Friday, June 13, 2025

"कदम छोटा था, असर गहराई तक गया"

कहानी उन तीन किशोरियों – निशा, पारो और क्रांति की है, जिनके एडमिशन के लिए मैं लगातार प्रयास कर रही थी।

हर बार जब मैं उनके घर जाती, मैं सिर्फ एक ही बात कहती –
“अपने बच्चों को पढ़ने का पूरा मौका दीजिए, पढ़ाई से ही उनका भविष्य संवरेगा।”

आर्थिक परेशानियां बार-बार सामने आईं, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।
हर बार मैं नंदनी का उदाहरण देती – उसी गांव की एक SC समुदाय की लड़की, जो आज बिहार पुलिस की तैयारी कर रही है।

मैं कहती – “अगर नंदनी कर सकती है, तो आपकी बेटी भी कर सकती है।” कभी-कभी लगता कि शायद मेरी बातें अनसुनी रह जाएंगी, लेकिन दिल में एक भरोसा था कि एक दिन जरूर समझेंगे।

और फिर वो दिन आया – उस किशोरी का एडमिशन हो गया। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। एडमिशन के बाद वह सेशन में नहीं आ रही थी। मेरा मन थोड़ा परेशान था। मैं खुद उसके घर गई, उसके पेरेंट्स से मिली। उन्होंने कहा –“हां दीदी, अब हमारी बेटी स्कूल जा रही है।”
उस पल मेरे चेहरे पर जो मुस्कान थी, वो शब्दों में बयां नहीं कर सकती। और फिर, कुछ दिन बाद जब मैंने पारो, क्रांति और निशा से मिलकर देखा कि वो लड़की सच में स्कूल जा रही है, पढ़ाई कर रही है, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
उसकी आंखों में चमक थी, उसके शब्दों में आत्मविश्वास था – “मैं स्कूल जाकर बहुत खुश हूं।वो एक पल मेरे लिए अनमोल था – जैसे मेरी मेहनत रंग लाई हो।
यह कहानी सिर्फ एक बच्ची की नहीं है।
यह हर उस लड़की की कहानी है जो सिर्फ एक मौके की तलाश में है। और यह कहानी हर उस इंसान की भी है – जो बिना थके, बिना रुके, लड़कियों के लिए वो मौका बना रहा है।
"क्योंकि जब कोई एक लड़की आगे बढ़ती है, तो उसके साथ एक पूरा समाज आगे बढ़ता है।"
निशा भारती 
जमुई



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