आज मैं Azim Premji University, भोपाल में पढ़ाई करने आई हूँ यह सिर्फ एक एडमिशन नहीं, बल्कि मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना है जो आज पूरा हुआ है।
और शुरुआत हुई i-Saksham से ! जहाँ जुड़ना मेरे लिए एक नया मोड़ था। वहां न सिर्फ मैंने शिक्षा दी, बल्कि खुद भी बहुत कुछ सीखा लीडरशिप, कम्युनिकेशन, और आत्मविश्वास। i-Saksham ने मुझे खुद पर विश्वास करना सिखाया, मुझे अवसर दिए, मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत दी।
आज जब मैं APU के कैंपस में अपने पहले दिन कदम रख रही हूं, तो मन में कई भावनाएं हैं उत्साह, डर, और एक गर्व का भाव।
मैं अपने गांव की पहली लड़की हूं जो इतनी दूर पढ़ाई के लिए आई है। ये रास्ता आसान नहीं था। आर्थिक मुश्किलें, सामाजिक सोच, और कई सवालों के बीच मैंने खुद को टूटने नहीं दिया। इस मुकाम तक पहुँचने में i-Saksham का सबसे बड़ा योगदान रहा है। अगर मैंने वहां वो अनुभव नहीं लिए होते, तो शायद आज यहां तक आना मुश्किल होता।
APU का पहला दिन मेरे लिए बहुत खास रहा। नई जगह, नए लोग, और वो माहौल जिसने मुझे महसूस कराया कि मैं सच में अब अपने सपनों की जमीन पर हूं।
पहला दिन – APU में i-Saksham की छाप ।।
आज मेरा Azim Premji University में पहले सेमेस्टर का पहला दिन था। नया माहौल, नए चेहरे और नए रास्ते — मन में हल्का सा डर और बहुत सारा उत्साह लेकर मैं क्लास में पहुंची। क्लास की शुरुआत आशा मैम के एक सहज सवाल से हुई – "सभी अपना परिचय दीजिए।"हर किसी ने अपने शहर, राज्य और अनुभवों के बारे में बताया। जब रूमा ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह बिहार से है, तो मैम थोड़ा उत्सुक हुईं और पूछा, "तुम्हें अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के बारे में कैसे पता चला?"
रूमा ने मुस्कुराते हुए कहा – "i-Saksham से।"
फिर हम लोगों ने भी बताया कि वे भी i-Saksham से हैं। फिर मैम ने कहा आप लोगों मे से कोई भी ये बताएगा कि i saksham करती क्या है?रजनी दी ने संक्षेप में संस्था के बारे में बताया, और जब मैम को पता चला कि 3rd semester में भी कुछ लोग है और अभी भी, तब मैम ने हँसते हुए कहा –
"क्या i-Saksham ने अपना ऑफिस बंद करके सबको यहीं भेज दिया है?"
ये सुनते ही क्लास में हँसी की लहर दौड़ गई, लेकिन मेरे भीतर एक अजीब-सी खुशी हुई। वो पल एक मज़ाक था, लेकिन मेरे लिए बहुत भावपूर्ण – जैसे APU में भी i-Saksham की एक मजबूत उपस्थिति है। यहां इतना i-Saksham का नाम लिया गया कि कुछ पलों के लिए लगा – मानो ये क्लासरूम एक छोटा सा i-Saksham बन गया हो।
i-Saksham की वो गर्माहट, सीखने का वो जज़्बा और आत्मनिर्भरता की भावना – आज इस नए सफर के पहले दिन मेरे साथ थी।
एक बात जो यहां आकर एकदम नई लगी – वो ये कि AI और ChatGPT जैसे टूल्स का इस्तेमाल सख्त मना है। जबकि i-Saksham में हमने हमेशा इन टूल्स को एक सीखने और खुद को बेहतर बनाने के माध्यम के रूप में जाना।
शायद यही बदलाव का नाम शिक्षा है – कभी टेक्नोलॉजी के सहारे आगे बढ़ना, तो कभी खुद से सोचना, समझना और सीखना।
आज का दिन मेरे लिए एक पल जैसा था – बीते सफर और आने वाले रास्ते के बीच।
शहनाज़ , जमुई
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