Monday, December 8, 2025

“नहीं! घर में ही रहकर पढ़ो

 “नहीं! घर में ही रहकर पढ़ो, बाहर नहीं जाना है।”

यह जवाब साक्षी को उसकी नानी से मिला, जब उसने 11वीं कक्षा के एग्जाम पास आने पर पढ़ने की हिम्मत जुटाई। मेरा नाम सरिता है, और मैं अपनी एडू-लीडर साक्षी की कहानी बता रही हूँ—एक ऐसी लड़की जिसने सबसे बड़े संकट में भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाई और अपने सपने को ज़िंदा रखा।

साक्षी ऐसे परिवार से आती है जहाँ लोग पढ़े-लिखे तो थे, पर घर की महिलाओ या लड़कियों को बोलने की आजादी नहीं थी। उसे खुद को असहज महसूस होता था, और वह जानती थी कि उसे अपनी आवाज़ सुनाने के लिए अपने रास्ते खुद चुनने होंगे।

10वीं तक की पढ़ाई ठीक चली, लेकिन 11वीं में उसके पापा को ब्लड कैंसर हो गया। इस बीमारी ने परिवार की आर्थिक हालत बहुत खराब कर दी, और इसी संकट के बीच साक्षी की पढ़ाई रुक गई। उसे मजबूरी में अपने नाना-नानी के घर जाना पड़ा।

वहाँ उसे खुद को पुराने सामाजिक नजरियों मे घिरा पाया —"लड़की बाहर पढ़ने जाएगी तो बिगड़ जाएगी।"

जब एग्जाम पास आए, उसने साहस जुटाकर नानी से कहा कि उसे पढ़ना है। नानी ने मना कर दिया, और घर पर पढ़ाई का माहौल भी नहीं बन पा रहा था।

साक्षी ने उस दबाव को अपनी हार नहीं बनने दिया। उसके पास खुद का फ़ोन नहीं था, तब उसने नाना का फ़ोन इस्तेमाल करना शुरू किया और अपनी पढ़ाई जारी रखी।

इसी मुश्किल दौर में, उसने घर की बेटी बनकर जिम्मेदारी संभाली। उसकी माँ भी मास्टर्स की डिग्री और बीएड की तैयारी में लगी थीं, इसलिए साक्षी ने पूरे घर को संभाला और अपने छोटे भाई-बहनों को एक माँ की तरह देखभाल की, क्योंकि घर की हालत बहुत नाज़ुक थी।

आज, साक्षी अपने संघर्षों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रही है। वह अपनी हर बात और हर फैसला इतने आत्मविश्वास से लेती है। वह उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनती जा रही है जो थोड़ी परेशानियों में भी अपने लिए फैसले करने से डरती है या हार मान जाती है।
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लेखिका का परिचय:

  • नाम: सरिता

  • परिचय: सरिता गाँव फरदा, ब्लॉक जमालपुर, मुंगेर की रहने वाली हैं।

  • i-Saksham से जुड़ाव: वह वर्ष 2022 में i-Saksham के बैच-9 की एडू-लीडर रह चुकी हैं।

  • लक्ष्य: सरिता का लक्ष्य सामाजिक कार्य (Social Work) करना है।

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