नमस्ते साथियों,
मेरा नाम रजनी है, मैं फ़िलहाल बडी के रूप में i-सक्षम में जुड़ी हुई हूँ। पिछले सप्ताह मैं बेसलाइन(Baseline) लेने के लिए लखनपुर गई थी। इस यात्रा में मैंने कई अनुभव किए, जिन्होंने मेरे दिल को छुआ और मेरी सोच को बदल दिया।
सबसे पहले, मैंने राजनंदनी का बेसलाइन लेना शुरू किया। मुझे राजनंदनी के बारे में बहुत कुछ पता चला। उन्होंने बताया कि वह अपने गाँव की पहली लड़की हैं जिन्होंने 12वीं कक्षा पास की है, लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण वह बी.ए. (B.A) नहीं कर पाईं। उनके पिता ने कहा कि वह अगले साल नामांकन करवाएंगे। राजनंदनी ने बताया कि उनकी शादी चार साल पहले तय हुई थी, जब वह दसवीं कक्षा में पढ़ती थीं। उनके चाचा और फूफा ने दबाव डाला कि उनकी शादी कर दी जाए। लेकिन राजनंदनी ने अपने होने वाले पति से अपनी पढ़ाई के बारे में बात की और उन्होंने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वह राजनंदनी के पैरों पर खड़े होने के बाद ही शादी करेंगे। राजनंदनी ने बताया कि वह अपने आसपास की लड़कियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करती हैं और उन्हें आधार कार्ड बनाने के लिए कहती हैं। लड़कियां उनकी बातों पर ध्यान नहीं देती है लेकिन वह हार नहीं मानती हैं और अभी भी अपने लक्ष्य की ओर काम कर रही हैं।इसके बाद, मैं संगीता का बेसलाइन लेने गई। लेकिन संगीता की माँ ने मुझसे कहा कि वह पैसे कमाने के लिए आते हैं और उन्हें कुछ नहीं मिलता है। संगीता ने कुछ देर बाद बात करना बंद कर दिया और कहा कि उसका सर दर्द कर रहा है। मैंने समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। जब मैं वहाँ से निकली, तो संगीता अपनी माँ से लड़ाई करने लगी। उसने कहा कि वह मुझसे बात नहीं करना चाहती है और इसलिए वह सेशन में नहीं जाती है। आज की यात्रा मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक थी, लेकिन यह भी दुखी भरा था। मैंने देखा कि कैसे लड़कियों को उनके सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन मैंने यह भी देखा कि कैसे वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ती हैं।
आज की यात्रा मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक थी, लेकिन यह भी दुखी भरा था। मैंने देखा कि कैसे लड़कियों को उनके सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन मैंने यह भी देखा कि कैसे वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ती हैं।
रजनी
बडी, जमुई
(रजनी ढंढ गाँव की रहने वाली हैं। रजनी ने मुंगेर यूनिवर्सिटी से भूगोल में स्नातक की पढ़ाई की है और वर्तमान मे बिहार से बाहर जाकर पोस्ट ग्रेजुएशन करने कि तैयारी कर रही हैं। उन्हें i-सक्षम के बारे में बैच एक कि फ़ेलो रह चुकीं स्वेता से पता चला और रजनी 2018 में बैच पाँच के फेलो के रूप में i-सक्षम से जुड़ी थी। उनके जीवन का उद्देश्य हैं की वो अपने जैसी लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए समाज के लिए काम करना चाहते हैं।)
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