“आज भी मेरे कान से मवाद निकलता है।”
यह उस दर्द और शारीरिक प्रताड़ना का नतीजा है जो मैंने अपने पति से झेली थी। यह दर्द आज भी मुझे याद दिलाता है कि मैं अब अपनी ज़िंदगी का नियंत्रण किसी और के हाथ में नहीं दूँगी।
मैं एक सीधी-सादी, लेकिन सपनों से भरी लड़की थी। 12वीं की परीक्षा के तुरंत बाद मेरी शादी हो गई थी। मैं उम्मीदों और नए जीवन के सपनों से ससुराल गई थी। लेकिन बहुत जल्द ही मेरे पति ने मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। जब मैंने आगे पढ़ाई जारी रखने की बात कही, तो मेरी आवाज़ दबा दी गई।
एक दिन तो हालात इतने बिगड़ गए कि उन्होंने मेरे कान पर इतनी ज़ोर से मारा कि आज भी दर्द इतना बढ़ जाता है कि मैं ठीक से खा-पी भी नहीं पाती। मेरे पति मुझ पर मायके की ज़मीन अपने नाम करवाने का दबाव भी बना रहे थे।लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने एक दिन हिम्मत जुटाई और उस घर से निकल आई। मैंने तय किया कि अब मैं अपनी ज़िंदगी खुद बनाऊँगी, अपने दम पर।
यह मेरे जीवन का पहला और सबसे बड़ा नेतृत्व-भरा फैसला था।
आज मैं आगे की पढ़ाई जारी रखकर नर्स बनना चाहती हूँ। मैं रोज़ Duolingo ऐप पर इंग्लिश की प्रैक्टिस करती हूँ और अपनी सिलाई मशीन से काम करके आत्मनिर्भर बन रही हूँ।
जब मैं ‘आई सक्षम’ फेलोशिप से जुड़ी, तो मुझे यहाँ के सेशनों में आत्मविश्वास और खुद की एक नई पहचान मिली। अब मैं अपने समुदाय की किशोरियों को लाइफ स्किल्स सिखाती हूँ। मैं उन्हें प्रेरित करती हूँ ताकि कोई भी लड़की चुपचाप अन्याय न सहे, बल्कि अपने सपनों के लिए डटकर खड़ी हो सके।
मेरी कहानी यह दिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हिम्मत और उम्मीद बनी रहे, तो कोई भी अपने जीवन की दिशा खुद बदल सकता है।
लेखिका परिचय:
नाम: चंदा कुमारी
परिचय: चंदा गाँव बंगाही, ब्लॉक बांद्रा, मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं और i-Saksham बैच-12 की एडू-लीडर हैं।
i-Saksham से जुड़ाव: वह वर्ष 2025 में i-Saksham से जुड़ीं।
लक्ष्य: मैं भविष्य में नर्स बनना चाहती हूँ।
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