Thursday, October 3, 2024

"मेरी गांधी फेलोशिप यात्रा"

मेरा नाम अनन्या है और मैं गांधी फेलोशिप की एक छात्रा हूँ। मैं अपने गांव की पहली लड़की हूँ जो मध्यमवर्गीय परिवार से होकर गांव में रहकर ही गांधी फेलोशिप करने के लिए दूसरे राज्य में गई हूँ। मेरे लिए यह रास्ता चुनना आसान नहीं था, लेकिन मैंने हिम्मत की और आज मैं छत्तीसगढ़ में एक गांधी फेलो हूँ।

मैंने गांधी फेलोशिप का फॉर्म भरा और ऑनलाइन इंटरव्यू दिया। मुझे फाइनल राउंड इंटरव्यू के लिए पटना जाना था, जो मेरे लिए थोड़ा मुश्किल लग रहा था। लेकिन मैंने हिम्मत की और इंटरव्यू दिया। कुछ समय बीतने के बाद, मुझे पता चला कि मेरा सिलेक्शन हो गया है और मुझे छत्तीसगढ़ राज्य मिला है।

मैं घर गई और अपने माता-पिता को बताई, लेकिन मेरी मम्मी ने साफ मना कर दिया कि उतना दूर नहीं जाना है। मैं बहुत उदास हो गई, लेकिन मैंने हिम्मत की और अपने पापा को समझाया। पापा तो मान गए, लेकिन मेरे लिए मम्मी को मनाना बहुत मुश्किल हो रहा था। लेकिन आखिरकार, मम्मी भी मान गईं।


मैं श्रवण सर से बात की और उनसे अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया। श्रवण सर ने मुझे बहुत हिम्मत दी और कहा कि अगर मन नहीं लगा तो वापस i-सक्षम चली आना। तुम i-सक्षम की सदस्य हो, तुम लिए i-सक्षम हमेशा रहेगा।


अब मुझे इंडक्शन सेशन के लिए राजस्थान जाना था। मैंने i-सक्षम में जो भी चीजें सीखी हैं, उससे मुझे गांधी फेलोशिप के सेशन को समझने में बहुत आसानी हो रही थी। मैं राजस्थान में असेंबली के दौरान 120 लोगों को चेतना गीत और एक्टिविटी करवाई। मुझे एक बात याद आ गई कि जब मैं जमुई में अपने बैच में एक बार मैत्री वाले एडु लीडर  को फैलोशिप के बारे में बताने के लिए सेशन में खड़ी हुई थी, तो तब मेरे हाथ पैर बहुत काप रहे थे और अब मैं 120 लोगों के बीच भी आत्मविश्वास के साथ बोल भी लेती हूँ, एक्टिविटी भी करवा लेती हूँ। मेरे जीवन में यह सारे बदलाव i-सक्षम की वजह से आया हैं। मैं i-सक्षम को दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी।

अनन्या 

बडी इन्टर्न 


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