Tuesday, January 28, 2025

शादी के बाद शिक्षा की जरूरत पर सवाल

आज मैं अपनी चाची के लिए "वॉइस एंड चॉइस" का उपयोग कर उनके प्रेरणादायक अनुभव को साझा करना चाहती हूँ। यह कहानी एक ऐसे सपने की है, जिसे समाज ने नामुमकिन बना दिया था, लेकिन चाची की लगन और हमारे प्रयासों ने इसे हकीकत में बदल दिया।

मेरी चाची का हमेशा से सपना था कि वे पढ़ाई करें और अपनी शिक्षा पूरी करें। लेकिन उनकी शादी के बाद, उनके परिवार ने यह कहकर उनका सपना तोड़ दिया कि "अब पढ़ाई का कोई मतलब नहीं। शादी के बाद शिक्षा की जरूरत किसे है?" उनके दिल में कहीं यह बात घर कर गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

जब मैंने उनके मन में छिपी इस इच्छा को देखा, तो मैंने ठान लिया कि उनकी पढ़ाई को लेकर मैं उनका साथ दूँगी। मैंने उन्हें समझाया, "पहले आप अपने पति से बात करें और अपनी पढ़ाई की इच्छा जाहिर करें। यह आपका अधिकार है।"



उन्होंने हिम्मत करके अपने पति (मेरे चाचा) से बात की, लेकिन उन्हें भी मना कर दिया गया। चाचा ने साफ कहा, "अब पढ़ाई का क्या फायदा? शादी के बाद पढ़ाई की जरूरत ही क्या है?"
यह सुनकर मैं चुप नहीं बैठी। मैंने चाचा से व्यक्तिगत रूप से बात करने का फैसला किया। मैं उनके पास गई और कहा, "चाचा, आपकी बेटी अभी सिर्फ दो साल की है। जब वह बड़ी होकर आपसे पूछेगी कि 'पापा, आप कितनी पढ़ाई किए हैं?' तो आप गर्व से कहेंगे, 'हम इंटर तक पढ़े हैं।' लेकिन जब वह मम्मी से पूछेगी, 'मम्मी, आप कितनी पढ़ी हैं?' और मम्मी सिर्फ 9वीं तक पढ़ी होंगी, तो इसका क्या जवाब देंगे? क्या आप नहीं चाहेंगे कि चाची अपनी बेटी के लिए एक प्रेरणा बनें? क्या आप नहीं चाहेंगे कि आपकी बेटी अपनी माँ को भी पढ़ा-लिखा और आत्मनिर्भर देखे?"
मेरी इन बातों ने चाचा को सोचने पर मजबूर कर दिया। कुछ दिनों बाद, उन्होंने बात मान गए। उसके मैं चाची को एक स्कूल में नामांकन कराया।

शुरुआत में यह सफर चाची के लिए आसान नहीं था। घर के कामों और पढ़ाई के बीच तालमेल बैठाना एक बड़ा संघर्ष था। लेकिन उनकी मेहनत और जज़्बे ने हर मुश्किल को आसान बना दिया।


आज, मैं गर्व से कह सकती हूँ कि मेरी चाची ने 10वीं की परीक्षा पास कर ली है। यह सिर्फ एक परीक्षा पास करना नहीं था, बल्कि उनके सपनों की पहली सीढ़ी थी। अब हम उन्हें आगे पढ़ाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि वे अपने सपनों को पूरी तरह से साकार कर सकें।
चाची की यह कहानी सिर्फ उनके सपनों की नहीं, बल्कि हर उस महिला की है, जो अपने हक के लिए खड़ी होती है। जब उन्हें सही समर्थन और मौका मिलता है, तो वे हर असंभव को संभव बना सकती हैं।

मोंटी कुमारी 
बैच 10 
मुंगेर

No comments:

Post a Comment