“मैं i-सक्षम छोड़ना चाहती हूँ।”
यह सुनकर मैं बहुत चिंतित हो गई। मेरा नाम मोनिका कुमारी है और मैं i-Saksham में 'बडी' के रूप में काम करती हूँ। मेरे पास पूनम नाम की एक एडू-लीडर थीं, जो बहुत समर्पित और उत्साही थीं, लेकिन उनके जीवन में बड़ा संकट आ गया—उनकी दीदी का निधन हो गया।
वह एक महीने की छुट्टी के बाद लौटीं, लेकिन पुरानी वाली पूनम नहीं थीं। पूनम मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुकी थीं। आत्मविश्वास की कमी साफ़ दिखती थी। फिर एक दिन उनका फोन आया: “मैं i-सक्षम छोड़ना चाहती हूँ।”
पूनम की हालत देखकर मुझे लगा कि मेरी सामान्य समझ काम नहीं कर रही है। मुझे सिखाया गया था कि व्यक्तिगत संकट के समय किसी भी लीडर का पहला काम होता है, सही सपोर्ट सिस्टम का उपयोग करना। मैंने अपने मेंटर अमन भैया से सलाह ली और उनकी बात मानते हुए पूनम के ऊपर से काम का दबाव हटा दिया।मैंने पूनम को एक महीने का समय और व्यक्तिगत स्पेस दिया। उनकी साथी एडू-लीडर्स ने उन्हे कल करके सिर्फ हाल चाल लेते और हौसला बढ़ाते, काम की बात नहीं करते ।
करीब 25 दिन बाद, मैंने पूनम से फिर बात की। इस बार वह सकारात्मक लगीं। सितंबर में उन्होंने फिर से i-सक्षम ज्वाइन किया। उन्हें देखकर मेरा दिल खुश हो गया।
धीरे-धीरे पूनम ने फिर से मुस्कुराना शुरू किया। अक्टूबर में जब हमने 'बडी टॉक' की, तो पूनम आत्मविश्वास से अपनी लर्निंग और एक्शन प्लान साझा कर रही थीं। उन्हें देखकर लगा कि समय और समझदारी दोनों जरूरी है घाव भरने के लिए।
उस दिन मुझे सच्चे अर्थों में "बड़ी" का मतलब समझ आया—बड़ी का मतलब सिर्फ काम की निगरानी नहीं, बल्कि साथी को मुश्किल समय में संभालना, और उसे फिर से खुद पर भरोसा दिलाना है। मेरा काम पूनम को संभालना था, और यह देखकर सुकून मिला कि हमने मिलकर यह कर दिखाया।
लेखिका परिचय:
नाम: मोनिका कुमारी
परिचय: मोनिका जिला जमुई के खैरमा गाँव की रहने वाली हैं और i-Saksham में 'बडी' के रूप में काम कर रही हैं।
i-Saksham से जुड़ाव: मोनिका वर्ष 2021 में i-Saksham से जुड़ीं।
भविष्य का सपना: मोनिका चाहती है कि वह अपने गाँव की महिलाओं के लिए आवाज़ उठाये और उन्हें उनके अधिकारों और अवसरों के लिए जागरूक करे ।
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