“पहले मैं खुद को 10 में से 3 अंक देती थी, अब 7 की हकदार हूँ।”
यह आत्मविश्वास बेगूसराय के बेगमसराय गाँव की पुष्पा का है। कुछ महीने पहले तक, मैं ऐसी नहीं थी। मैं बहुत शर्मीली और संकोची थी। किसी से बात करने में डरती थी, और मुझे हमेशा यह डर रहता था कि कहीं कुछ गलत न बोल दूँ। ज़रूरतमंद होने पर भी मैं अपनी बात कहने से कतराती थी।
यह सब तब बदला जब मैं रश्मि दीदी के सत्रों से जुड़ी। शुरू में मैं कोने में बैठती थी, पर दीदी ने मुझे बार-बार आगे बुलाया। हर बार जब मैं थोड़ा-सा बोलती, दीदी मुस्कराकर कहतीं, "बहुत अच्छा बोला आपने!" यही प्रोत्साहन मेरे भीतर विश्वास बोने लगा।
एक दिन, मेरे घर वालों ने मेरी शादी तय करने की बात कही। सबने कहा, “लड़की की ज़िंदगी तो शादी के बाद ही सँवरती है।” मेरे पास दो रास्ते थे—या तो चुप रह जाऊँ, या अपने हक के लिए लड़ूँ। मैंने अपनी सारी हिम्मत जुटाई और साहस के साथ कहा, "अभी नहीं... मैं पढ़ना चाहती हूँ, अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूँ।"
उस दिन मैंने सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उन तमाम लड़कियों के लिए आवाज़ उठाई जो चुप रहती हैं।
आज मैं पूरी तरह बदल चुकी हूँ। अब मैं अपना हर काम खुद करती हूँ। मैंने सकारात्मक सोच और योजना के साथ काम करना सीखा है। अब मैं अपने आस-पड़ोस में होने वाले झगड़ों को भी समझती हूँ और आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखकर समाधान करने की कोशिश करती हूँ।अब मैं सत्र की सबसे सक्रिय किशोरी हूँ। मैं न केवल समय पर सत्र में आती हूँ, बल्कि दूसरी किशोरियों को भी प्रेरित करती हूँ। पहले मुझे लगता था कि "मुझे कुछ नहीं आता," लेकिन अब मुझे एहसास है कि मुझमें भी बहुत क्षमताएं हैं।
आज जब कोई मुझसे पूछता है, तो मैं गर्व से कहती हूँ कि "पहले मैं खुद को 10 में से 3 अंक देती थी, लेकिन अब आत्मविश्वास से कहती हूँ कि 7 अंक की हकदार हूँ—क्योंकि अब मुझमें ज्ञान और आत्मविश्वास दोनों बढ़े हैं।"
लेखिका परिचय:
यह अनुभ रश्मि दीदी के सत्रों से जुड़ी किशोरी पुष्पा के अनुभव पर आधारित है।
नाम: निधि कुमारी
परिचय: निधि कुमारी मुंगेर के फरदा - बॉक टोला, जमालपुर की रहने वाली हैं।
i-Saksham से जुड़ाव: वह वर्ष 2021 में i-Saksham के बैच-7 की एडू-लीडर रह चुकी हैं।
लक्ष्य: निधि का सपना है कि वह एक शिक्षक बनें।
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