“मुसहर समुदाय के बच्चों को उनकी जाति के कारण भगा देते हैं।”
यह बात मुझे गौरीपुर गाँव में एक स्थानीय व्यक्ति ने बताई। मेरा नाम साक्षी है, और मैं प्राथमिक विद्यालय, मुसहर टोला में अवलोकन (Observation) के लिए पहुँची थी।
रास्ते में मैंने कई बच्चों को खेलते, चूल्हा बनाते देखा, जिससे मन में सवाल उठा कि स्कूल कौन गया होगा? गाँव के एक अंकल ने बताया कि मुसहर समुदाय के बच्चों को उनकी जाति के कारण कभी-कभी अन्य बच्चे और शिक्षक भी भगा देते हैं। यह जानकारी चिंताजनक थी और मुझे लगा कि यहाँ हमारे काम की सख़्त ज़रूरत है।
कोमल, हमारी एडू-लीडर, यहाँ सामाजिक समावेश का प्रयास कर रही थीं।
कक्षा में शोर और अव्यवस्था तो थी, लेकिन मैंने जो बदलाव देखा, वह मेरे लिए प्रेरणादायक था। कोमल ने छात्रों को मेडिटेशन और समूह चर्चा जैसे जीवन कौशल में शामिल किया। उन्होंने रीता और प्रिया जैसी छात्राओं को मेडिटेशन करवाने का अवसर दिया, जिससे उनमें नेतृत्व की भावना विकसित हो रही थी।
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह था कि मुसहर समुदाय के बच्चे, जो पहले अलग बैठकर पढ़ाई करते थे, अब धीरे-धीरे मिलकर रहने की कोशिश कर रहे थे। यह सामाजिक समावेश की दिशा में एक बड़ी सफलता थी।
मैंने देखा कि कक्षा पहले से ज्यादा साफ़ दिख रही थी। यह कोमल के प्रयासों और मेहनत को दर्शाता है।
हालांकि, बच्चों की उपस्थिति और कक्षा प्रबंधन (शोर) में सुधार की ज़रूरत थी, पर उस दिन मैंने महसूस किया कि कोमल सिर्फ़ पढ़ा नहीं रहीं, बल्कि सामाजिक भेदभाव की दीवार तोड़कर एक बेहतर समाज की नींव रख रही थीं।
लेखिका परिचय:
नाम: साक्षी कुमारी
परिचय: साक्षी कुमारी गाँव सर्वोदय टोला फरदा, जमालपुर, मुंगेर की रहने वाली हैं।
i-Saksham से जुड़ाव: वह वर्ष 2019 में i-Saksham के बैच-4 की एडू-लीडर रह चुकी हैं।
लक्ष्य: साक्षी का लक्ष्य सोशल सेक्टर (Social Sector) में काम करना है।
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