हमारी बड्डी ने अपने बड्डी टॉक का अनुभव साझा किया है।
आज मेरी बात बैच-10 की एडु लीडर संध्या से हुई, जिसका एक छोटा सा हिस्सा आपके साथ साझा कर रही हूं। हमारी चर्चा का विषय "अपने लिए GOAL बना पाना" था। मैंने उनसे पूछा कि GOAL शब्द सुन कर आपके मन में क्या आता है? तो एडु लीडर संध्या ने कहा, "हम जो पाना चाहते हैं, वहाँ तक पहुंचने के लिए रणनीति बनाना, उसे हासिल करने के बारे में सोचना।” संध्या ने अपनी एक छोटी से कहानी भी साझा की।
उन्होंने कहा, “मैं जब छठी कक्षा में थी, तो उस वक्त मेरे साथ कुछ हुआ था जिससे मेरी सोचने की शक्ति में अनेक बदलाव हुए।” वे बताती हैं, “हम जो भी कुछ अपनी जिंदगी में पाना चाहते हैं, उसके लिए रणनीति बनाना बहुत जरुरी है। मैं जब छठी कक्षा में थी, तो उस वक्त मेरे विद्यालय में एक प्रतियोगिता होने वाली थी, जिसमें कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को भाग लेना था। मैंने ठान लिया कि मुझे इस प्रतियोगिता में अव्वल आना है। वह प्रतियोगिता बच्चों में सामान्य ज्ञान की जानकारी को जांचने के लिए आयोजित की जा रही थी। इस प्रतियोगिता में अव्वल आने के लिए मैंने सामान्य ज्ञान की एक पुस्तक को खरीदा और कंठस्थ करना शुरु कर दिया। चुंकि प्रतियोगिता एक महीने के बाद होने वाली थी इसलिए मेरे पास पर्याप्त वक्त था। मैंने खूब अच्छे से तैयारी की और आखिरकार मैंने पहला स्थान प्राप्त किया। मैंने महसूस किया कि अगर मैं रणनीति के तहत पढ़ाई नहीं करती और प्रतियोगिता के मंतव्य को नहीं समझती, तो शायद मेरे लिए पहला स्थान प्राप्त कर पाना मुश्किल हो जाता।”
रणनीति बनाने की क्षमता
इस अनुभव में कई बिंदूओं को समझना आवश्यक है। जैसे- एक एडु लीडर के अंदर रणनीति बनाने की क्षमता और यही क्षमता उन्हें भविष्य के नेतृत्वकर्ता के रुप में विकसित करती है। उन्होंने पहले अपने लक्ष्य को समझा फिर उसे हासिल करने के विषय में सोचा और उसी अनुरुप अपनी रणनीति बनाई। यही रणनीति एक लीडर भी बनाते हैं, जब उन्हें अपने आप को साबित करना होता है। एक ओर जहां उन्होंने स्वयं को चुनौती दी और उसे पूरा की। वहीं वे दूसरों के लिए भी एक उदाहरण के तौर पर उभर कर सामने आईं क्योंकि उन्हें GOAL के असल मतलब को व्यावहारिक तौर पर सामने लाने का प्रयास किया।
मौखिक कौशलता का विकास
इसके साथ अपने अनुभव को किसी उदाहरण के साथ समझा पाना और अपनी बात रख पाना भी मौखिक कौशल का हिस्सा है, जिससे वे अन्य लड़कियों को प्रेरणा दे सकती हैं। साथ ही संवाद का महत्व भी उजागर हुआ क्योंकि जब एक बड्डी ने GOAL के बारे में सवाल किया, तब ही सारी बातें सामने आईं। इसके अलावा इस अनुभव का एक पहलू- लड़कियों के लिए संसाधनों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता प्रतीत होता है क्योंकि जहां एक ओर लड़कियां संसाधनों के अभाव में लक्ष्य हासिल नहीं कर पाती क्योंकि कहीं ना कहीं समाज उन्हें संसाधनों से दूर रखता है लेकिन जब एक लड़की संसाधन को प्राप्त करती है, तब उसका सही उपयोग भी करती है। जैसे- संध्या ने सामान्य ज्ञान की किताब को खरीद कर किया और प्रथम आईं।
एक सिक्के के भले ही केवल दो पहलू होंगे लेकिन एडु लीडर और बड्डी के बीच ऐसे अनेक पहलू सामने आ सकते हैं, जिससे एक आम नागरिक जुड़ाव महसूस कर सकेगा।
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