होकर एक साथ मुझको विश करने लगे। मुझे यह देखकर मन ही मन बहुत खुशी हुई। क्योंकि मुझे पहले बहुत घबराहट हो रही थी, बच्चे समझेंगे या फिर नहीं समझेंगे? इस बात को लेकर मुझे बहुत चिंता होती रहती थी ।
लेकिन मुझे इस बात का पता भी नहीं चला और बच्चे इतनी जल्दी सीख भी गए । इस बात को लेकर मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है कि बच्चे हो तो ऐसे।
जो सिखाया वो तुरंत सीख लिया। उसके बाद एक छोटा सा बाल-गीत से शुरूआत किए, तो सभी बच्चे खुशी पूर्वक एक साथ मिलकर बाल-गीत किये और फिर उनके परिवार में कितने सदस्य है, एवं कौन-कौन हैं उनके बारे में जानकारी दिये।
इसपर मुझे बहुत खुशी हुई कि बच्चे कितने बुद्धिमान होते हैं जो कि एक से दो बार बताते ही चीजों को समझने लगते है। फिर उसके बाद हम एक बाल-गीत करवाए , तो सभी बच्चे बहुत अच्छे तरीके से किये और फिर “न” अक्षर से पाँच शब्द पूछे तो वो भी बताये। फिर बच्चो ने बताया कि “न” अक्षर से शुरू होने वाला किसका-किसका नाम है।
फिर उसके बाद “न” ही अक्षर से और शब्द लिखने का होमवर्क देकर और सर से मिलकर घर चले आए। इस प्रकार बच्चों के साथ कब समय बीत गया, पता ही नहीं चला।
-सीमा देवी, बैच- 6, i-सक्षम फ़ेलोशिप
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