Monday, June 2, 2025

"मेरे संग बच्चे भी मुस्कुराने लगे"

जब मैं पहली बार इस विद्यालय  में आई तो यहां के बच्चे पढ़ाई में रुचि नहीं लेते थे वे केवल खेल कूद में ज्यादा व्यस्त रहते थे और किताबों से दूर भागते थे l विद्यालय का वातावरण भी कुछ खास नहीं था l मैं धीरे-धीरे बच्चों को साथ दोस्ती करनी शुरू की मैं उन्हें खेल में रुचि दिखाई और उनके साथ  समय बिताकर अपना रिश्ता मजबूत किया l

रिश्ता मजबूत होने के बाद मैं पढ़ाई को खेल की तरफ प्रस्तुत किया मैंने छोटे-छोटे कहानी और एक्टिविटी के माध्यम से उन्हें पढ़ाई में रुचि लाने के लिए प्रेरित की बच्चों ने एक्टिविटी से अधिक प्रेरित हुए और उन्होंने देखा की पढ़ाई में भी खेल हो सकती है,तो उन्होंने पढ़ाई में भी रुचि लेनी शुरू कर दी l

विद्यालय का वातावरण धीरे-धीरे बदलने लगा l मेरे गांव से शिक्षक अभिभावक बैठक से यह निकल कर आ रहे हैं,कि इस विद्यालय में बच्चे अब पहले के जैसे विद्यालय में बैग रखकर बाहर घूमते नहीं रहते हैं l उनकी बातचीत में रहन-सहन में भी परिवर्तन हुआ है l "मेरा विद्यालय से जुड़ने का उद्देश्य यह था कि मैं विद्यालय के बच्चों को एक अच्छे नागरिक की दिशा में आगे बढ़ते हुए देख सकूं।" 

पहले हमारे विद्यालय में बच्चे प्रार्थना संगीत के बाजे के साथ करते थे, लेकिन अब चार से पाँच बच्चे मिलकर खुद ही यह प्रार्थना सस्वर गाते हैं—
"तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू यशु मसीह,
हर नाम में तू समाया हुआ।"


पहले जब भी विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस मनाया जाता था, बच्चे उसमें खास रुचि नहीं दिखाते थे। वे न तो किसी गतिविधि में भाग लेते थे और न ही आगे बढ़कर कोई पहल करते थे। यह देखकर मन उदास हो जाता था। लेकिन इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैंने बच्चों से उनके ही पुराने अनुभवों की बात की—कैसे पहले उन्हें पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था, लेकिन अब वे मन लगाकर पढ़ रहे हैं। मैंने कहा, “जिस तरह पढ़ाई अब आसान लगती है, वैसे ही मंच पर बोलना, नारे लगाना और भाग लेना भी आसान हो सकता है।” मेरी बातों ने बच्चों को अंदर तक छू लिया।

फिर क्या था—लगातार प्रयास और प्रोत्साहन से बच्चों में धीरे-धीरे आत्मविश्वास जागा। अब वे खुद से प्रार्थना कराते हैं, नारे लगाते हैं और मंच पर गाना गाने के लिए उत्साहित रहते हैं। यह देखकर मुझे भी एक नई ऊर्जा मिली, और मेरा आत्मविश्वास पहले से कहीं अधिक बढ़ गया।

मेरे इन छोटे-छोटे प्रयासों से बच्चों में आया यह सकारात्मक बदलाव मेरे लिए एक बड़ी सफलता है। जब कोई इस बदलाव को देखता है, तो उसे न केवल आश्चर्य होता है, बल्कि गर्व भी होता है कि सही दिशा में किया गया छोटा प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकता है।

नाम- मुस्कान कुमारी 

बैच-10 , मुजफ्फरपुर


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